महिला दिवस पर विशेष : रंजीता कई वर्षों से कर रही है समाज सेवा

छत्तीसगढ़ बिलासपुर

582 बच्चों को दे रही नि:शुल्क शिक्षा

दर्जन भर से अधिक कर चुकी है रक्तदान

बिलासपुर I
बिलासपुर की बेटी रंजीता दास विगत 7 वर्षों से समाज सेवा कर रही हैं। आज हर कोई दिन दुखियों के विषय पर चर्चा करता है लेकिन क्या वास्तव में दीन दुःखी केवल चर्चा का ही विषय है हम उनके लिए क्या कर सकते हैं कल्पना करिए यदि कोई ऐसी युवती मिले जो दीन दुखियों की सेवा के लिए अपनी नौकरी छोड़ अपना सब कुछ समर्पित कर विगत कई माह से उनकी सेवा कर रही हो, कुछ ऐसी ही है हमारे बिलासपुर की बेटी हैं ।सामाजिक कार्यों में विशेष रुचि रखने वाली मन मे सेवा भाव लिए हमेशा जरूरतमंदों की सेवा शुरू से ही उनके जीवन का अहम हिस्सा रहा है।

जिन्होंने कुछ ऐसा कर दिया जो आज पूरे प्रदेश के लिए मिसाल बन चुकी है जी हां हम बात कर रहे हैं। रंजीता दास का जिन्होंने प्राइवेट कंपनी में नौकरी करते हुए सेवा करती रही थी लेकिन सेवा कार्यो और नौकरी दोनों में जब किसी एक को चुनना पड़ा तब रंजीता ने सेवा कार्यो को चुनते हुए आगे बढ़ी,जुनून ऐसा बड़ा की नौकरी छोड़ कर विगत 2 सालों से शहर की समाजिक संस्था विश्वाधारंम सौम्य एक नई उड़ान की संस्थापिका सौम्य रंजीत ने ऐसे कार्य की शुरुवात की है जो वास्तव में एक सभ्य समाज की आवश्यकता है जी हां हम बात कर रहे है संस्था की नवीन मुहिम संस्कार शाला की जहां इनके द्वारा शहर के पिछड़ी बस्ती, स्लम बस्तियों, अटल आवासों एवम सड़क किनारे रह कर जीवन यापन करने वाले परिवार के नन्हे नन्हे बच्चों को नशा मुक्त कर शिक्षा के साथ संस्कार वान बनाने का बीड़ा उठाया है इन बस्तियों में रहने वाले बच्चे ज्यादातर पन्नी उठाने, कबाड़ी बिनने, और भिक्षा मांगने जाते है उनसे प्राप्त धन राशि का उपयोग नशे के लिए करते है, बाल पन से नशा के गिरफ्त आए बच्चे जाने अंजाने अनेक अपराध करते है जैसे चोरी करना, बात बात कर लड़ाई करना, एवम अपने हम उम्र बच्चियों का शोषण/अभद्रता करना जैसे अनेक अपराध शामिल है
संस्कार शाला मुहिम की संस्थापिका रंजीता दास ने बताया कि उनके द्वारा विगत 2 वर्षों से इस मुहिम को शहर के कई पिछड़ी बस्तियों मुर्राभट्टा बापूनगर,ब्रम्ह विहार, नहरपारा वायरलेस बस्ती,सरकंडा अटल आवास में संचालित किया गया है उन्होंने बताया की शुरुवात में तो बच्चे नही आते थे और जो बच्चे आते थे वो नशे में होते थे, धीरे धीरे उनको नशा से होने वाले नुकसान को बताकर अध्यात्म का मार्ग और ऐसी अनेक कहानियां बताने से 7 बच्चो से शुरुवात की संस्कारशाला में अब आने वाले बच्चों की संख्या 582 हो चुकी हैं। साथ ही उनके मन को शांत करने के लिए गायत्री मंत्र भी सिखाया जा रहा है, अब यह बच्चे पन्नी उठाने एवम अन्य सभी असामजिक गतिविधियों से दूर होने लगे है।
रंजीता दास ने बताया की 2024 के अंत तक उनका लक्ष्य है 2500 ऐसे पिछड़ी बस्तियों के बच्चो को शिक्षा के साथ संस्कार वान बना कर मुख्य धारा से जोड़ना है।
