70% दिव्यांग महिला को आंगनवाड़ी में नियुक्ति से ठहराया गया अयोग्य
कोर्ट ने कहा कि शारीरिक फिटनेस के बिना आंगनवाड़ी कार्य में मुश्किलें हो सकती हैं
अहमदाबाद//
आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओें की नियुक्ति को लेकर हाईकोर्ट ने एक अहम फैसला दिया है। हाईकोर्ट ने 70 फीसदी दिव्यांग महिलाओं की नौकरी को अयोग्य घोषित कर दिया गया है। मामले में न्यायमूर्ति ए.एस. सुपेहिया और न्यायमूर्ति गीता गोपी डबल बेंच में सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि ऐसे लोगों को नियुक्ति देकर लगती की गई है। उन्होंने कहा कि “अपीलकर्ता प्राधिकारियों को मेडिकल फिटनेस के मुद्दे पर आगे जांच करने की आवश्यकता नहीं है और उन्हें केवल इस निष्कर्ष पर पहुंचना है कि मेडिकल प्रमाणपत्र पर्याप्त है या नहीं।”
हाई कोर्ट ने अधिकारियों की अपील को गुण-दोष के आधार पर स्वीकार कर लिया और एकल न्यायाधीश के फैसले को रद्द कर दिया। यह मामला 70 फीसदी दिव्यांग महिला से जुड़ा हुआ था, जिसने आंगनवाड़ी की परीक्षा पास की थी, लेकिन उसे नौकरी नहीं दी गई, क्योंकि वह 70 फीसदी विकलांग थी। दरअसल एक महिला ने आंगनवाड़ी में नौकरी के लिए आवेदन किया था और शुरुआत में उसका चयन भी हुआ, लेकिन डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन के दौरान सामने आया कि महिला 70 फीसदी विकलांग है। महिला ने फिटनेस सर्टिफेकिट में जमा किया था, लेकिन उसे नौकरी नहीं दी गई। महिला ने अदालत में मामले को चुनौती दी और एक जज की बेंच ने महिला के हित में फैसला सुनाया। इस पर अधिकारियों ने याचिका लगाई और दो जजों की बेंच फैसला पलटते हुए महिला को नौकरी के लिए अयोग्य करार दिया।
दो जजों की बेंच ने कहा कि महिला 40 फीसदी से ज्यादा दिव्यांग है। ऐसे में उसे आंगनवाड़ी से जुड़े काम करने में परेशानी होगी। आंगनवाड़ी में महिलाओं को छोटे बच्चों के पोषण का ध्यान रखना होता है। गर्भवती महिलाओं की भी सेहत का ध्यान रखना होता है। बच्चे के जन्म के बाद टीकाकरण और सेहत से जुड़ी अन्य जरूरतों का ध्यान रखना होता है। किसी बच्चे के बीमार होने पर उसे अस्पताल तक ले जाना और समय-समय पर अपडेट लेना होता है। इस सिलसिले में कई बार बच्चों और महिलाओं के घर तक जाना पड़ता है। बच्चों की प्री स्कूलिंग के लिए उन्हें घर से आंगनवाड़ी केंद्र तक और केंद्र से घर तक छोड़ना होता है। इन सभी तरह के काम करने के लिए शारीरिक फिटनेस जरूरी है। इसी वजह से महिला को आंगनवाड़ी की नौकरी के लिए अयोग्य पाया गया।