छत्‍तीसगढ़ सरकार ने नगरीय निकाय चुनाव में दिए बदलाव के संकेत

छत्तीसगढ़ रायपुर

रायपुर । छत्तीसगढ़ में लोकसभा चुनाव के बाद नवंबर-दिसंबर 2024 में नगरीय निकाय के चुनाव होने हैं। इसके पहले राज्य सरकार ने अगले चुनाव में नियमों में बड़े बदलाव के संकेत दिए हैं। अब जनता खुद नगर पंचायत व नगरपालिकाओं के अध्यक्ष और नगर निगमों में महापौर चुन सकेगी। पिछली बार नगरीय निकायों के चुनाव के पहले पूर्ववर्ती कांग्रेस की भूपेश सरकार ने नगर पंचायत, नगरपालिका और नगर निगम के चुनाव के नियमों में बड़ा बदलाव किया था। इसमें अध्यक्ष और महापौर के चुनाव का अधिकार जनता से छीनकर चुने हुए पार्षदों को दे दिया था। जबकि इसके पहले तक निकायों में अध्यक्ष और महापौर का चुनाव स्वतंत्र रूप से होता था और जनता इन शीर्ष पदों के लिए मतदान करती रही है। तब विपक्षी पार्टी भाजपा ने इस फैसले का पुरजोर तरीके से विरोध किया था। राजनीतिक विश्लेषकों ने यह कहकर प्रश्न चिन्ह उठाया था कि इस तरह के नियमों से चुनावी गड़बड़ी और खरीद-फरोख्त को बढ़ावा मिलेगा। इसके बाद भी निकायों में भूपेश सरकार के नए नियम से अध्यक्ष-महापौर चुने गए थे।

अब इस मामले में प्रदेश के उपमुख्यमंत्री व विधि मंत्री अरुण साव ने बुधवार को मीडिया से चर्चा में कहा कि वे नगरीय निकाय चुनाव के लिए भी पूरी तरह से तैयार हैं। अरुण साव का यह बयान उस समय आया जब रायपुर की वार्डों की समस्या को लेकर महापौर एजाज ढेबर के बयान को लेकर भाजपा के पार्षद दलों विरोध कर रहे हें। ढेबर ने दो दिन पहले कहा था कि इस जगह (नगर निगम में) पर पीएम साहब को भी बैठा दिया जाए, फिर भी शहर के समस्याओं का हल नहीं होगा। इस बयान के बाद भाजपा लगातार महापौर को घेरने में लग गई है। नगर निगम में पीएम साहब भी समस्या हल नहीं कर सकते, ढेबर के इस बयान के बाद सियासत गर्म है। उपमुख्यमंत्री अरुण साव ने कहा कि रायपुर के निर्वाचित महापौर ने पांच साल तक जनता के साथ अन्याय किया है। जो बयान उनका निगम के कार्यों को लेकर आया है इससे स्पष्ट है कि वह साढ़े चार साल से इसी नकारात्मकता से काम करते थे और इसीलिए राजधानी की जनता ठगा महसूस करती रही है।

महापौर बयान में अडिग हूं, कांग्रेस ने कहा तैयार हैं

नगर निगम रायपुर के महापौर एजाज ढेबर ने कहा कि नगर निगम को वाटर प्लस, फाइव स्टार जैसे खिताब मिल चुके हैं। साफ-सफाई की व्यवस्था में हम देश में टाप छह में रहे। केंद्र सरकार के मूल्यांकन में कई उपलब्धियां निगम को मिली। अगर निष्क्रिय होता तो यह नहीं होता, मैं अपने बयान में अडिग हूं। यहां पानी-साफ सफाई अनवरत रहती है। सुनील सोनी खुद निष्क्रिय हैं इसलिए उन्हें सांसद का टिकट नहीं मिला।

दिग्जविजय ने दिया था अधिकार, भूपेश ने छीना

जानकारी के मुताबिक अविभाजित मध्यप्रदेश में 1999 में कांग्रेस की दिग्विजय सिंह सरकार ने राज्य में महापौर चुनने का अधिकार पार्षदों से छीनकर जनता के हाथ में दिया था। तब नगर निगम रायपुर में तरुण चटर्जी पहले महापौर बने थे। वह 2000 से 2003 तक महापौर रहे। इसके बाद 2004 के चुनाव में भाजपा के सुनील सोनी चुनकर आए। इसके बाद कांग्रेस से डा. किरणमयी नायक और फिर कांग्रेस नेता प्रमोद दुबे महापौर बने। पांच साल पहले भूपेश सरकार ने दिग्जविजय के द्वारा दिए गए अधिकार देने वाले नियम में बदलाव करके जनता से अधिकारी छीन लिया और पार्षदों को महापौर चुनने का अधिकार दिया गया। इस नियम से रायपुर नगर निगम के एजाज ढेबर समेत अन्य निकायों में भी अप्रत्यक्ष अध्यक्ष और महापौर चुने गए ।