विद्यालय में पाठय क्रियाओं के साथ पाठयेत्तर क्रियाऐं भी महत्वपूर्ण-प्राचार्य
इंडस पब्लिक स्कूल दीपका में सीसीए एक्टिविटी के अंतर्गत आयोजित किया गया सोलो डांस प्रतियोगिता
विहंगम नृत्यों से नन्हें विद्यार्थियों ने बिखेरी छटा, बटोरी तालियां
दीपका/कोरबा।
मानवीय अभिव्यक्तियों का रसमय प्रदर्शन है नृत्य। यह एक सार्वभौम कला है, जिसका जन्म मानव जीवन के साथ हुआ। बालक जन्म लेते ही अपनें हाथ पैर मार कर अपनी अभिव्यक्ति करता हैं कि वह भूखा है इन्ही आंगिक कियाओं से नृत्य की उत्पत्ति हुई है। भारतीय संस्कृति एवं धर्म आरंभ से ही मुख्यतः- नृत्यकला से जुडे़ रहे।़ यह मनोरंजन तो है ही साथ ही यह हमारे सारे थकान व अवसादो को दूर करता है। नृत्य की इन विशेष महत्वों को देखते हुए ही आज विद्यालय स्वर पर भी बच्चों को नृत्य की शिक्षा दी जाती है। परंतु केवल शिक्षा देना ही काफी नहीं होता गुरू द्वारा दी गई शिक्षा को छात्र ने कितना ग्रहण किया इसे जांचने हेतु समय-समय पर उसका आंकलन करना भी आवश्यक होता है।
भारतीय धर्मों में नृत्य का महत्व पौराणिक काल से रहा है। डांस (नृत्य) को प्रमुख रूप से शास्त्रीय नृत्य और लोक नृत्य में विभाजित किया जा सकता है। लेकिन आजकल यह केवल मनोरंजन का साधन बनकर रह गया है। वर्तमान में डांस के प्रति बढ़ते क्रेज ने इसे पैसा कमाने का जरिया बना दिया है। कई टीवी चैनलों और फिल्म इंडस्ट्री ने इसको काफी बढ़ावा दिया, इस वजह से हर कोई बड़े-बड़े कोरियोग्राफर से डांस सीखकर फिल्म इंडस्ट्री में अपने पैर जमाने चाहते हैं। किसी भी धार्मिक या
सांस्कृतिक कार्यक्रमों की शुरुआत नृत्य से ही की जाती है।
आज इसका महत्व इतना बढ़ गया है कि इसका आयोजन अंतरराष्ट्रीय स्तरों पर किया जाता है। इसमें सबसे ज्यादा ध्यान रखने योग्य बात यह है कि आप डांस के प्रति जितना ज्यादा समर्पित होंगे, जीवन में उतनी ही ऊंचाइयां प्राप्त कर सकते हैं। डांस की दुनिया में कदम रखने से पहले कुछ बातों का ध्यान रखना बहुत जरूरी होता है। आपका इस कला के प्रति पूर्णतया आत्मविश्वास, लगन और समर्पण होना बहुत जरूरी है।
आपको अपने गुरु का सम्मान करना आना चाहिए। गुरु जैसे-जैसे डांस स्टेप्स बताते है उसकी हूबहू नकल करने की क्षमता का होना बहुत जरूरी है। साथ ही इशारों का अर्थ भी समझने की क्षमता और तत्परता का होना जरूरी होता है। नृत्य का हमारे जीवन में विशेष महत्व होता है । इंसान कितना ही तनाव ग्रस्त हो, कितना ही परेशान हो पर नृत्य को देखकर गानों की धुन पर अनायास ही उसके पैर थिरकने लगते हैं, और सारे अवसाधों को भुलाकर वह नृत्य की भाव भंगिमा में मदहोश हो जाता है । नृत्य की अनेक विधाओं में नित प्रतियोगिताएँ होती रहती है.
इंडस पब्लिक स्कूल दीपका में कक्षा प्राथमिक स्तर के बालक बालिकाओं के लिए एकल नृत्य प्रतियोगिता का आयोजन किया गया था । कड़े मुकाबले में में निर्णायकों किए यह तय कर पाना मुश्किल था कि विजेता कौन बनेगा? सभी विद्यार्थियों ने नृत्य की बहरीन प्रस्तुति दी।विद्यार्थियों ने अपनी भाव भंगिमाओं से सबका मन जीत लिया।सभी विद्यार्थियों ने किसी न किसी थीम पर डांस प्रस्तुत किया । इस प्रतियोगिता को सफलता पूर्वक संपन्न करने में सीसीए विभाग के साथ ही प्री प्राइमरी एवं प्राइमरी विभाग के को ऑर्डिनेटर श्रीमती सोमा सरकार एवं सभी कार्यरत शिक्षिकाओं का विशेष योगदान रहा।मंच सज्जा में आर्ट एवं क्राफ्ट की प्रभारी शिक्षिका श्रीमती अंशुल मेडम एवं प्री प्राइमरी की शिक्षिकाओं का योगदान रहा।
विजेताओं कों प्राचार्य ने बधाई दी । सभी विजेताओं को सत्रांत में एक विशेष समारोह में सम्मानित किया जाएगा।
इस अवसर पर प्राचार्य डॉ. संजय गुप्ता ने कहा कि पाठय क्रियाओ के साथ पाठयेतर क्रियाओं का भी बाल्यकाल मे विशेष महत्व होता है। बच्चों को मंच दियें जाने से वे अपनी कलाओं और अपनी भावनाओं को समूह के सामने व्यक्त करने का गुण सीखते हैं। नृत्य विधा के बारे में डॉ. गुप्ता ने कहा कि नृत्य मनोरंजन के साथ हमें मानसिक तनाव से भी मुक्त करता हैं।