पटना।
बिहार में B. Ed शिक्षकों की नौकरी खतरे में हैं। पटना हाई कोर्ट के निर्देश के बाद 22 हजार शिक्षकों की नौकरी जाने वाली है। बुधवार को सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए पटना हाईकोर्ट ने प्राइमरी शिक्षकों के लिए बैचलर ऑफ एजुकेशन B. Ed डिग्री धारकों को अयोग्य घोषित कर दिया है। साथ ही कोर्ट ने एनसीटीई की ओर से 28 जून 2018 को जारी अधिसूचना को कानूनी तौर पर गलत करार दिया है।
हाई कोर्ट ने इस फैसले में स्पष्ट किया कि बीएड डिग्रीधारी प्राथमिक विद्यालय के शिक्षक के पात्र नहीं हैं। हाई कोर्ट ने यह भी कहा है कि इस आधार पर की गई नियुक्तियों पर दोबारा काम करना होगा। वर्ष 2010 की एनसीटीई की मूल अधिसूचना के अनुसार योग्य उम्मीदवारों को केवल उसी पद पर जारी रखा जा सकता है जिस पर उन्हें नियुक्त किया गया है।
मालूम हो कि, बिहार में छठे चरण की शिक्षक नियुक्ति 2021 में हुई थी। इस नियुक्ति प्रक्रिया के बाद पटना हाईकोर्ट में कई याचिकाएं दायर की गई थीं जिसमें बीएड पास अभ्यर्थियों को प्राइमरी स्कूलों में शिक्षक के पद पर नियुक्ति पर रोक लगाने की मांग की थी। मुख्य न्यायाधीश के. विनोद चंद्रन एवं न्यायाधीश राजीव राय की खंडपीठ ने ललन कुमार एवं अन्य द्वारा दायर याचिकाओं को स्वीकृति देते हुए उक्त आदेश दिया। खंडपीठ ने स्पष्ट किया कि प्राथमिक कक्षाओं में केवल डीएलएड डिग्री प्राप्त शिक्षकों की नियुक्ति की जाएगी। याचिकाकर्ताओं ने 28 जून, 2018 को एनसीटीई द्वारा जारी अधिसूचना को चुनौती दी थी, जिसमें प्राथमिक कक्षाओं में बीएड डिग्रीधारक शिक्षकों को योग्य माना गया।
इस अधिसूचना को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गयी थी। सुप्रीम कोर्ट ने इसे रद्द कर दिया था। एनसीटीई द्वारा 28 जून, 2018 को अधिसूचना जारी कर कहा गया था कि बीएड डिग्रीधारी प्राथमिक कक्षाओं में बतौर शिक्षक के पद की नियुक्ति के लिए योग्य होंगे। उन्हें प्राथमिक शिक्षा में 2 वर्षो के भीतर 6 माह का एक ब्रिज कोर्स किए जाने का प्रावधान किया था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने सर्वेश शर्मा बनाम केंद्र सरकार व अन्य के मामलें में एनसीटीई के उस अधिसूचना को रद्द कर दिया। पटना हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से यह भी कहा है कि जो शिक्षकों के पद खाली हुए हैं उसे कैसे भरा जाए इसपर भी सरकार फैसला ले।