कोण्डागांव । कोण्डागांव के पश्चिमी छोर पर अतिसंवेदनशील क्षेत्र में बसे कुधूर के लोग कभी पिछड़ेपन के अंधेरों में जकड़े हुए माओवाद का दंश झेल रहे थे। आज के विकासशील समाज में जहां व्यक्ति चांद तक पहुंच गया है वहां कुधूर के लोग चांद की रोशनी के सहारे अपना जीवन गुजारने को मजबूर थे। वर्ष 2018 तक वहां तक विद्युत की लाइनों की पहुंच नहीं थी। जिससे लोगों को अंधेरे में रहने को अभिशप्त थे। इस गांव में कभी किसी महिला को गर्भाधान होने पर उन्हें प्रसव के एक माह पूर्व ही गांव छोड़कर आस-पास के अपने रिश्तेदारों के गांव में जाना पड़ता था क्योकिं यदि गांव में रहते उन्हे प्रसव में परेशनी होने पर उपस्वास्थ्य केन्द्र में विद्युत की व्यवस्था न होने के कारण ईलाज संभव नहीं हो पाता और पक्की सड़कों के न होने से वर्षा काल में एम्बुलेंस भी गांव नहीं आ पाती थी। उनकी इस लाचारी में आशा की किरण बनकर आयी सौभाग्य योजना।
इस संबंध में गांव के सरपंच लक्ष्मण कश्यप बताते है कि वे जब छोटे थे तब गांव में बिजली नहीं थी। जिसके कारण परिवार वालों ने उन्हे पढ़ाने के लिए गीदम स्थित रिश्तेदारों के घर भेज दिया था। जब वे गांव आये तब प्रधानमंत्री सौभाग्य योजना से 2018 में गांव में बिजली की लाइने पहुंची उन्हे बहुत खुशी है कि अब गांव तक आने के लिए प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना द्वारा सड़क भी लगभग बन गयी है। अब सड़क पर सेतु बन जाने से भंवरडिह नदी के पार बसे तुमड़ीवाल तक भी पहुंचना सुगम्य हो जायेगा। जिससे वहां का भी विकास होगा। हमारे गांव में अब आटाचक्की, फोटो कापी दुकान जैसी दुकानें भी खुल गयीं हैं। मोबाइल टावर लग जाने से पूरी दुनिया से इंटरनेट के माध्यम से युवा जुड़ रहे हैं और नये नये कौशल भी सीख रहे हैं।
ग्रामीण सोनसिंह कश्यप ने बताया कि पहले यहां जंगली क्षेत्र होने के कारण लाईट न होने से सायं को ही लोग घरों में चले जाया करते थे एवं जंगली जानवरों के डर से घर से निकलना मुश्किल था। बिजली कनेक्शन के गांव में आ जाने से अब बेखौफ होकर रात्रि काल मंे भी हम घरों से बाहर निकल पाते हैं। यहां कई घरों में बोर भी स्थापित किये गये है। जिससे खेती मंे भी विकास हुआ है।
कुधूर में फोटोकॉपी दुकान चलाने वाली सविता कश्यप ने बताया कि जब वे छोटी थी गांव में बिजली न होने से पढ़ाई में बहुत सी दिक्कतें आती थी। इसके साथ ही घर में खेती के अतिरिक्त अन्य कोई व्यवसाय भी नहीं होता था। विद्युत कनेक्शन के आने से अब पढ़ाई लिखाई की दिक्कतंे दूर हो गयी हैं। एक साल से घर में फोटोकॉपी के साथ किराना दुकान चालू की गयी है। जिससे अब घर में ही व्यवसाय संचालित हो रहा है। जिससे हमें आमदनी होती है। दुकान में फ्रिज भी रखा है जिससे गर्मियों में कोल्ड ड्रिंक भी बेच पाते है।
हालर मिल एवं आटा चक्की संचालक समरत राम ने बताया कि पहले यहां बिजली नहीं होने से यहां से कोई मिल यहां संचालित नहीं हो पाती थी। जिससे लोगों को दूर-दूर के गांवों में जाकर या घर मंे हाथ से मिलिंग कार्य करना पड़ता था। अब 2018 में सौभाग्य योजना से विद्युत कनेक्शन के आने के बाद गांव में मैंने हालर मिल स्थापित किया। अब गांव वालों को दूर गांव में जाने की जरूरत नहीं पड़ती है।
कुधूर में उपस्वास्थ्य केन्द्र में पदस्थ आरएचओ पिलाराम कोर्राम ने बताया कि वे 2012 से वहां पदस्थ हैं पहले बिजली न होने पर आपात स्थिति में चिमनी, टॉर्च और दीयों की रोशनी में उपचार करना पड़ता था। उचित उपकरण बिजली न होने से नहीं चलने के कारण गंभीर रोगियों को तुरंत रिफर करना पड़ता था। अब नया उपस्वास्थ्य केन्द्र भवन बनने के साथ बिजली भी गांव तक आ गयी है। अब प्रसव के साथ उत्कृष्ट स्वास्थ्य सेवाएं भी हम ग्रामीणों को कुधूर में ही दे पा रहे है। सीएचओ विक्रम नाग एवं एएनएम उमेश्वरी ने भी गांव में बिजली आने पर उत्कृष्ट स्वास्थ्य सेवाएं दे पाने पर हर्ष व्यक्त किया।