इंडस पब्लिक स्कूल में बच्चों ने लघु नाटिका के माध्यम से बताया मूल एवं मौलिक अधिकारों का महत्व
इंडस पब्लिक स्कूल में बच्चों ने मॉक पार्लियामेंट की कार्यवाही को देखकर करीब से जानने का प्रयास किया संसद की कार्यवाही
विद्यार्थियों ने जाना संविधान का महत्व एवं आवश्यकता
दीपका-कोरबा I
हर भारतीय नागरिक के लिए हर साल 26 नवंबर का दिन बेहद खास होता है । दरअसल यहीं वह दिन है जब देश की संविधान सभा ने मौजूद संविधान को विधिवत रूप से अपनाया था । यह संविधान ही है जो हमें एक आजाद देश का आजाद नागरिक की भावना का एहसास कराता है । जहाँ संविधान ने दिए मौलिक अधिकार हमारी ढाल बनकर हमें हमारा हक दिलाते हैं, वहीं इसमें दिए मौलिक कर्तव्य हमें हमारी जिम्मेदारियाँ भी याद दिलाते हैं ।
हर वर्ष 26 नवंबर का दिन देश में संविधान दिवस के तौर पर मनाया जाता है । 26 नवंबर 1949 को ही देश की संविधान सभा ने वर्तमान संविधान को विधिवत रूप से अपनाया था । हालांकि इसे 26 जनवरी 1950 को लागू किया गया था । साल 2015 में संविधान के निर्माता डॉ. अंबेडकर के 125 वें जयंती वर्ष के रूप में 26 नवंबर को सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने इस दिवस को संविधान दिवस के रूप में मनाने के केन्द्र सरकार के फैसले को अधिसूचित किया था । संवैधानिक मूल्यां के प्रति नागरिकों में सम्मान की भावना को बढ़ावा देने के लिए यह दिवस मनाया जाता है । भारतीय संविधान विश्व का सबसे लंबा लिखित संविधान है । इसके कई हिस्से युनाइटेड किंगडम, अमेरिका, जर्मनी, आयरलैंड, ऑस्ट्रलिया, कनाडा और जापान के संविधान से लिए गए हैं । इसमें देश के नागरिकों के मौलिक अधिकारों, कर्तव्यों, सरकार की भूमिका, प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति, राज्यपाल और मुख्यमंत्री की शक्तियों का वर्णन किया गया है ।
दीपका स्थित इंडस पब्लिक स्कूल में संविधान दिवस के उपलक्ष्य में विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया गया । विभिन्न कक्षा स्तर में संविधान निर्माण विषय पर परिचर्चा का आयोजन किया गया । विद्यालय में विद्यार्थियों को संसद की कार्यवाही से रूबरू कराने हेतु विद्यालय के सामाजिक विज्ञान विभाग अध्यक्ष श्री सुमित जैन के द्वारा विद्यार्थियों के दो समूहों को विभाजित कर सांकेतिक रूप से लोकसभा के कार्यों से विद्यार्थियों को मॉक पार्लियामेंट के द्वारा अवगत कराने का प्रयास किया गया। दोनों समूह में विभाजित विद्यार्थियों में कुछ विद्यार्थी पक्ष में थे और कुछ विद्यार्थी विपक्ष में थे।
स्पीकर की भूमिका विद्यालय की होनहार छात्र कुमारी राजनंदनी बघेल ने निभाई साथ ही रूलिंग पार्टी के रूप में कक्षा आठवी एवं नवमी के विद्यार्थियों ने अपनी भूमिका का निर्वाह किया तथा अपोजिशन पार्टी के रूप में भी विद्यालय के कक्षा आठवी एवं नवमी सहित 11वीं कक्षा के विद्यार्थियों ने अपनी भूमिका का निर्वहन किया। संसद की इस सांकेतिक कार्यवाही में महिला आरक्षण नारी सुरक्षा, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारत की भूमिका, मूल एवं मौलिक अधिकारों की व्यापक समीक्षा , मनी लॉन्ड्रिंग, बेरोजगारी ,नक्सलवाद, आतंकवाद , एंटी इनकंबेंसी,इत्यादि विषयों पर विस्तृत चर्चा एवं परिचर्चा करने का प्रयास किया गया। अच्छी सलाह या अच्छे-अच्छे वक्तव्य पर सभी विद्यार्थी टेबल थपथपासकर स्वागत करते थे ।