कॉम्पटीशन की दुनिया में आगे बढ़ने का एकमात्र विकल्प शिक्षा की सीढ़ी है : सुनील जैन

छत्तीसगढ़ रायपुर

रायपुर । युवाओं में जीवनोपयोगी संस्कारों का बीजारोपण करने एवं कैरियर संबंधी संभावनाओं को उजागर करने दिगंबर जैन समाज पंचायत सेवा समिति के तत्वावधान में आरंभ जैन यूथ मीट एवं करियर काउंसलिंग व दिवसीय ग्रीष्म कालीन शिविर का आयोजन 25 मई की शाम 7 बजे वृंदावन हॉल, सिविल लाइन्स में किया गया। इस कार्यक्रम की शुरुवात दीप प्रजवल्लन से हुई। आचार्य विद्यासागर के छाया चित्र के समक्ष दीप प्रज्वलंन दिगंबर जैन मंदिर शंकर नगर समिति के सदस्य व महिला मंडल एवं आमंत्रित अतिथियों ने किया। मंगलाचरण गीत छोटे बच्चो ने प्रस्तुत किया। आज का मंगलाचरण माही जैन (छात्रा प्रतिभास्थली चंद्रगिरी डोंगरगढ़) एवं एकांश बाकलीवाल द्वारा मोटिवेशन गीत “तू लाख बार गिरेगा जिंदगी के मैदान में तू है वो कश्ती जो ना हार माने तुफा में” गाकर एक संदेश प्रतुस्त किया। मंदिर समिति के सभी सदस्यों व महिला मंडल द्वारा उपस्थित सभी अतिथियों का स्वागत स्मृति चिन्ह देकर किया।

