Sunday, March 9, 2025

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नारी है तो जग है, उसकी मेहनत और साहस से ही जीवन है- डॉ संजय गुप्ता

हर महिला में एक असीम शक्ति होती है, जिसे पहचानना और सम्मानित करना हमारी जिम्मेदारी है-डॉ संजय गुप्ता

महिला होने का मतलब है, साहस, संघर्ष और सफलता का प्रतीक-डॉ संजय गुप्ता

भारतीय संस्कृति में नारी के सम्मान को बहुत महत्तव दिया गया हैं बच्चों में संस्कार भरने का काम माँ के रुप में नारियों के द्वारा ही किया जाता है- डॉ संजय गुप्ता

आई0पी0एस0-दीपका में किया गया महिलाओं का सम्मान

नारी की शक्ति और सामर्थ्य को दर्शाती नृत्य ने सबका मन मोहा

नारी सर्वदा ही पूजनीय और वंदनीय रहीं हैं-डॉ0 शशि सिंधु प्रेसिडेंट, एसीबी इंडिया लिमिटेड

विश्व महिला दिवस विश्वभर का महिलाओं को सम्मान देने का दिन है -डॉ0 ज्योति नरवाल विशिष्ट अतिथि

दीपका-कोरबा//
सदियों से महिलाएँ विभिन्न प्रकार के अत्याचार और दमन का सामना करती रही हैं।इतिहास गवाह है कि मुगल काल से लेकर आज पर्यंत महिलाओं पर अत्याचार या प्रताड़ना की खबर हम प्रतिदिन समाचार पत्र में पढ़ते रहते हैं।कहने को तो आज विज्ञान ने तरक्की कर ली है, दुनिया बहुत आगे जा चुकी है,पर आज भी समाज में महिलाओं के प्रति अत्याचार और शोषण की घटनाएँ आम हो चुकी हैं।यह पुरुष प्रधान देष की ओछी मानसिकता प्रदर्षित करता है।
कहा जाता है जहाँ नारी की पूजा होती है,वहाँ देवता निवास करते हैं।यह बात सौ फीसदी सत्य भी है।यदि हम वाकई नारियों का सम्मान करें इस बात में कोई संदेह नहीं कि हमारा घर-परिवार एवं सर्वत्र सुख-षांति का वातावरण रहेगा।आज महिलाएँ प्रत्येक क्षेत्र में अपनी काबिलियत का लोहा मनवा रही हैं। वह सामाजिक क्षेत्र हो,राजनीतिक क्षेत्र हो,आर्थिक क्षेत्र हो या औद्योगिक क्षेत्र हो।प्रत्येक क्षेत्र में महिलाओं ने अपनी उपस्थिति से पुरुषों को यह बता दिया है कि वे किसी से कम नहीं हैं।
समाज में महिलाओं के योगदान व उपलब्धियों पर ध्यान केंद्रित करने के लिए विष्वभर में 8 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है।
आज महिलाओं ने सड़क से लेकर संसद तक और जमीन से लेकर आसमान तक अपनी काबिलियत का लोहा मनवाया है और पुरुषों को दाँतों तले उंगली दबाने पर मजबूर कर दिया है। आज महिलाओं के प्रति पुरुषों की सोच में बदलाव आया है। पर आज भी हम गाहे-बगाहे महिला उत्पीड़न की खबरों से सिहर जाते हैं। आज तक जिन क्षेत्रों में केवल पुरुषों का ही वर्चस्व था,उन क्षेत्रों में भी हमारे राष्ट्र की बेटियों ने अपनी पहचान बनाई है।हम बात कर रहे हैं फायटरप्लेन की, जिसे पहली बार महिला पायलट के रुप में रीवा(म0प्र0) की अवनी चतुर्वेदी,बगुसराय की ने उ़ड़ाया। धुर नक्सल क्षेत्र कहे जाने वाले गीदम दंतेवाड़ा (छ0ग0) की रेलवे लोको पायलट श्रीमती प्रतिभा एस बंसोड़ ने सफलतापूर्वक अपने कार्य को अंजाम तक पहुँचाया और एक बार फिर महिलाओं ने अपनी सफलता का परिचय दिया।ऐसे कई मिसाल हैं जिससे साबित होता है कि आज महिलाएँ किसी भी स्तर पर पुरुषों से कम नहीं हैं।