सचमुच मार्ग पार्लियामेंट का यह दृश्य देखने पर ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे हमारे समक्ष वाकई में संसद की कार्यवाही जारी हो। सभी विद्यार्थी नेताओं की वेशभूषा में संसद के दृश्य को शत प्रतिशत चरितार्थ कर रहे थे। संविधान दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित इस मॉक पार्लियामेंट में सांकेतिक रूप से संसद की कार्यवाही में कक्षा नवमी की छात्रा संगम सिहाग, स्वीटी चंद्रा,हिमानी साहू ,चंचल सर्वे प्रियानी कार्की , मितुल गौतम सहित कक्षा आठवीं के छात्र शिवम सिहाग,प्रयाग जायसवाल ,आराधना सिहाग ,तनवीर सिंह एवं यशराज तथा आदित्य के अलावा कक्षा ग्यारहवीं की छात्रा तमन्ना, राशि तथा छात्र हर्षित कुमार ने अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
मॉक पार्लियामेंट की कार्यवाही के पश्चात इंडस पब्लिक स्कूल के विद्यार्थियों ने मौलिक अधिकार विषय पर एक लघु नाटिका का मंचन किया। इस नाटिका के माध्यम से विद्यार्थियों ने लोगों को मूल कर्तव्य एवं मौलिक अधिकारों के प्रति जागरूक करने का प्रयास किया। इस नाटिका की सभी दर्शकों ने खूब प्रशंसा की।
माध्यमिक स्तर तक के विद्यार्थियों के लिए संविधान निर्माण एवं इसकी आवश्यकता विषय पर निबंध लेखन प्रतियोगिता का आयोजन किया गया तथा प्राथमिक स्तर तक के विद्यार्थियों को विभिन्न रोचक प्रश्नों के माध्यम से संविधान की आवश्यकता एवं महत्व से परिचित कराया गया । कार्यक्रम के अंत में सभी विद्यार्थियों और अध्यापकगण ने विद्यालय के सभागारमें एकत्रित होकर संविधान की शपथ लेकर एवं राष्ट्रगानकर स्वयं को गौरवान्वित किया ।
सामाजिक विज्ञान विभाग अध्यक्ष श्री सुमित जैन ने अपने उद्बोधन में कहा कि भारतीय संविधान द्वारा देशवासियों को न्याय प्रदान करने का प्रयास किया गया है। सामाजिक, आर्थिक और राजनैतिक न्याय का मुख्य लक्ष्य व्यक्तिगत हित और सामाजिक हित के बीच सामंजस्य स्थापित करता है। हमारे संविधान निर्माताओं के समक्ष भारत एक “कल्याणकारी राज्य'” Welfare state की स्थापना का उद्देश्य था ।क्रिकेट या फुटबॉल या किसी भी अन्य खेल में कुछ निश्चित नियम होते हैं । नियमों के बिना इन्हें खेलना या हार-जीत का निश्चय करना बहुत मुश्किल होगा । साथ ही, यह खेल नियमानुसार खेला जा रहा है या नहीं यह देखने के लिए, या फिर खेल के दौरान उपजे किसी विवाद के निपटारे के लिए हमें अम्पायर या रेफरी की भी जरूरत होती है । ठीक यही भूमिका किसी लोकतंत्र में एक संविधान की भी होती है । संविधान उन बुनियादी नियमों का एक समूह (set of rules) उपलब्ध कराता है जिनके आधार पर हम ‘व्यवस्था’ (system) को चलाते हैं या व्यवस्था के चलने की उम्मीद कर सकते हैं । इसे हम एक संहिता या ‘कोड’ के रूप में समझ सकते हैं । जबकि न्यायपालिका की तुलना यहाँ अम्पायर या रेफरी से की जा सकती है । न्यायपालिका ही संविधान की व्याख्या करती है और यह सुनिश्चित करती है की देश संविधान-सम्मत नियमों के आधार पर चल रहा है या नहीं ।
