छत्तीसगढ़ निःशक्त जन अधिकार सहयोग समिति ने विभिन्न अधिकारियों को सौंपा ज्ञापन
जांजगीर चाम्पा।
छत्तीसगढ़ दिव्यांग सेवा संघ ने कलेक्टर, मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत व जिला शिक्षा अधिकारी को ज्ञापन सौंपकर राज्य मेडिकल बोर्ड से दिव्यांगता के लिये अपात्र साबित हो चुके व्याख्याता एल.बी. को बर्खास्त करने की मांग है।
छत्तीसगढ़ निःशक्त जन अधिकार सहयोग समिति के प्रदेश अध्यक्ष राधा कृष्ण गोपाल द्वारा अपने संघ की ओर से ज्ञापन सौंपकर अकलतरा विकासखंड के शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय सोनसरी में पदस्थ सत्येन्द्र कुमार सिंह चंदेल व्याख्याता के विरुद्ध कई बार शिकायत किया जा चुका है।ज्ञापन में बताया कि उक्त व्याख्याता फर्जी दिव्यांगता प्रमाण पत्र के आधार पर दिव्यांगता के आरक्षण वर्ग पर शिक्षा कर्मी वर्ग-1 विषय रसायन शास्त्र के पद पर कार्यालय जिला पंचायत की नियुक्ति आदेश नियुक्त किए गए हैं। सत्येन्द्र कुमार सिंह चंदेल की श्रवण बाधित दिव्यांगता 41 प्रतिशत है जिसे दिव्यांगता प्रमाणपत्र जिला मेडिकल बोर्ड, जिला बिलासपुर (छ.ग.) द्वारा जारी किया गया है। शिकायत ज्ञापन में बताया गया है कि सत्येन्द्र कुमार सिंह चंदेल किसी भी प्रकार से दिव्यांग नहीं हैं और फर्जी तरीके से दिव्यांग बनकर दिव्यांगों के लिये आरक्षित पद पर नौकरी कर रहें हैं। जिसकी जांच राज्य मेडिकल बोर्ड छ.ग. रायपुर से कराये जाने की मांग की गई थी। जिस शिकायत के आधार पर कार्यालय विभागाध्यक्ष नाक, कान, गला रोग विभाग पं.ज.ने. स्मृति चिकित्सा महाविद्यालय रायपुर के द्वारा सत्येन्द्र कुमार सिंह चंदेल के ऑडियोलॉजिकल जांच हेतु कमिटी गठित कर जांच की गई। जांच उपरांत सत्येन्द्र कुमार सिंह चंदेल की जांच रिपोर्ट विभाग के माध्यम से उपलब्ध दस्तावेज में स्पष्ट उल्लेखित किया गया है कि भारत का राजपत्र के अनुसार सत्येन्द्र कुमार सिंह चंदेल दिव्यांगता की श्रेणी में नहीं आते हैं एवं दिव्यांगता प्रमाण पत्र हेतु पात्र नहीं है।
शिकायत में यह भी बताया कि श्री चंदेल की नियुक्ति कार्यालय जिला पंचायत जांजगीर-चाम्पा (छ.ग.) के नियुक्ति आदेश के माध्यम से शिक्षाकर्मी-01 विषय रसायन शास्त्र के पद पर हुई है। उक्त नियुक्ति आदेश में सत्येन्द्र कुमार का नाम श्रवण बाधित कोटे में उल्लेखित है। उक्त नियुक्ति आदेश के पृष्ठ क्रमांक 3 में अधिरोपित शर्तें दी गई है, जिसमें पहले ही शर्त में यह स्पष्ट किया गया है कि यह नियुक्ति अनंतिम है तथा अभ्यर्थी द्वारा प्रस्तुत प्रमाण पत्रों (यथा जाति, अंकसूची, प्रशिक्षण एवं विकलांगता आदि) पर आधारित है, जो उचित माध्यमों से सत्यापित किये जाने के अध्यधीन है और सत्यापन करने पर पता चलता है कि कोई भी प्रमाणपत्र वैध न होकर असत्य है तो बिना किसी पूर्व सूचना के सेवाएं समाप्त कर दी जावेगी तथा झूठा प्रमाण पत्र प्रस्तुत करने के लिये भारतीय दण्ड संहिता के प्रावधानों के अन्तर्गत दण्डात्मक कार्यवाही की जायेगी।
छत्तीसगढ़ निःशक्त जन अधिकार सहयोग समिति के प्रदेश अध्यक्ष ने फर्जी तरीके से दिव्यांग बनकर व्याख्याता की नौकरी कर रहे उक्त व्यक्ति को तत्काल बर्खास्त करते हुए कार्रवाई करने की मांग की है।