रंजीता ने बताया की इस सेवा कार्य में उन्हें समाज के परिवार के और उनके मार्ग दर्शकों का भरपूर सहयोग प्राप्त हो रहा है रंजीता ने बताया कि जब नौकरी छोड़ कर इस काम में जुड़ी तो लोग उनकी अवहेलना करते थे लोग उनका मजाक उड़ाते थे मगर दृढ़ इच्छाशक्ति और समाज के लिए समर्पित भाव उनके रगों में बहने लगा था उन्होंने निर्णय लिया कि अब नौकरी छोड़ कर समाज के लिए और नन्हे नन्हे बच्चे जो देश के भावी युवा पीढ़ी, भावी भविष्य बनेंगे उन्हे नशे से मुक्त कर शिक्षा के साथ संस्कारवान बनाना भी बहुत आवश्यक है पर्याप्त साधन ना होने के बावजूद भी समाज के सहयोग से उन्होंने लगातार इस कार्य को आगे बढ़ा रही हैं ज्ञात हो रंजीता पिछले 7 वर्षों से सामाजिक जीवन में है उनके द्वारा अनेकों स्कूलों (सरकारी व गैर सरकारी) में वनांचल क्षेत्रों में ग्रामीण क्षेत्र में जाकर महिलाओं एवं युवतियों को मासिक धर्म के प्रति जागरूक कर उनके मन में बैठे मिथ्या ,समस्या को दूर कर समाधान का उपाय भी बताया साथ ही इन 7 वर्षों में हजारों सेनेटरी नैपकिन का निशुल्क वितरण भी किया है इस 7 वर्ष के दौरान उन्होंने अनेक कन्याओं के विवाह में आर्थिक मदद की और कोरोना काल के दौर में जब लोग अपने परिजनों के अंतिम संस्कार नहीं कर पाते थे ऐसे दौर में समूह बनाकर अनेक मृत व्यक्तियों का अंतिम संस्कार और उस दौरान लकड़ी की कमी होने पर 25 टन से अधिक गौकाष्ठ भी नगर निगम को उपलब्ध कराया था।
मानवीय संवेदनाओ से भरी रंजीता के द्वारा अभी तक 14 बार रक्तदान भी किया जा चुका है। ज्ञात हो आज भारत मे और ख़ास कर छत्तीसगढ़ में युवतियों के रक्तदान के प्रति झुकाव बेहद कम है ऐसे में नव युवतीयो को इनसे प्रेणना लेनी चाहिए।
उन्होंने कहा है कि तन समर्पित मन समर्पित जीवन का कण कण समर्पित हैं मातृभूमि तुझे कुछ और भी दूं।
सामाजिक कार्य
(1)- 7 वर्षों से मासिक धर्म के प्रति स्कूलों एवं ग्रामीण अंचल की किशोरी बालिकाओं एवं महिलाओं को जागरूक कर रही हैं।
(2) छोटे बच्चों को अच्छा स्पर्श बुरे स्पर्श के प्रति जागरूक कर रही हैं।
(3) आत्मरक्षा के तत्काल सरल तरीके द्वारा जन जागरूकता ला रही हैं।
(4) झुग्गी झोपड़ी क्षेत्र के किशोर किशोरियों को नशा मुक्त बनाने के लिए प्रेरित कर रही हैं।
(5) स्कूली बच्चियों को मासिक धर्म के लिए मिथ्या समस्या समाधान पर उचित परामर्श प्रदान कर रही हैं।
(6) पिछले 3 सालों से स्लम एरिया झुग्गी झोपड़ी में रहने वाले भिक्षा मांगने वाले बच्चों को शिक्षा एवं संस्कारवान बना रही हैं एवं 582 बच्चों को निशुल्क शिक्षा दे रही हैं।
(7) कारोना काल में गौकाष्ठ द्वारा अंतिम संस्कार कराया गया हैं।
(8) रोड किनारे फुग्गा बेचने वाली महिला का प्रसव पीड़ा के दौरान महिला एवं बच्चे की जान बचाया गया हैं।
(9) निर्धन कन्या विवाह में सहयोग किया गया हैं।
(10) निशुल्क सिलाई प्रशिक्षण देकर जरूरतमंद को स्वलम्बी बनाया गया है।
(11)मूक जानवरों एवं गौसेवा किया जाता हैं।
(12)जरूरतमंदों को ठंड से बचने हेतु गर्म कपड़े,कम्बल,शॉल,स्वेटर,मोजा,इत्यादि का वितरण किया जाता हैं।