अगरतला।
त्रिपुरा में आत्मसमर्पण कर चुके उग्रवादियों के संगठन ‘द त्रिपुरा यूनाइटेड इंडीजीनस पीपुल्स काउंसिल (टीयूआइपीसी) ने मुख्यधारा में लौटने वाले लोगों के पुनर्वास के लिए 500 करोड़ रुपये के विशेष पैकेज की मांग की है। टीयूआइपीसी के अध्यक्ष रंजीत देबबर्मा ने सोमवार को दावा किया कि राज्य सरकार 1988 के त्रिपुरा नेशनल वालंटीयर्स (टीएनवी) शांति समझौते के वादों को पूरा करने में विफल रही है।
आल त्रिपुरा टाइगर फोर्स (एटीटीएफ) के प्रमुख सुप्रीमो देबबर्मा ने कहा, हम 22 नवंबर को दिल्ली में गृह मंत्रालय में विशेष सचिव एके मिश्रा से मिले और आत्मसमर्पण करने वाले उग्रवादियों की समस्याओं को लेकर ज्ञापन सौंपा। टीएनवी समझौते में वादा किया गया था कि अवैध तरीके से कब्जाई जमीन को त्रिपुरा भूमि सुधार अधिनियम, 1960 के तहत स्थानीय लोगों को सौंप दिया जाएगा। लेकिन इसे लागू नहीं किया गया।
आत्मसमर्पण करने वाले उग्रवादियों को रोजगार भी नहीं दिया गया है। हमने एके मिश्रा से हस्तक्षेप की मांग की।उन्होंने कहा, हमने विशेष सचिव को एटीटीएफ और राज्य सरकार के बीच 1993 के शांति समझौते के पूरा न होने के बारे में भी बताया। जब शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे, तो घोषणा की गई थी कि आत्मसमर्पण करने वाले प्रत्येक उग्रवादी को 20,000 रुपये दिए जाएंगे, लेकिन प्रत्येक को केवल 15,000 रुपये मिले।
केंद्रीय बलों के समक्ष आत्मसमर्पण करने वाले लगभग 600 उग्रवादियों को अभी तक पुनर्वास पैकेज नहीं मिला है। 500 करोड़ रुपये के पैकेज से 50 वर्ष या उससे अधिक आयु के उन सभी उग्रवादियों को पेंशन दी जाएगी जिन्होंने आत्मसमर्पण किया है।
काउंसिल के सदस्य उग्रवादियों की समस्याओं पर चर्चा करने के लिए राज्यपाल इंद्रसेना रेड्डी नल्लू, मुख्यमंत्री माणिक साहा और मुख्य सचिव जेके सिंघा से मुलाकात करेंगे। अब, हमें उन पूर्व उग्रवादियों की सूची संकलित करने के लिए कहा गया है।