कार्यक्रम के मार्गदर्शक ब्रह्मचारी सुनील भईया (डीजेएम बीएसएनएल) के साथ मुख्य अतिथि सुनील कुमार जैन ‘अजमेरा’ (आईएएस) विशेष सचिव ऊर्जा विभाग, खनिज विभाग प्रबंध संचालक एवं जल जीवन प्रबंध संचालक, विशिष्ट अतिथि अनिल जैन पूर्व सदस्य, अल्पसंख्यक आयोग, छत्तीसगढ़ के साथ करियर काउंसलिंग विशेषज्ञ विजय चोपड़ा शिक्षाविद एवं मोटिवेशनल स्पीकर, शिवली श्रीवास्तव करियर काउंसलर विशेष रूप से उपस्थित थे। मुख्य अतिथि सुनील कुमार जैन ने अपने वक्तव्य में बताया की दुनिया में आज आगे बढ़ने के लिए जिस व्यक्ति के पास कोई चीज,पैसा नहीं उसके लिए शिक्षा ही प्रमुख साधन होती है जिसके आधार पर वह आगे बढ़ सकता है। शिक्षा का मतलब केवल नौकरी पा जाना ही नही होती। पूरी दुनिया में शिक्षा के लिए सब से ज्यादा प्रतिस्पर्धा केवल भारत में ही है। शिक्षा का उद्देश्य अपने आप को सीमित करने का नही होना चाहिए। समय और परिस्थिति के हिसाब को सभी को बदलना आवश्यक है। स्कूल के समय में जो लोग हम से सभी चीजों में आगे थे आज वो कुछ नही है और जो कुछ नही थे वो बहुत कुछ बन गए है।नंबर कम आना या ज्यादा आना किसी की योग्यता की पहचान नहीं है। हर किसी को अपनी क्षमता का आकलन जरूर करना चाहिए और उसी के अनुसार कार्य करना चाहिए।ब्रह्मचारी सुनील भईया ने अपने वक्तव्य में बताया की धर्म और कर्म के बीच में हम कैसे सामंजस्य बिठाया जाये इस पर सभी का ध्यान उन्होंने केंद्रित करते हुए बताया कि धर्म क्या है? वस्तु का स्वभाव ही धर्मे है, जैसे एक डॉक्टर का धर्म मरीज को ठीक करना है, पानी का धर्म शीतलता करना है, ऐसे ही हर एक जीव का धर्म सुखी हो ना सुख पाना है, हर व्यक्ति सुख पाना चाहता है और वह सुख उसे धर्म के माध्यम से प्राप्त हो सकता है।अनिल जैन पूर्व सदस्य अल्प संख्यक आयोग ने अपने वक्तव्य में बताया की आज के प्रतिस्पर्धा के युग में 2 कदम चलने के लिए 4 कदम आगे चलने की तैयारी करना होगा।निरंतर नए विषय आ रहे है करियर काउंसलर को भी नई नई चीजे सीखना होगा। सर्वप्रथम शुरुवात घर से करनी होगी।माता पिता की बात माननी पड़ेगी। बच्चो बडो सभी के लिए उनके उम्र के हिसाब से बात करनी होगी।आज जैन धर्म के मर्म को अपने जीवन में शामिल करना होगा। धर्म की छाव में रहकर अपना करियर बनाना होगा। सफलता के लिए अपनी रुचि देखना होगा और लक्ष्य निर्धारण करना होगा। उसके साथ अपना आत्म विश्वास को मजबूत बनाना पड़ेगा।हर गलती से सिख लेकर नए सिरे से आगे बढ़ना होगा। उम्र के पड़ाव में गलतियां होगी। नकारात्मा से बचना होगा। बात चित की कला भी आनी चाहिए ।समय प्रबंधन जीवन का महत्वपूर्ण पहलू है उसका विशेष ध्यान रखना होगा।सफल असफल होने वाले दोनो बच्चो को 24 घंटे मिलते है सभी को जीवन के सभी पहलुओं को ध्यान में रखना होगा। मस्तिष्क के साथ साथ शरीर को भी स्वस्थ रखना भी आवश्यक है। व्यावहारिक शिक्षा को भी शामिल करना अत्यंत आवश्यक है। ईश्वर में आस्था मानव जीवन को उद्देश्य प्रदान करती है।करियर काउंसलिंग विशेषज्ञ व मोटिवेशन स्पीकर विजय चोपड़ा ने बताया की करियर काउंसलिंग विषय हर व्यक्ति के लिए है। इंट्रेस्ट, स्कोप , फ्रैंड फैमिली पेरेंट्स, के अलावा अपनी पर्सनैलिटी के आधार में करियर चुनना है। करियर के लिए आप की रुचि किस चीज में यह सबसे महत्त्वपूर्ण बात है। इन सब के अलावा फाइनेंस का भी ध्यान रखना होगा। करियर चुनने के पहले हर स्टूडेंट को परीक्षा के दौर से गुजरना होगा ।परीक्षा को हौउवा न बनने दे उस पर हावी हो जाइए। लक्ष्य का निर्धारण करने के बाद दिन रात एक करना होगा। असफलता में ही सफलता छुपी है। ठोकर खाने के बाद ही आदमी सीखता है। असफलता से घबराने की जरूरत नहीं है। बच्चो के माता पिता को स्मार्ट पेरेंटिंग करना होगा। अपनी इच्छाओं को बच्चो पर न थोपे। अपनी असफलता बच्चो में नही देखे अपने बच्चो की तुलना दूसरे बच्चे से न करे। बच्चो में सहनशीलता धैर्य की कमी निरंतर होते जा रही है। परिजनों के साथ धार्मिक स्थल अवश्य जाए और समाज के प्रमुखों वरिष्ठ जन से निरंतर मिले।कार्यक्रम को सफल बनाने विशेष रुप से मनीष जैन, अजय जैन रेलवे, विजय कस्तूरे, अमित जैन गोईल, संतोष जैन, माया जैन, सुधांशु जैन, विपुल जैन, अभिताप जैन, अमित जैन, देवेंद्र जैन, प्रतीक जैन, स्नेह जैन, सूजीत जैन, स्वतंत्र जैन, प्रसंग जैन, सोनल मनीष जैन आदि का सहयोग रहा। मंच संचालन विजय जैन कस्तूरे द्वारा किया गया।