दिल्ली की एक अदालत ने एक महिला के ऊपर अपने विरोधियों के खिलाफ रेप का झूठा मुकदमा किए जाने को लेकर 1 लाख का जुर्माना लगाया. महिला ने पुलिस को दी गई शिकायत में एक शख्स के खिलाफ उसकी (महिला) 5 साल की बच्ची के साथ रेप करने का आरोप लगाया था. अदालत में यह मामला झूठा निकला, तो कोर्ट ने झूठी गवाही, झूठे तथ्य प्रस्तुत करने को लेकर कार्रवाई की.
कोर्ट ने अपने आदेश में कहा, पूरी सुनवाई के बाद हम इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि सिर्फ अपनी व्यक्तिगत लदिल्ली ड़ाई में सबक सिखाने के लिए महिला ने शिकायत में झूठ बोला और मामले की जांच कर रहे अधिकारियों को गुमराह किया. यह कानून का खुला दुरुपयोग है.
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश सुशील बाला डागर ने कहा कि यह स्पष्ट है कि उसने गुस्से में आकर और खुद को रोज-रोज के झगड़ों से बचाने के लिए झूठी शिकायत दी है. कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि महिला ने इस कानून का इस्तेमाल कथित व्यक्ति से उसकी संपत्ति हथियाने के लिए किया था.
संपत्ति विवाद को निपटाने के लिए यह झूठी शिकायत से आरोपी व्यक्ति को अपमान और मानहानि का सामना करना पड़ा. महिला ने ऐसा करके न सिर्फ कानून का दुरुपयोग किया, बल्कि मुद्दे की संवेदनशीलता के साथ भी समझौता किया.
अदालत ने कहा कि इन दिनों पॉक्सो का इस्तेमाल आज कल लोग कई वजहों के कारण करने लगे हैं. उन्होंने कहा, आज कल लोग भूमि विवाद, विवाह विवाद, व्यक्तिगत द्वेष, राजनीतिक उद्देश्यों या व्यक्तिगत लाभ के लिए आरोपियों को लंबे समय तक जेल में रखकर अपमानित करने के लिए पोक्सो अधिनियम के तहत फर्जी मामले दर्ज कराए जा रहे हैं. अदालत ने कहा, यह प्रक्रिया कानून का घोर दुरुपयोग थी. इस तरह के कृत्य कानून के उद्देश्य को कमजोर करते हैं.