धमतरी । विश्व पर्यावरण दिवस पर जिले में अनेक कार्यक्रम आयोजित किए गए। इसी कड़ी में फसल चक्र परिवर्तन, जैविक खेती एवं पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने पर ग्राम पंचायत परसतराई को जिला प्रशासन द्वारा सम्मानित किया गया। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कलेक्टर नम्रता गांधी ने कहा कि परसतराई गांव आज जिले के लिए पाठशाला बन गयी है। हम सभी ने यहां आकर सीखा है कि पर्यावरण और जल संरक्षण का कार्य कैसे किया जाता है। उन्होंने कहा कि आपके गांव की इस पहल से आसपास के गांव के लोग भी सीख लेते हुए अपने-अपने गांव में फसल चक्र और जल संरक्षण की दिशा में काम करेंगे।
कलेक्टर ने कहा कि आज परसतराई आकर मुझमें नई ऊर्जा का संचार हो गया है, इससे अब में आगे इस दिशा में और कार्य कर सकूंगी। उन्होंने इस सराहनीय पहल के लिए ग्रामीणां को धन्यवाद ज्ञापित किया। इस अवसर पर कार्यक्रम को सीईओ जिला पंचायत रोमा श्रीवास्तव, पुलिस अधीक्षक आंजनेय वार्ष्णेय, डीएफओ श्रीकांत जाधव, सहायक कमांडेंट आषुतोष अवस्थी, अपर कलेक्टर जीआर मरकाम सहित अन्य अधिकारियों ने संबोधित कर गांव की इस सराहनीय पहल की प्रशसा की व बधाई दी।
गांव के पुराने वटवृक्ष को बांधा गया रक्षा सूत्र
पर्यावरण दिवस पर परसतराई में आयोजित कार्यक्रम के आरंभ में कलेक्टर सहित अन्य अधिकारियों और ग्रामीणों की उपस्थित में गांव के पुराने वटवृक्ष पर रक्षा सूत्र बांधकर वृक्षां को सहेजने, उनकी देखभाल करने और अधिक से अधिक वृक्षारोपण करने का संकल्प लिया। इसके साथ ही गांव स्थित पुराने पेड़ों की गणना भी की गयी। इसके साथ ही गांव की बेटियों की संख्या के बराबर नये वृक्ष लगाने का भी संकल्प लिया गया।
सरपंच सहित गांव के लोगो ने बताई अपनी कहानी अपनी जुबानी
कार्यक्रम में ग्राम के सरपंच परमानंद आडिल, यमुना सोनबर , देवी साहू, मीणा साहू , गौरबती धुर्वे, सहित अन्य लोगो ने बताया कि पूर्व में जब हम धान की खेती किया करते थे, तब हमारे गांव में पानी की बहुत परेशानी होती थी। इस दिशा में ग्राम प्रमुखों और गांव के लगभगब 250 किसानों ने गंभीरता से विचार किया और यह निर्णय लिया कि वे अब रबी में धान की फसल नहीं लेंगे। इसके स्थान पर वे अन्य दलहन, तिलहन फसलों की खेती करेंगे, जिसमें पानी कम उपयोग होता हो। ऐसा नहीं करने पर संबंधित किसान के विरूद्ध 27 हजार रूपये अर्थदण्ड लगाने का प्रावधान में ग्रामीणों द्वारा किया गया। इसके साथ ही इस गांव में रैन वाटर हार्वेस्टिंग, सोख्ता गड्ढा, रूफटॉप स्ट्रक्चर बनाया गया है साथ ही 203 ट्यूबवेल हैं। पहले जहां भूमिगत जल का स्तर लगभग 200 फीट पहुंच गया था, वह अब लगभग 70 फीट पर आ गया है, जिसके कारण गांव में अब गर्मी के मौसम में भी पानी की कमी नहीं होती है। साथ ही फसल चक्र के कारण भूमि की उर्वरक क्षमता में वृद्धि भी हुई है, जिसका सीधा लाभ हम किसानों को मिल रहा है।
पर्यावरण दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में इनका हुआ सम्मान
परसतराई में आयोजित कार्यक्रम में जिला प्रशासन द्वारा गांव के 2 बुजुर्ग चेतराम नेताम और आनंद साहू का शाल एवं श्रीफल, ग्राम सरपंच परमानंद आडिल, तकनीकी सर्वेक्षण दल भूजल बोर्ड के मुकेश आनंद, उद्देश्य कुमार, एनआईटी दल के डीसी झारिया, एवं उनकी पूरी टीम को स्मृति चिन्ह प्रदान कर सम्मानित किया गया। वहीं धमतरी जिले में पर्यवरण संरक्षण हेतु किये उत्कृष्ट कार्यों हेतु जल प्रहरी, वाटर हीरो नीरज वानखेडे, प्रदान स्वंयसेवी संस्था, भारतीय जैन संगठना, दक्षिण पूर्व मध्यम रेल्वे विकासखंड धमतरी और कुरूद, भरत माला परियोजना, जल उपभोक्ता समिति और ग्राम विकास समिति को स्मृति चिन्ह प्रदान कर सम्मानित किया गया। वहीं पर्यवरण संरक्षण फसल चक्र परिवर्तन, जैविक खेती के उपयोग एवं स्वंय से प्रेरित होकर सोेख्ता गड्ढा का निर्माण करने वाले गांव के किसान को जिला प्रशासन द्वारा आभार पत्र प्रदान कर सम्मानित किया गया। इस अवस पर परसतराई गांव के ग्रामीणों ने पर्यावरण संरक्षण की शपथ ली। आभार प्रदर्शन सीईओ जिला पंचायत रोमा श्रीवास्तव ने किया।
बता दे कि धमतरी जिले के का एक छोटा सा गांव परसतराई जो कि 299 हेक्टेयर क्षेत्र में फैला है। इस ग्राम पंचायत परसतराई की कुल जनसंख्या 1465 है, जिसमें 87 प्रतिशत पुरूष और 71 प्रतिशत महिलाएं हैं। यहां फसल चक्र परिवर्तन अपनाई जाती है। गांव के किसानों ने फसल चक्र को अपनाते हुए सामुहिक तौर पर धान की जगह अन्य फसल ली। इस गांव में पुराने पेड़ों की गणना की गई और गांव की बालिकाओं के नाम पर पेड़ लगाए गए हैं। इस गांव में बीते पांच सालों से विवाद पर रिपोर्ट नहीं हुआ है। गांव में शत्-प्रतिशत शौचालय व नलजल है। नियमित कचरा कलेक्शन किया जाता है, जिसका 20 रूपये शुल्क निर्धारित है।