

जिले की कोयला खदान विस्तार परियोजनाओं से प्रभावित भू-विस्थापित परिवारों की पीड़ा से कराया अवगत
कोरबा//
पूर्व राजस्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल ने कोरबा जिले में एस.ई.सी.एल. प्रबंधन द्वारा संचालित विभिन्न कोयला खदानों में किए जा रहे उत्खनन कार्य अथवा विस्तार परियोजनाओं के लिए अधिग्रहण हेतु चिन्हित भूमि से प्रभावित होने वाले परिवारों को प्राथमिकता के आधार पर उचित मुआवजा, व्यवस्थापन एवं रोजगार प्रदान किए जाने के सम्बंध में केन्द्रीय कोयला मंत्री जी. किशन रेड्डी को पत्र लिखा है। जयसिंह अग्रवाल ने पत्र लिखा है कि विगत दिनों गेवरा विस्तार परियोजना में कोयला मंत्री का आगमन हुआ और कोयला उत्खनन से लेकर डिस्पैच तक की विभिन्न गतिविधियों का जायजा लिया। उत्पादन लक्ष्य हासिल करने की ओर अग्रसर प्रबंधन की तारीफ भी मंत्री ने किया और लक्ष्य हासिल करने की दिषा में उत्पन्न हो रहे गतिरोधों को दूर करने अनेक महत्वपूर्ण सुझाव भी उनके द्वारा दिया गया। एस.ई.सी.एल. प्रबंधन के अधिकारियों ने वाहवाही लूटने के लिए केवल उजला पक्ष ही कोयला मंत्री के समक्ष रखा।
जयसिंह अग्रवाल ने पत्र में कोरबा जिला में संचालित विभन्न कोयला खदानों में व्याप्त विसंगतियों की तरफ कोयला मंत्री का ध्यान आकृष्ट करते हुए लिखा है कि गेवरा, दीपका, मानिकपुर कोरबा, कुसमुण्डा अथवा अन्य खदानों के लिए अधिग्रहीत की गई भूमि के मूल किसानों व भू-स्वामियों में से जिन परिवारों को विस्थापित होना पड़ा है, आज तक उन्हें नियमानुसार व्यवस्थापन जैसे उचित मुआवजा, बसाहट हेतु बुनियादी सुविधाएं यथा सड़क, पानी, बिजली, चिकित्सा और बच्चों की शिक्षा के लिए स्कूल आदि के साथ ही योग्य युवाओं को सहयोगी कम्पनियों के जरिए प्राथमिकता के आधार पर यथा योग्य रोजगार उपलब्ध करवाया जाय ताकि उन परिवारों को किसी प्रकार के आंदोलन का सहारा न लेना पड़े। पूर्वमंत्री ने अपने पत्र में यह भी लिखा है कि वास्तव में भू-विस्थापित परिवारों के लोगों को एसईसीएल प्रबंधन ही आंदोलन के लिए मजबूर करता है। हर बार केवल बैठकों के माध्यम से आश्वासन दियाजाता है और फिर कोई कार्रवाई नहीं की जाती है। वास्तव में पीडि़त परिवार आंदोलन करने मजबूर होते हैं और प्रबंधन से वे कोई भीख नही ंमांगते हैं अपितु अपने हक की मांग करते हैंं जिनकी जमीन अधिग्रहित कर प्रबंधन कोयला उत्खनन कर लक्ष्य हासिल करता है उनकी समस्याओं का समाधान भी प्रबंधन को ही करना होगा। प्रबंधन की गैर जिम्मेदाराना कार्यषैली की वजह से ही भू-विस्थापित परिवारों को अनेक विसंगतियों का खामियाजा भुगतना पड़ता है।
जयसिंह अग्रवाल ने पत्र में कोयला मंत्री से आग्रह किया है कि वे व्यक्तिगत रूचि लेकर मानवीय संवेदना के तहत एक निर्धारित समय सीमा में विस्थापित हुए परिवारों की समस्याओं का समाधान करने हेतु संबंधित अधिकारियों को निर्देशित करें। पत्र में आगे यह भी लिखा गया है कि गेवरा, मानिकपुर कोरबा, कुसमुण्डा अथवा दीपका सहित कोरबा जिले की कोयला खदानों में विस्तार कार्यक्रम के तहत अधिग्रहित की जाने वाली भूमि से प्रभावित होने वाले परिवारों को नियमानुसार समुचित व्यवस्थापन चरणबद्ध तरीके से यदि पहले ही कर दिया जाता है तो अंचल में एक सौहाद्र्रपूर्ण औद्योगिक वातावरण बना रहेगा और भविश्य में पीडि़त परिवारों को किसी आंदोलन हेतु विवष नहीं होना पड़ेगा।
कोयला मंत्री को लिखे गए पत्र में आगे यह भी लिखा गया है कि कोयला खदानों में अपना पसीना बहाकर प्रबंधन के उत्पादन लक्ष्य को हासिल करने हेतु जी तोड़ मेहनत करने वाले खदान मजदूरों की कॉलोनियों में बुनियादी सुविधाओं का नितांत अभाव है। वे सभी मजदूर परिवार कीड़े मकोड़ों जैसी जिन्दगी जीने को मजबूर हैं। मकान क्षतिग्रस्त हो चुके हैं, चारों तरफ कचरे के अंबार दिखाई पड़ते हैं, सड़कों की स्थिति ऐसी है कि पैदल चलना भी मुश्किल है, गर्मी का मौसम अभी शुरू ही हो रहा है लेकिन पानी का संकट गहराने लगा है। उन खदानकर्मियों को प्रबंधन द्वारा बुनियादी सुविधाए ंभी प्राथमिकता के आधार पर उपलब्ध कराए जाने हेतु निर्देशित किए जाने का आग्रह किया गया है, क्योंकि कोयला मंत्रालय को देषभर में संचालित कोयला खदानों के जरिए प्राप्त होने वाले कुल राजस्व में से सर्वाधिक राजस्व कोरबा जिला से ही प्राप्त होता है, अतएव एसईसीएल के पास धन की समस्या होने का प्रश्न ही नहीं उठता।