Sunday, January 19, 2025

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शिक्षा का हर कदम, उज्ज्वल भविष्य का सबब- शिक्षाविद डॉ गुप्ता

इंडस पब्लिक स्कूल दीपका में यूथ पार्लियामेंट सेशन का हुआ शानदार आयोजन

विद्यार्थियों ने पक्ष और विपक्ष की भूमिका में प्रस्तुत किए अपने विचार

नई शिक्षा नीति के फायदे और नुकसान’ था यूथ पार्लियामेंट में बहस का विषय

एक से बढ़कर एक तर्क प्रस्तुत कर युवा विद्यार्थियों ने रखी अपनी बातें

दीपका/ कोरबा I

नई शिक्षा नीति 2020 भारत में शिक्षा के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण परिवर्तन लाने के लिए डिज़ाइन की गई है।

इस नीति के मुख्य उद्देश्यों में से एक यह सुनिश्चित करना है कि बच्चों को उनकी मातृभाषा में शिक्षा मिले, जिससे वे आसानी से समझ सकें और सीख सकें ।

  • मातृभाषा में शिक्षा_: बच्चों को उनकी मातृभाषा में पढ़ने का मौका मिलेगा ¹
  • खेल-खेल में सीखना: पढ़ाई को मज़ेदार बनाया गया है ।
    सिर्फ किताबों का ज्ञान ही नहीं, बल्कि बच्चों में सोचने, समझने और काम करने की क्षमता भी विकसित की जाएगी ।
    स्कूलों में 10+2 फार्मेट के स्थान पर 5+3+3+4 फार्मेट को शामिल किया गया है ।
    नेशनल साइंस फाउंडेशन के तर्ज पर नेशनल रिसर्च फाउंडेशन लाई जाएगी ।
    हालांकि, नई शिक्षा नीति को लागू करने में कुछ चुनौतियाँ भी हैं, जैसे कि शिक्षकों का प्रशिक्षण, संसाधनों की कमी, और अनुवाद की समस्या ¹। लेकिन इन चुनौतियों के बावजूद, नई शिक्षा नीति 2020 भारत में शिक्षा के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण परिवर्तन लाने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है।
    उपरोक्त तथ्यों के मद्देनजर इंडस पब्लिक स्कूल दीपका में मॉक पार्लियामेंट का आयोजन किया गया। इस मॉडल सांसद अधिवेशन में कक्षा आठवी एवं नवमी के विद्यार्थियों ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया एवं संसद में होने वाले अधिवेशन की कार्यवाही को बारीकी से समझने का प्रयास किया। विद्यार्थियों को अलग-अलग दो समूह में विभाजित किया गया था एक समूह पक्ष की भूमिका में अपनी बात रखता था जबकि दूसरा समूह विपक्ष की भूमिका निर्वाह कर रहा था।
    संसद की इस मॉडल अधिवेशन में नई शिक्षा नीति पर बहस का आयोजन किया गया। दोनों पक्षों ने नई शिक्षा नीति के फायदे और नुकसान को बड़े ही प्रभावी तरीके से रखने का प्रयास किया। अच्छे वक्तव्य पर संसद में उपस्थित सदस्य टेबल थपथपाकर स्वागत करते नजर आए। कक्षा आठवीं एवं नवमी के विद्यार्थियों में पायल साहरण, प्रयाग जायसवाल ,अनोखी अग्रवाल ,इशिका अग्रवाल, रितु ,विनीता कंवर, वंशिका सिंह निकिता ,अनुष्का चंद्रा, शिवम सिहाग, साक्षी, वृद्धि राठौर, ईशा सिंह ,अरनव सिंह, प्रतीक कुमार,दीपांश साहू इत्यादि विद्यार्थियों का विशेष सहयोग रहा। मॉक पार्लियामेंट के इस पूरे आयोजन में विद्यालय की वरिष्ट शिक्षिका सुश्री तान्या ज्योत्सना का विशेष योगदान रहा। गौरतलब है कि सभी विद्यार्थियों ने पूरे दमदार तरीके से पक्ष और विपक्ष की भूमिका निभाते हुए सभी तथ्यों पर गहराई से विश्लेषण प्रस्तुत करने का प्रयास किया ।यह सत्र बहुत ही रोचक था। विद्यालय के सभागार को संसद भवन का स्वरूप प्रदान करने का प्रयास किया गया था जहां एक और पक्ष और दूसरी ओर विपक्ष अपनी भूमिका में नजर आए। सभागार में बैठक व्यवस्था भी संसद के अनुरूप व्यवस्थित की गई थी। इस पूरे आयोजन का एकमात्र यह उद्देश्य रहा कि विद्यार्थियों की जानकारी में वृद्धि करना था कि किस प्रकार हमारे देश में कोई बिल या कोई नियम संसद की कार्यवाही में विभिन्न विश्लेषकों के पश्चात पारित होती है।