दीपका स्थित इंडस पब्लिक स्कूल में नारी सम्मान का पर्व अंतराष्ट्रीय महिला दिवस ,नारी सशक्तिकरण के रुप में बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। कार्यक्रम का सफल संचालन सुश्री ईशा राय एवं सुश्री पारुल पदवार ने किया।कार्यक्रम के प्रारंभ में प्रमुख रुप से आमंत्रित अतिथियों- डॉ0 शशि सिंधु (प्रेसिडेंट एसीबी इंडिया लिमिटेड), डॉ0 ज्योति नरवाल , श्रीमती वंदना चौधरी, श्रीमती चंद्रा दहिया विशेष रुप से उपस्थित थे। अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के इस पावन अवसर पर विद्यालय में विविध कार्यक्रमों का आयोजन किया गया।सर्वप्रथम अपने-अपने क्षेत्र में सफल महिला अतिथियों को विद्यालय की शिक्षिका श्रीमती रूम्की हालदार एवं श्रीमती अलका वैष्णव के द्वारा तिलक लगाकर एव ंपुष्प्गुच्छ देकर स्वागत किया गया । कार्यक्रम की शुरुआत माँ सरस्वती के तैल्य चित्र परमाल्यार्पण एवं दीप प्रज्जवलन से हुई।कार्यक्रम में उपस्थित अतिथयों के प्रति सम्मान एवं स्नेह प्रकट करते हुए आई0पी0एस0-दीपका की शिक्षिकाओं ने कर्णप्रिय गीत की प्रस्तुति दी।
तत्पश्चात विद्यालय के नृत्य प्रशिक्षक हरि शंकर सारथी एवं रुमकी हलधर के दिशानिर्देशन में आगंतुक महिलाओं ने आकर्षक नृत्य की प्रस्तुति दी जो कि नारी सशक्तिकरण थीम पर आधारित थी।विद्यालय की शिक्षिकाओं द्वारा भी विश्व भर में नारी की महिमा को मंडित करती नयनाभिराम नृत्य की प्रस्तुति दी गई। आगंतुक महिलाओं के लिए विद्यालय में रोचक खेलों का भी आयोजन किया गया।इन खेलों में बॉल ऑन द कप गेम का सभी ने भरपूर आनंद लिया।
आगंतुक विशिष्ट अतिथि डॉ0 ज्योति नरवाल ने प्रेरक एवं कर्णप्रिय कविता की प्रस्तुति दी। हरिशंकर सारथी सर, श्रीमती रूमकी हालदार एवं श्रीमती अलका वैष्णव के द्वारा नयनाभिराम नृत्य की प्रस्तुति दी गई। सुश्री श्रद्धा मैडम ने नयनाभिराम कत्थक नृत्य की प्रस्तुति दी।कार्यक्रम में विशेष रुप से आमंत्रित महिलाओं को उनके समाज को दिए अनेक सामाजिक कार्य से संबंधित योगदान हेतु प्रोत्साहित करने के उद्देष्य से प्रमाण-पत्र और मेडल देकर सम्मानित किया गया। गौरतलब है कि ये वे महिलाएँ जिन्होंने अद्वितीय साहसिक व समाजिक कार्य कर नारी सशक्तिकरण की दिशा में अतुलनीय योगदान दिया है। विद्यालय में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर में उपस्थित अभिभावकों में भी गीत एवं नृत्य के माध्यम से विश्व की महिलाओं के प्रति सम्मान प्रकट किया। विद्यालय के शिक्षक श्री सुधीर साहू सर एवं शिक्षिका श्रीमती सोमा चौधरी मैडम के द्वारा कर्ण प्रिय युगल गीत की प्रस्तुति दी गई।कार्यक्रम उपस्थित सभी अभिभावकों हेतु स्वल्पाहार की भी व्यवस्था की गई थी।