शैक्षणिक प्रभारी श्री सब्यसाची सरकार जी ने अपने ओजस्वी उद्बोधन में कहा किभारतीय संविधान एक विस्तृत कानूनी दस्तावेज है। यह भारत की सर्वोच्च विधि है। अन्य सभी विधियां भारतीय संविधान के अधीन होती हैं। वर्तमान में भारतीय संविधान में कुल 395 अनुच्छेद 25 भाग और 12 अनुसूचियां हैं। भारतीय संविधान में विभिन्न राजनीतिक दर्शन, नागरिकों के मूल अधिकार, नागरिकों के मूल कर्तव्य के अलावा विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका के बीच शक्तियों का विभाजन इत्यादि अनेक प्रावधानों को शामिल किया गया है। इसमें केंद्र सरकार और राज्य सरकार के मध्य विषयों का विभाजन भी किया गया है, ताकि इन दोनों के बीच उत्पन्न होने वाले मतभेदों को न्यूनतम किया जा सके। भारतीय संविधान एक ऐसा गुणवत्तापरक दस्तावेज है, जो अपने आप में विभिन्न विशेषताएं समेटे हुए हैं। एक जिम्मेदार नागरिक एवं एक सच्चे राष्ट्रभक्त होने के नाते हमें सदैव अपने संविधान का सम्मान करना चाहिए।
विद्यालय के प्राचार्य डॉ. संजय गुप्ता ने विद्यार्थियों को संविधान की प्रस्तावना पढ़कर सुनाई । विद्यार्थी समूह को विद्यालय की सामाजिक विज्ञान के वरिष्ठ अध्यापक श्री सुमित जैन ने संविधान की शपथ दिलाई । पूरे कार्यक्रम के सफल आयोजन में श्री शैक्षणिक प्रभारी श्री सव्यसाची सरकार एवं प्री प्राइमरी शैक्षणिक प्रभारी श्रीमती सोमा सरकार के साथ सीसीए प्रभारी सुश्री पारुल पदवार एवं अन्य शिक्षकों सहित संगीत शिक्षक श्री राजू कौशिक का विशेष सहयोग रहा ।
विद्यालय के प्राचार्य डॉ. संजय गुप्ता ने कहा कि किसी भी राष्ट्र की आत्मा उसका संविधान होता है । हमें गर्व है कि हमारा संविधान विश्व का सबसे वृहद लिखित संविधान है । इस गौरवशाली संविधान को निर्माण करने में 2 वर्ष, 11 माह और 18 दिन लगे । यह कार्य 26 नवंबर 1949 को पूरा हुआ । 26 जनवरी 1950 को भारत गणराज्य का यह संविधान लागू हुआ । आपको यह जानकर गर्व महसूस होगा कि संविधान की असली प्रतियाँ हिंदी और इंगलिश दो भाषाओं में लिखी गई थी । इन्हें आज भी भारत की संसद में हीलियम भरे डिब्बों में सुरक्षित रखा गया है । हमारा संविधान 25 भागों, 470 अनुच्छेदों और 12 सूचियों में बँटा दुनिया का सबसे लिखित संविधान है । संविधान निर्माण में बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर का महत्वपूर्ण योगदान रहा । आज का दिन बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर सहित संविधान निर्मात्री सभी के प्रत्येक सदस्यों को नमन करने का दिन है । भारत की आजादी के बाद कांग्रेस सरकार ने डॉ. भीमराव अंबेडकर को भारत के प्रथम कानून मंत्री के रूप में सेवा करने का निमंत्रण दिया । उन्हें 29 अगस्त को संविधान की प्रारूप समिति का अध्यक्ष बनाया गया । वह भारतीय संविधान के मुख्य वास्तुकार थे और उन्हें मजबूत और एकजुट भारत के लिए जाना जाता है ।