    शिक्षिका सुश्री तान्या ज्योत्सना ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि इस प्रकार के आयोजन का एकमात्र उद्देश्य विद्यार्थियों की ज्ञान में वृद्धि कर संसद की कार्यवाही से अवगत कराना है विद्यार्थियों के ज्ञान में वृद्धि कर उन्हें यह समझाने का प्रयास करना है कि किस प्रकार कोई नियम हमारे देश के संसद में पारित होता है। क्योंकि यही विद्यार्थी हमारे देश के भविष्य हैं और उन्हें प्रत्येक तथ्यों के बारे में जानना आवश्यक है। उन्हें यह समझाने का प्रयास करना है कि जनता का ,जनता के द्वारा, जनता के लिए ,शासन ही लोकतंत्र है। और वास्तव में लोकतंत्र की कार्यवाही होती कैसे हैं। प्रयास यह था कि विद्यार्थी इन सभी बातों को करीब से जान पाए वह समझ पाएं।संसद सरकार के कार्यों की जांच करती है, नए कानून बनाती है, कर निर्धारित करने का अधिकार रखती है तथा दैनिक मुद्दों पर बहस करती है।
    विद्यालय के यशश्वी प्राचार्य डॉ संजय गुप्ता ने अपने उद्बोधन में कहा कि संसद या संगसद् शब्द कई भारतीय-आर्य भाषाओं में “विधानसभा”, संघ, परिषद या “संसद” के लिए प्रयुक्त होता है, जो संस्कृत मूल से निकला है। कानून को अमल में लाने के पक्ष और विपक्ष पर बहस और बातचीत के बाद, कानून संसद के सदस्यों द्वारा पारित और अनुमोदित किया जाता है। जिसके बाद राष्ट्रपति फिर से कानून की जांच करते हैं और सहमति देने के बाद देश में लागू किया जाता है। सदन में पारित होने के लिए बनाए गए किसी भी कानून को विधेयक कहा जाता है।किसी सामान्य विधेयक को पारित करने के लिए उपस्थित और मतदान करने वाले सदस्यों का केवल साधारण बहुमत आवश्यक होता है। किन्तु संविधान में संशोधन करने वाले विधेयक के लिए सभा की समस्त सदस्य-संख्या के बहुमत तथा प्रत्येक सभा में उपस्थित और मतदान करने वाले सदस्यों के दो-तिहाई से अन्यून बहुमत की आवश्यकता होती है।
    विद्यालय में छात्र सांसद आयोजित करने का एकमात्र उद्देश्य सभी विद्यार्थियों का प्रतिनिधित्व करना तथा विद्यालय का निष्पक्ष प्रतिनिधित्व करना। सभी विद्यार्थियों की बात सुनने और उनके विचारों को संप्रेषित करने के लिए समय निकालना है।विद्यार्थियों को उनके विचारों के बारे में प्रतिक्रिया देने का अवसर प्रदान करना है।स्कूल संसद स्कूल के भीतर छात्र नेतृत्व के लिए अवसर प्रदान करती है जो न केवल अल्पावधि में प्रभावी है बल्कि छात्रों को वास्तविक जीवन के नेतृत्व के लिए तैयार करने में भी मदद करती है । युवा संसद या मॉक पार्लियामेंट आयोजित करने का का मुख्य उद्देश्य विद्यार्थियों को शिक्षा के साथ ‘संसदीय पद्धति तथा प्रक्रिया’ की जानकारी देना है। युवाओं को संसदीय लोकतांत्रिक परम्परा के आधारभूत मूल्यों व प्रक्रियाओं से परिचय कराने में युवा संसद प्रतियोगिता की महत्वपूर्ण भूमिका होती है।
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