कार्यक्रम में उपस्थित मुख्य अतिथि डॉ0 शशि सिंधु ने कहा कि आज नैतिक शिक्षा अति अनिवार्य है। आज महिलाओं को शिक्षित होने के साथ-साथ ही साथ स्वावलंबी होना अतिअनिवार्य है।समाज बदलेगा तो परिवार बदलेगा; परिवार बदलेगा तो अच्छे राष्ट्र का निर्माण होगा। नारी ने समस्याओं का सामना करते हुये भी समाज और देश के उत्थान में कोई कसर नहीं छोड़ी है। महिलाएं परिवार बनाती है, परिवार घर बनाता है, घर समाज बनाता है और समाज ही देश बनाता है। इसका सीधा सीधा अर्थ यही है की महिला का योगदान हर जगह है। महिला की क्षमता को नज़रअंदाज करके समाज की कल्पना करना व्यर्थ है।
डॉ0 ज्योति नरवाल (विशिष्ट अतिथि) ने कहा कि आज का दिन विश्व भर में महिलाओं को सम्मान देने का दिन है। हम आज के ही दिन क्यों महिलाओं के प्रति हमारे हृदय में हमेशा सम्मान रहना चाहिए। कहा भी जाता है -यत्र नारयस्तु पुज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता।अतः हमें सदा नारियों का सम्मान करना चाहिए।आज हमें महिलाओं के नाम पर ही सम्मान नहीं अपितु उनके कार्यों एवं उपलब्धियों को देखकर सम्मान करना चाहिए।नारी यह समाज का मूल आधार है तथा ईश्वर द्वारा समाज को दिया गया खूबसूरत उपहार है। जो समाज में नारी, बहन, मां, पत्नी बेटी का रिस्ता निभाती है । सुन्दरता का दूसरा नाम स्त्री है । जब कभी भी सुन्दरता की बात आती है, तो हमेशा उनका वर्णन किये बगैर रह नहीं सकते ठीक उसी प्रकार नारी की सुन्दरता को भी नहीं नकारा जा सकता ।
श्रीमती रेखा सहारन ( विशिष्ट अतिथि) ने कहा कि महिला दिवस हर साल 8 मार्च को मनाया जाता है और इसका उद्देश्य महिलाओं को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करना और उन्हें सम्मान देना है।हर साल महिला दिवस पर एक विशेष थीम जुड़ी होती है, जो उस दिन के लिए बहुत बड़ी भूमिका रखती हैं. ऐसे में इस साल अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस 2025 की थीम “एक्सीलरेट एक्शन” रखी गई है. जिसका मतलब “तेजी से कार्य करना” है.। अर्थात आज महिलाएं हर क्षेत्र में पुरुष वर्ग के साथ कदम से कदम मिलाकर चल रही हैं,और आगे भी चलती रहेंगी। उनकी क्षमताओं का अंदाजा लगाना मुश्किल है। महिला के बिना पृथ्वी में जीवन अधूरा है। महिला शक्ति का जीता जागता स्वरूप है, हमें सदा उनका सम्मान करना चाहिए।

कार्यक्रम को सफल बनाने में विद्यालय के शिक्षक-शिक्षकाओं का विशेष सहयोग रहा एवं प्राचार्य महोदय डॉ0संजय गुप्ता ने आमंत्रित अतिथियों को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया।

विद्यालय के प्राचार्य डॉ0संजय गुप्ता ने कहा कि आज कोई भी क्षेत्र महिलाओं की उपस्थिति से अछूता नहीं है, वे प्रत्येक क्षेत्र में अपनी सफलता का परचम लहरा रहीं हैं। भारतीय संस्कृति में नारी के सम्मान को बहुत महत्तव दिया गया हैं। बच्चों में संस्कार भरने का काम माँ के रुप में नारियों के द्वारा ही किया जाता है।नारी प्रकृति की अनुपम देन है; नारी धरती से भी ज्यादा सहनशील है।उसके अंदर हर प्रकार की योग्यताएँ एवं कुशलताएँ भरी हुई हैं। यह दिवस हमें महिलाओं द्वारा समाज में दिए गए योगदान, उनके संघर्ष तथा उनके सामने आने वाली चुनौतियों की याद दिलाता है। इस दिन उन्हें यह ऐहसास कराया जाता है कि वह हमारे लिए कितनी खास हैं। भारत में आजादी के बाद लगातार सुधारों से महिलाओं को पुरुषों की तरह सशक्त बनाया गया है। वह आज स्वावलंबी और स्वतंत्र है।आधुनिक समाज में महिलाओं ने शिक्षा, व्यवसाय, राजनीति, खेल, अंतरिक्ष, और अन्य कई क्षेत्रों में अपना योगदान दिया है. वे देश की अर्थव्यवस्था को मज़बूत करने में भी अहम भूमिका निभा रही हैं।

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