Wednesday, January 8, 2025

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सीखने की ललक से ही आती है सफलता की दस्तक : शिक्षाविद डॉ संजय गुप्ता

प्रतिस्पर्धा केवल जीतने का नहीं, सीखने का मार्ग है-डॉ संजय गुप्ता

Indus public School Deepka

प्रतियोगिता वह दर्पण है जो दिखाए आपकी असली मेहनत-डॉ संजय गुप्त

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अवंतिका ड्राइंग एंड कलरिंग कंपटीशन में इंडस पब्लिक स्कूल दीपका के विद्यार्थियों ने लहराया अपना परचम, प्राप्त किए सिल्वर एवं गोल्ड मेडल

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दीपका – कोरबा//
सीखने के लिए एक प्रभावी परिवेश का निर्माण करने हेतु हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि हमारे सभी विद्यार्थी मिल-जुल कर सहयोगपूर्वक काम करें, न कि एक-दूसरे के प्रतिस्पर्धी के रूप में काम करें- डॉ संजय गुप्ता मानव में रचनात्मकता एक महत्वपूर्ण दक्षता है। छात्रों को अपने विचारों को स्‍वतंत्रता के अभिक्ति का माध्‍यम प्रदान करता है। रचनात्मकता से ही अपनी सोच और विचार के साथ आगे बढ़ने में आगे बढ़ सकते है, जिससे वे एक स्वतंत्र व्यक्तित्व का विकास कर सकते हैं।
ड्राइंग और पेंटिंग के कई फ़ायदे होते हैं, जैसे कि: ड्राइंग और पेंटिंग से बच्चों को अपने विचारों और भावनाओं को व्यक्त करने का एक सुरक्षित तरीका मिलता है। इससे संज्ञानात्मक विकास होता है। रचनात्मक सोच विकसित होती है। ड्राइंग से सटीकता बढ़ती है. ड्राइंग एक समय लेने वाली कला है, जिससे धैर्य विकसित होता है.
ड्राइंग से फ़ाइन मोटर स्किल्स में विकास होता है। ड्राइंग से कल्पनाशक्ति में विकास होता है। ड्राइंग से मानसिक स्वास्थ्य और तंदुरुस्ती में सुधार होता है। ड्राइंग से संचार कौशल में सुधार होता है।

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अवंतिका पेंटिंग एंड कलरिंग कंपटीशन एक अति महत्वपूर्ण कंपटीशन है जो छात्रों की योग्यता और कौशल की मान्यता का प्रतीक है। ये पदक हर साल कला में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए छात्रों को दिए जाते हैं।यह प्रतियोगिता नामचीन स्कूलों में राष्ट्रीय स्तर पर साल में एक बार आयोजित की जाती हैं।गौरतलब है कि विद्यार्थियों में उत्कृष्टता के अलावा ड्राइंग, पेंटिंग, स्केचिंग आदि जैसे सॉफ्ट स्किल्स पर ध्यान देना महत्वपूर्ण है।

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इंडस पब्लिक स्कूल दीपका के विद्यार्थियों ने भी अवंतिका ड्राइंग एंड कलरिंग कंपटीशन में बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया और विभिन्न पदक अपने नाम किए।
इस प्रतियोगिता में लगभग सभी कक्षा के विद्यार्थियों ने अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया और एप्रिशिएसन सर्टिफिकेट के अलावा विभिन्न पदक अपने नाम किए। विभिन्न कक्षा स्तर के लिए ड्राइंग एंड कलरिंग हेतु टास्क भी अलग-अलग निर्धारित किए गए थे ।सभी चित्रों पर नन्हे मुन्ने सितारों ने अपने भावनाओं को बहुत सुंदर ढंग से व्यक्त किया ।रंगों के संसार में बच्चों ने अपनी भावनाओं को उकेरा।

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अवंतिका ड्राइंग एवं कलरिंग अवार्ड में गोल्ड मेडल से निहारिका सिंह (यूकेजी), युविका, विवान (1 ए), दीपाली नायक,अदिति चंद्रा (क्लास 2) को पुरस्कृत किया गया।
*सिल्वर मेडल से* अयांश सिंह (क्लास नर्सरी), सर्विका मिश्रा (क्लास एलकेजी), द्वितीया, तेजस शाही अनन्या सिंह (क्लास यूकेजी) को नवाजा गया।

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सरोज गुप्ता अवार्ड से हितार्थ अग्रवाल (क्लास प्ले ग्रुप), आरव ,वैष्णवी परिडा ,खुशी साहू (क्लास एलकेजी), देवांश कोराम वर्णिका ,सनाया सोनी, परिधि (क्लास एलकेजी) को सम्मानित किया गया।

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सभी विद्यार्थी प्राचार्य एवं मुख्य अतिथि के हाथों पदक प्रकार प्रसन्न चित्त नजर आए। इस प प्रतियोगिता को संपन्न कराने में प्री प्राइमरी की सभी शिक्षिकाओं का विशेष सहयोग एवं योगदान रहा।

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विद्यालय के प्राचार्य डॉक्टर संजय गुप्ता ने कहा कि बच्चों की कल्पनाओं का एक अलग ही संसार होता है। उनकी कल्पनाओं का अंदाजा लगाना मुश्किल है। हमें अधिक से अधिक रचनात्मक कार्यों में उन्हें मजबूत रखना चाहिए। कहा भी जाता है कि होनहार बिरवान के होत चिकने पात’ ‘ अर्थात विद्यार्थी में यदि प्रतिभा है तो उसकी झलक हमें बचपन में ही देखने को मिल जाती है। हमें चाहिए कि हमें उन्हें अधिक से अधिक सीखने का अवसर देना चाहिए अर्थात् एक सकारात्मक व ऊर्जावान माहौल में ही बच्चों को हमेशा रखना चाहिए और हमेशा से हमारी यही कोशिश रहती है। बच्चों की रचनात्मकता को परवाज़ देने हेतु हम विद्यालय में प्रत्येक राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता करवाते रहते हैं। और बेशक विद्यालय के विद्यार्थी अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करते हुए विभिन्न पदों पर अपना नाम अंकित अवश्य करते हैं। यह सब संभव होता है यहां के समर्पित स्टाफ और सकारात्मक माहौल की वजह से।सीखने के लिए एक प्रभावी परिवेश का निर्माण करने हेतु हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि हमारे सभी विद्यार्थी मिल-जुल कर सहयोगपूर्वक काम करें, न कि एक-दूसरे के प्रतिस्पर्धी के रूप में काम करें।सीखना एक साथ नहीं होता न ही एकाएक होता है यह तो पूर्व ज्ञान की सहायता से निर्मित व विकसित होता है । प्रतिदिन प्रत्येक व्यक्ति अपने जीवन में नए अनुभवों को एकत्र करता रहता है, ये नवीन अनुभव, व्यक्ति के व्यवहार में वृद्धि तथा संशोधन करते हैं। इसलिए यह अनुभव तथा इनका उपयोग ही सीखना या अधिगम करना कहलाता है।

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