गेवरा, दीपका और कुसमुंडा तीनों मेगा परियोजना लक्ष्य से चल रहे पीछे

कोरबा छत्तीसगढ़
  • एसईसीएल को मिला हैं 197 मिलियन टन कोयला उत्पादन का लक्ष्य
  • कोरबा ।

सार्वजनिक क्षेत्र के वृहद उपक्रम कोल् इंडिया के अधीन संचालित एसईसीएल बिलासपुर की कोरबा-पश्चिम क्षेत्र में स्थापित खुले मुहाने की गेवरा कोयला परियोजना अंतर्गत एसईसीएल की मेगा प्रोजेक्ट गेवरा, दीपका और कुसमुंडा खदान को सालाना 197 मिलियन टन कोयला उत्पादन का लक्ष्य दिया गया हैं। इस लक्ष्य का अधिकांश कोयला जिले की तीनों मेगा परियोजना गेवरा, दीपका और कुसमुंडा से खनन किया जाना हैं। वित्तीय वर्ष के आठ माह में तीनों ही मेगा परियोजना लक्ष्य से पीछे चल रही हैं। मेगा परियोजनाओं के लक्ष्य से पिछडऩे के कारण अफसरों की चिंता बड़ी हुई हैं। लगातार में इन परियोजनाओं का दौरा कर उत्पादन और प्रेषण बढ़ाने पर जोर दिया जा रहा हैं। कोयला उत्पादन में मेगा परियोजनाओं के पिछडऩे से एसईसीएल मुख्यालय के उच्च अधिकारी चिंतित हैं। स्थानीय प्रबंधन पर जमीन से संबंधित समस्या का हल निकालने का दबाव हैं। विस्तार में देरी हो रही हैं। कोयला उत्पादन को लेकर मेगा परियोजनाओं की स्थिति एसईसीएल के लिए संतोषजनक नहीं हैं। वह मेगा परियोजनाओं में उत्पादन में पिछड़ता जा रहा हैं। इसका असर रोजाना कोयला खनन के लक्ष्य पर पड़ रहा हैं। मंजिल तक पहुंचने के लिए एसईसीएल की मेगा परियोजनाओं के प्रबंधन पर रोजाना भारी-भरकम कोयला खनन का दबाव हैं। वर्तमान साधन संसाधन के बूते यह राह मुश्किल दिखाई दे रही हैं। चालू वित्तीय वर्ष में कुसमुंडा प्रबंधन के समक्ष 50 मिलियन टन कोयला उत्पादन की चुनौती हैं। यहां तक पहुंचने के लिए प्रबंधन लगातार प्रयास कर रहा हैं। मगर बड़ी मुश्किल 1.60 लाख टन से लेकर 1.70 लाख टन कोयला बाहर निकल पा रहा हैं। इधर नवंबर का महीना एसईसीएल के लिए संतोषजनक रहा हैं। नवंबर में कंपनी ने 14.76 मिलीयन टन कोयला उत्पादन किया है। इसमें मेगा प्रोजेक्ट गेवरा का योगदान सबसे अधिक हैं। कुसमुंडा और दीपका बदौलत एसईसीएल 14 मिलीयन मिलियन टन तक पहुंचा हैं। इससे स्थानीय प्रबंधन के साथ-साथ कोयला कंपनी की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं।