दीपका-कोरबा I
आज दिन-प्रतिदिन बढ़ती प्रतिस्पर्धा एवं तनाव भरी जिंदगी में विद्यार्थियों को मानसिक रूप से स्वस्थ व प्रसन्न रहना अतिआवश्यक है । लेकिन जैसे-जैसे परीक्षा नजदीक आती है विद्यार्थियों में मानसिक दबाव बढ़ते जाता है । वर्षभर नियमित व अनुशासित तथा समर्पित होकर भी हम परीक्षा की तैयारी करें तो भी परीक्षा के दिनों में हम पर मानसिक दबाव व तनाव अवश्य होता है । विद्यार्थियों के मन में विभिन्न प्रकार के प्रश्न उठने लगते हैं और वे सबसे ज्यादा अपने भविष्य के प्रति चिंतित होते हैं। ऐसे ही कुछ महत्वपूर्ण सवालों के जवाब प्रति सप्ताह दैनिक लोक सदन में देंगें क्षेत्र के ख्यातिलब्ध शिक्षाविद डॉ. संजय गुप्ता
1 – चूंकि अभी परीक्षा का दबाव सभी विद्यार्थियों पर है, अतः काम समय अच्छी तैयारी कैसे करें? कृपया सुझाव दें।
रिया नैन, दीपका
डॉक्टर संजय गुप्ता:- यह बात तो सच है कि प्रत्येक विद्यार्थी परीक्षा का दबाव महसूस करता है जबकि वास्तव में हमें परीक्षा का दबाव महसूस नहीं करना चाहिए। हम सभी जानते हैं कि हम यदि दबाव पूर्वक कोई कार्य करते हैं तो हम उस कार्य पर अपना 100% नहीं दे पाते। रही बात कम समय में स्मार्ट प्रिपरेशन की तो अभी क्योंकि समय काम है। परीक्षा नजदीक है। अतः सभी इंर्पोटेंट टॉपिक्स को कंटिन्यू रिवाइज करना चाहिए ।कोई डाउट है तो बिना समय गंवाए तत्काल हमें अपने विषय शिक्षक से संपर्क करना चाहिए। ज्यादा से ज्यादा स्वाध्याय पर ध्यान देना चाहिए। मोबाइल और सोशल मीडिया से हमेशा के लिए दूरी बना लेनी चाहिए। पूरे समर्पण के साथ सिर्फ और सिर्फ परीक्षा की तैयारी में जुट जाना चाहिए। उचित समय प्रबंधन और लगन हमें अपनी मंजिल तक अवश्य पहुंचाती है।
2 – जैसे-जैसे परीक्षा नजदीक आती जा रही है, मेरा बेटा गुमसुम सा रहने लगा है। पहले जैसा सामान्य नहीं है। आखिर क्या कारण हो सकता है? मुझे डर लगने लगा है। ऐसी स्थिति में मैं क्या करूं?
सोनल जायसवाल, भिलाई नगर
डॉ संजय गुप्ता: – सबसे पहले आप अपने बच्चे की मनःस्थिति समझने का प्रयास करें ।उसको अपने पास बैठाकर बात करें ।कोई समस्या है तो जानने का प्रयास करें। अगर वह परीक्षा से संबंधित दबाव महसूस कर रहा है तो आप उसे समझाएं कि परीक्षा का दबाव न लें। कोई भी परीक्षा, कोई भी इम्तिहान जिंदगी से बड़ी नहीं होती। ऐसे कई इम्तिहान उसकी जिंदगी में देने होंगे। परीक्षा को इंजॉय करें। अपना पूरा समर्पण, अपने पूरे प्रिपरेशन, उचित समय प्रबंधन और लगन के साथ सिर्फ और सिर्फ परीक्षा की तैयारी करें। साथ ही अगर अत्यधिक तनाव या दबाव महसूस हो रहा है तो अपने परिवार के साथ, अपने दोस्तों के साथ समय बिताए ।कहीं घूमने भी चले जाएं ।कुछ समय के लिए खेलने चले जाएं। अपनी दैनिक क्रिय को सतत करते रहें लेकिन पढ़ाई का एक रिजर्व टाइम अलाट करके रखें। पढ़ाई के समय पर कोई समझौता न करें। उसे समझाएं कि वह किसी भी प्रकार का दबाव न लें ।उसको यह एहसास दिलाने का प्रयास करें कि आप और आपका पूरा परिवार हमेशा उसके साथ बैकबोन की तरह खड़े हैं। वह अकेला नहीं है। उसे हिम्मत दें।
3 :- मेरे विद्यालय के कुछ कर्मचारी अक्सर किसी न किसी की बुराई करते रहते हैं, जबकि मुझे यह सब पसंद नहीं है ।लेकिन दिक्कत यह है कि स्टाफ रूम भी एक ही है। मैं ना चाहते हुए भी उनकी वजह से बदनाम हो जाता हूं जबकि उसने मेरा कोई सरोकार नहीं होता है। ऐसी स्थिति में मैं क्या करूं?
सुलभ यादव,दीपका
डॉक्टर संजय गुप्ता – सर्वप्रथम तो आप अपना स्थान बदल लें। आप उन्हें स्पष्ट रूप से मना कर दें कि आपको यह सब पसंद नहीं है।आप उनसे केवल प्रोफेशनल रिलेशन रखें।आप उन्हें समझाएं कि यह सब विद्यालय में उचित नहीं है।आप अपना काम करें बाकी सब ईश्वर पर छोड़ दें।
4 – मेरे विद्यालय की 1 स्टाफ मेरे पीठ पीछे मेरे ही खास दोस्त से मेरी बुराई करती है।उसकी हर 1 बात मेरा दोस्त मुझसे शेयर कर देता है।उस स्टाफ की इसी बचकानी हरकत के कारण वो मेरी नजर से गिर गई है।मैं बहुत तनाव महसूस करता हूं।अपने काम में फोकस नहीं कर पाता। मैं क्या करूं?
हिमांशु सेन, शिक्षक ,रायपुर
डॉक्टर संजय गुप्ता – आप सिर्फ अपने काम पर ध्यान दें।ऐसे लोगों को सीरियस लेना बंद करें।ये लोग सिर्फ आपको आपके कार्य से भटकाएंगे।ऐसे लोगों के पास ऐसे ही कामों के लिए समय होता है।एक सकारात्मक व्यक्ति हमेशा नेक कार्य या रचनात्मक कार्य में व्यस्त रहता है।ऐसे लोग वाहियात ही बात करेंगे।ऐसे लोगों से दूर रहें।ये किसी के नहीं होते।आप सिर्फ अपने जॉब पर ध्यान दें।यदि आपसे उसकी कोई व्यक्तिगत समस्या है तो आराम से एक स्वस्थ वार्तालाप करें।लेकिन इनसे दूर ही रहें।
5 – विद्यालय में आयोजित फेयरवेल फंशन का क्या महत्व होता है?
गरिमा यादव, चंद्रपुर
डॉक्टर संजय गुप्ता – ऐसा आयोजन बहुत ही महत्वपूर्ण होता है।इन आयोजनों से एक ओर तो विद्यालय से जाने वाले विद्यार्थियों को हम सम्मानित करते हैं,साथ ही हम उनके हृदय में भी हमेशा के लिए अमित छवि बनाते हैं। विद्यालय में भी स्वस्थ परंपरा का निर्वहन होता है। सभी विद्यार्थी एवं शिक्षक अपने खट्टे मीठे अनुभव शेयर करते हैं।बिदाई का यह पल जितना शानदार होता है,उतना ही भावुक भी होता है।यह अविस्मरणीय पल होता है।