हर बच्चे की हर जिज्ञासा ही समाज की नई प्रेरणा – सम्पत्ति है – डॉ. संजय गुप्ता

कोरबा छत्तीसगढ़

दीपका – कोरबा I

हमारा दायित्व यही है की हम बच्चों के लिये जीयें – बच्चों पर हम बोझ नहीं बने .ऊर्जानगरी के प्रसिध्द ख्यातिलब्ध शिक्षाविद डॉ. संजय गुप्ता शिक्षा के क्षेत्र में नित नए-नए आयाम हासिल करते जा रहे हैं । स्पष्ट वक्ता, कुशल मार्गदर्शक, बेबाक राय से क्षेत्र के विभिन्न विद्यार्थियों की शिक्षा से संबंधित विभिन्न समस्या या फिर अभिभावकों का बच्चों के कैरियर या बुरी आदत की लत की समस्या का निराकरण किया हैं । डॉ. संजय गुप्ता से विद्यार्थियों एवं अभिभावकों द्वारा पुछा गया महत्वपूर्ण सवाल इस प्रकार है आप भी अपनी किसी भी समस्या से जूझ रहे हैं तो बेझिझक संजय गुप्ता से पुछ सकते हैं सवाल आपका सवाल प्रत्येक सप्ताह के रविवार के दिन प्रकाशित होगा ।

  1. हम पढ़ाई को आसान कैसे बनाएं?- आदित्य श्रीवास्तव,
    डॉ. संजय गुप्ता- बच्चो… आप पढ़ाई के मायने याद करने से लेते हो। यहीं से समस्या शुरू होती है। आप समझिए कि कोई सब कुछ याद नहीं रख सकता। पढ़ाई को आसान बनाने का तरीका है कि चीजों को याद मत करो, उन्हें खुद करके देखो। याद करके इम्तिहान तो पास कर लोगे, लेकिन सीखना मुश्किल हो जाएगा।
    2.एक शिक्षक को बच्चों के बारे में क्या जानना सबसे ज़रूरी है? संजीव कुमार, कोरबा
    डॉ. संजय गुप्ता-हमारे पास तो थोड़ी ही बातें हैं। और बातें क्या सभी शिक्षकों से अनुरोध हैं। सभी बच्चों की सिखने और समझने की काबिलियत एक समान नहीं होती। इसके लिय पढ़ाने के तरीके को धीमा न करे , बल्कि सामान्य स्तर के बच्चों के समझने लायक उदहारण देते रहे। अपने सामने कभी भी बच्चों में मतभेद उतपन्न न होते दे। बाद में बच्चे दोष लगाने लगते हैं की फलाने अध्यापक सिर्फ कुछ ही बच्चों पर ध्यान देते हैं।
  2. बच्चों के सबसे अच्छे शिक्षक कौन हो सकते हैं? और क्यों? निर्भय कुमार, कटघोरा
    डॉ. संजय गुप्ता-बच्चों के सबसे अच्छे शिक्षक वही हो सकते हैं, जो बच्चे को उसके अपने देश का एक अच्छा नागरिक बनने मे सहयोग करें और संसार मे शान्ती स्थापित करने मे सक्षम बनाएँ।
  3. ऐसा क्यों होता है कि विद्यालय में शिक्षक ज्यादा जानने वाले बच्चे की ओर झुकाव रखते हैं, जबकि शिक्षक को सभी बच्चों पर समान ध्यान देकर उनसे समान व्यवहार करना चाहिए? रितु नैन, दिपका
    डॉ. संजय गुप्ता-जो बच्चे चीज़ों को जल्दी सीखते हैं और अपने अध्यापक की सारी बातें मानते हैं उनकी तरफ स्वाभाविक ही अध्यापक का झुकाव ज्यादा हो जाता है।उनको समझाने के लिए अध्यापक को ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ती।वे अनुशासन रखते हैं। बाहर से कोई आकर जब कुछ पूछता है और बच्चे जवाब देते हैं तो अध्यापक को गर्व होता है।
  4. क्या सिर्फ विद्यालय में पढ़ाने वाला ही शिक्षक है या हमको जो कोई भी सिखाता है, वह शिक्षक है? अन्नू टंडन, कटघोरा
    डॉ. संजय गुप्ता-जी बिल्कुल हर व्यक्ति जिससे आप कुछ न कुछ सीखते हो वह आपका शिक्षक है। एक शिक्षक का कार्य उसके छात्र को शिक्षा देकर उसके व्यवहार में सकारात्मक परिवर्तन लाना है। यदि कोई आपको कुछ ऐसा सिखा रहा है जिससे आपके व्यवहार में कोई भी सकारात्मक परिवर्तन आ रहा हो तो यकीनन वह व्यक्ति या विद्यालय में हो या विद्यालय के बाहर आपका शिक्षक ही कहलाएगा।
  5. रोहन मिश्रा, अंबिकापुर- आज दिन-प्रतिदिन शिक्षण-संस्थाओं में आपसी प्रतिद्वदिता के कारण अभिभावक भ्रमित हो जाते हैं कि अपने बच्चों को किस विद्यालय में प्रवेश दिलाएँ ? ऐसी स्थिति में क्या करें ?
    डॉ. संजय गुप्ता-देखिए आज हम 21 वीं सदी में हैं और आज इंटरनेट ने हर क्षेत्र को प्रभावित किया है । जाहिर है जो दिखता है वह बिकता है वाली कहावत ही चरितार्थ हो रही है । लेकिन एक जिम्मेदार अभिभावक होने के नाते हमें अपने बच्चों के भविष्य के लिए दिखावे में न जाकर किसी भी शिक्षण संस्थाओं के विगत कुछ वर्षों की शैक्षणिक उपलब्धियों एवं अन्य उपलब्धियों पर अवश्य विचार करना चाहिए क्यांकि एक अच्छे पहनावे और परिवेश से ज्यादा महत्वपूर्ण एक अच्छी शिक्षा होती है ।
  6. आज विद्यार्थियों में तनाव ज्यादा है ? आखिर इसके कारण और निदान क्या हो सकते हैं ?
    डॉ. संजय गुप्ता-तनाव का एक मुख्य कारण तो विद्यार्थियों की तेजी से बदलती जीवनशैली है और दूसरा कारण यह भी है कि हम निरंतर उन पर शैक्षणिक दबाव डाल रहे हैं साथ ही उनको भावी योजनाओं एवं उपलब्धियों का सब्जबाग दिखाकर उनका जाने-अनजाने में बचपन भी छीन रहे हैं । इनके निदान हेतु हमें उन्हें खुलकर उनका बचपन जीनें देना चाहिए साथ ही हमें निरंतर उन्हें प्रोत्साहित करते रहना चाहिए ।