रायपुर। शराब पीकर गाड़ी चलाने वालों के खिलाफ रायपुर पुलिस ने फिर से विशेष धरपकड़ अभियान शुरू कर दिया है। पिछले दो दिनों के भीतर शहर के अलग-अलग स्थानों पर यातायात पुलिस ने 100 से अधिक शराबी वाहन चालकों को पकड़ा। वहीं एक हफ्ते के भीतर 200 से अधिक चालकों को नशे की हालत में गाड़ी चलाते हुए पकड़ा गया है। इनके खिलाफ मोटर व्हीकल एक्ट की कार्रवाई कर वाहन को जब्त कर लिया गया। अब ये प्रकरण नौ मार्च को होने वाली लोक अदालत शिविर में पेश करने की तैयारी है।
एडिशनल एसपी ट्रैफिक सचिंद्र चौबे ने बताया कि जिले में लगातार सड़क हादसे में हो रही मौतों को रोकने पुलिस ने कमर कस ली है। शराब के नशे में बिना हेलमेट दोपहिया और बिना सीट बेल्ट लगाए चार पहिया वाहन चलाने से ज्यादातर हादसे में मौतें हो रही हैं। इसे ध्यान में रखकर यातायात अमले को अलर्ट कर शराबी वाहन चालकों की धरपकड़ करने के निर्देश दिए गए हैं। शहर के भीतर चौक-चौराहे और आउटर इलाके में तैनात यातायात के जवान खासकर रात के समय ब्रेथ-एनालाइजर मशीन से टेस्ट यानी सांसों में एल्कोहल की मात्रा जांचने का परीक्षण कर आसानी से यह पता लगा लेते हैं कि वाहन चालक नशे में हैं या नहीं। इसके आधार पर शराबी चालक की पहचान कर मौके पर ही उसके वाहन को जब्त कर लिया जा रहा है। इसी कड़ी में पिछले दो दिनों में सौ से अधिक और हफ्ते भर में दो सौ से अधिक शराबी वाहन चालकों को पकड़कर उनके वाहनों को जब्त कर लिया गया है। मामले में एमवी एक्ट की धारा 185 के तहत कार्रवाई कर प्रकरण न्यायालय में पेश करने की तैयारी की गई है।
शराब पीकर वाहन चलाने वालों पर न्यूनतम दस हजार रुपये जुर्माना होने के कारण वाहन चालक पुलिस को चौक-चौराहे पर खड़े देखकर दाएं-बाएं होकर भागने की कोशिश भी करते हैं। वहीं पुलिस के हत्थे चढ़ने पर मामला कोर्ट में करने का प्राविधान है। यहां से अधिकतम जुर्माना भरने का आदेश होने से वाहन चालक दोबारा शराब पीकर वाहन चलाने से तौबा भी करने लगे हैं।
एएसपी ट्रैफिक ने बताया कि फर्राटा भरने वाले ज्यादातर स्पीड बाइकर्स अपने बुलेट, स्टाइलिश और महंगे दोपहिया वाहनों के साइलेंसर को मा़डिफाइ़ड करा लेते हैं। इन साइलेंसरों से पटाखा फूटने जैसी आवाज निकलती है। ऐसे 80 माडिफाइड साइलेंसर वाले वाहनों पर पुलिस ने कार्रवाई की है। वहीं रंगीन फिल्म लगे 42 वाहन को पकड़ा गया है, जबकि बिना हेलमेट के दोपहिया वाहन चलाते 2,500 चालकों का चालान काटकर जुर्माना वसूला गया है।
शहर में बाइक और कारों में छेड़छाड़ करके उनकी आवाज को बदला जा रहा है। बाइक में मोडिफाइड साइलेंसर लगाकर पटाखे फोड़ने, गोली चलने और धमाका होने जैसी आवाज निकाली जा रही है। इनकी कर्कश आवाज से राहगीर विचलित तो हो ही रहे हैं, गली-मुहल्लों में महिलाएं और बीमार बुजुर्ग भी बहुत परेशान हैं। कोई भी बड़ी कंपनी मोडिफाइड साइलेंसर नहीं बनाती, लेकिन बाजार में एससी, एक्रापाल, इंडोरेंस, पंजाब ढोलकी, इंदौर आदि कई नाम से मोडिफाइड साइलेंसर धड़ल्ले से दुकानों में बिक रहे हैं। इनकी कीमत 1,500 से 4,500 रुपये तक की है, जबकि फिटिंग चार्ज अलग से लिया जाता है। बुलेट चालक को जुर्माना भरने के बाद भी नुकसान उठाना पड़ रहा है। पुलिस जुर्माने की राशि वसूलने के साथ ही माडिफाइड साइलेंसर भी जब्त कर रही है। इसे वापस बुलेट चालक को नहीं दिया जाता। बुलेट चालक को कंपनी द्वारा दिया गया साइलेंसर ही लगाना पड़ता है। इसे लगाने के लिए भी उसे मैकेनिक को रुपये देने होते हैं और थाने में ही इसे लगाया जाता है। जब्त साइलेंसर का बाजार में भाव करीब दो से तीन हजार रुपये है। साइलेंसर वापस नहीं मिलने से चालक को दोहरी चपत लगती है।