वास्तविक मूल्यांकन: ज्ञान की गहराई और सोच की ऊँचाई की पहचान- शिक्षाविद डॉ गुप्ता

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Real assessment: Recognizing the depth of knowledge and height of thinking - Academician Dr. Gupta
The National Council of Educational Research and Training NCRT has suggested a new assessment model. It proposes that the performance of students of class 9, 10 and 11 should contribute to their class 12 board results. The report released in July 'On establishing equality in education boards'
  • नई मूल्यांकन पद्धति के बारे में प्राचार्य डॉक्टर संजय गुप्ता ने व्यक्त किए अपने विचार
  • कहा – अब कक्षा 9वीं और 11वीं के परीक्षा परिणाम को मिलाकर तैयार होगा 12वीं बोर्ड का परीक्षा परिणाम

दीपका- कोरबा //
राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद एनसीआरटी ने एक नया मूल्यांकन मॉडल सुझाया है ।इसमें प्रस्ताव है कि कक्षा 9 10 और 11 के छात्रों के प्रदर्शन को उनके कक्ष 12 के बोर्ड परिणाम में योगदान देना चाहिए। जुलाई में जारी रिपोर्ट ‘ शिक्षा बोर्ड में समानता स्थापित करने पर ‘ सुझाव दिए गए हैं। रिपोर्ट में कक्षा 10 और 12 के लिए प्रगतिशील मूल्यांकन रूपरेखा का सुझाव दिया गया ।नई रूपरेखा शैक्षणिक वर्ष को दो अवधियों में विभाजित करती है कक्षा 12 के बोर्ड के नतीजे में कक्षा 9 ,10 और 11 के अंक शामिल किए जाने के लिए सिफारिश की गई है। रिपोर्ट में उल्लेख है कक्षा 9 से कक्षा 12 तक रचनात्मक और योगात्मक अंकों का भार क्रमिक रूप से समायोजित किया जाएगा। इससे शिक्षार्थियों के ग्रेड में आगे बढ़ाने के साथ योगात्मक मूल्यांकन पर जोर बढ़ेगा। कक्षा 9 में 7% रचनात्मक और 30% योगात्मक विभाजन ,कक्षा 10 में समान 50% रचनात्मक और योगात्मक विभाजन, कक्षा 11 में 40% रचनात्मक और 60% योगात्मक वितरण और कक्षा 12 में 30% रचनात्मक और 70% योगात्मक अनुपात है।
प्राचार्य डॉक्टर संजय गुप्ता ने विद्यार्थियों की जानकारी में इजाफा करते हुए बताया कि एनसीईआरटी के नए मूल्यांकन पद्धति में उल्लेख किया गया है कि माध्यमिक चरण के अंत में संचयी अंक कक्षा 9वी के लिए 15% कक्षा 10 के लिए 20% कक्षा 11 के लिए 25% और कक्षा 12 के लिए 40% है ।इसका अर्थ यह है कि पिछले कुछ सालों में छात्रों का प्रदर्शन उनके अंतिम अंकों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा ।कक्षा 9 से 12 तक के शिक्षार्थियों के लिए
सुझाया गया है कि मूल्यांकन का ढांचा एक व्यापक दृष्टिकोण अपनाएगा, जो शिक्षार्थियों की प्रगति का समग्र दृष्टिकोण प्रदान करने हेतु सहायक होगा और योगात्मक अर्थात अंतिम अवधि के दोनों मूल्यांकन विधियों को संतुलित करेगा। कक्षा 10 और 12 के लिए मूल्यांकन ढांचे को दो अवधियों में विभाजित किया जाएगा। कक्षा मूल्यांकन में पोर्टफोलियो मूल्यांकन , स्व – मूल्यांकन ,सहकर्मी मूल्यांकन ,शिक्षक अवलोकन ,समूह कार्य और प्रयोगशाला गतिविधियां शामिल होंगी। अंतिम अवधि मूल्यांकन अर्थात आईटीएमएस का उपयोग योग्यता – आधारित मूल्यांकन के साथ जारी रहेगा। इसमें शिक्षक प्रश्न बैंक से चयन करेंगे ।टर्म – 2 में प्रोजेक्ट वर्क , वाईवा, के साथ पेपर प्रेजेंटेशन और ग्रुप डिस्कशन के साथ रचनात्मक मूल्यांकन भी शामिल होंगे।
डॉ संजय गुप्ता ने कहा कि मूल्यांकन की इस पद्धति से विद्यार्थियों का वास्तविक स्त शिक्षक और अभिभावक जान पाएंगे। यदि शिक्षक पूरी ईमानदारी से मूल्यांकन के कार्य को संपन्न करें तो हमारे समक्ष विद्यार्थी की वास्तविक प्रगति प्रस्तुत होगी। इसका सबसे बड़ा लाभ यह भी होगा कि कई विद्यार्थी 9वीं और 11वीं कक्षा को सीरियसली नहीं लेते ।यह सोचकर कि इसका पेपर तो स्कूल में ही जांचा जाएगा। होम एग्जाम्स को गंभीरता से विद्यार्थियों के द्वारा नहीं लिया जाता है ,उनको यह पता चलेगा कि प्रत्येक कक्षा के प्रति उन्हें गंभीर होना पड़ेगा ,अन्यथा कक्षा 12वीं के परीक्षा परिणाम में उसका असर दिखेगा ।यह इस दृष्टि से भी भी महत्वपूर्ण है।
तात्पर्य यहभाई की प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से विद्यार्थी शिक्षा वा ज्ञान के करीब आयेंगे और अध्ययन के प्रति गंभीर होंगे।