Friday, May 9, 2025

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इंटरनेशनल एथेलेटिक्स डे : खेलने – कूदने का लो संकल्प, स्वस्थ्य रहने का है यही विकल्प- डॉ. संजय गुप्ता

आज के दौर में सब हैं भागदौड़ में व्यस्त, ना खेलने कूदने की वजह से जन्म ले रही बीमारियां समस्त- अविनाश मानिकपुरी ( खेल शिक्षक)

इंडस पब्लिक स्कूल दीपका में इंटरनेशनल एथेलेटिक्स डे के अवसर पर हुआ विभिन्न खेलों का आयोजन

100मीटर, 200 मीटर रेस में विद्यार्थियों ने दिखाया अपना जलवा,खेलों मेंं जमकर बहाया पसीना, सभी गेम्स को किया भरपूर एन्जॉय

खेल समझाते हैं मानव शक्ति और बुद्धि का अर्थ, तभी तो प्रतिभागी बड़े से बड़े लक्ष्यों को पाने में होते है समर्थ – प्राचार्य,आई.पी.एस. दीपका

दीपका – कोरबा //
मानव जीवन में मन को संतुलित रखने के लिये खेल का उतना ही महत्व है जितना दिए में तेल का जिस तरह तेल के बिना दिए की बाती लंबे समय तक सुंदरता से प्रज्वलित नहीं हो सकती बिल्कुल उसी तरह खेल के बिना जीवन नीरस सा होता है, व खेल जीवन को रंगीन व उमंग उत्साह से भर देता है। लॉक डाउन के दौरान फिजिकल व मेन्टल हेल्थ को स्वस्थ्य रखने हेतु एक्सरसाइज, योगा व खेल का जीवन मे समन्वय अत्यंत आवस्यक था। शारीरिक, मानसिक रूप से स्वस्थ्य रहने के लिये खेल को जीवन शैली में शामिल करने की आवश्यकता है। खेल ना केवल बच्चों के लिये होता है बल्कि खेल हर उम्र के लिये होता है। क्योकि यह मन एक बच्चा है। जिसे मनोरंजन हेतु कुछ तो चाहिए। खेल से जीवन तनाव मुक्त बनता है। सर्व विदित है कि पिछले कितने ही महीनों से हम कोविद 19 त्रासदी को लेकर घरों में लॉक डाउन में थे। जिस दौरान मानसिक तनाव का सामना प्रत्येक को करना ही पड़ा था। विद्यार्थियों को तनाव मुक्त करने के उद्देश्य से उनके जीवन मे उमंग के रंग खुशहाली के रंग पुनः भरने के उद्देश्य से पुराने बीते समय को फुलस्टॉप लगाकर उनके बारे में सोच सोच कर परेशान होने से बेहतर यही है कि समय के अनुसार स्वयं को ढालकर स्वास्थ्य का ख्याल रखते हुए अपने तनाव मुक्ति के उपाय तलाशें ।


उपरोक्त तथ्यों के मद्देनजर आई.पी.एस. दीपका में संचालित समर कैंप में इंटरनेशनल एथेलेटिक्स डे के उपलक्ष्य में विभिन्न गेम्स करवाए गए,जिसमें अलग अलग दूरी के रेस शामिल थे।100 मीटर,200 मीटर एवं 400 मीटर में विद्यार्थियों ने अपना दमखम दिखाया और साबित कर दिया कि उनमें भरपूर ऊर्जा व सामर्थ्य है।साथ ही कई अलग अलग गेम्स का भी विद्यार्थी समर कैंप में निरंतर आनंद ले रहे हैं।जिसमें क्रिकेट,फुटबॉल,वॉलीबॉल ,फन गेम्स इत्यादि शामिल हैं।
इंडस पब्लिक स्कूल के प्राचार्य डॉक्टर संजय गुप्ता ने कहा कि लॉक डाउन के दौरान कोविद 19 पेंडेमिक की वजह से सबके जहन में भय, अनिश्चितता की वजह से मन तनावपूर्ण हो चला व घर पर केवल टीवी मोबाइल के सहारे समय व्यतीत करते करते मन नेगेटिव इनफार्मेशन का अंबार हो गया। नतीजतन मानसिक शांति तो प्रभावित हुई ही साथ ही फिजिकल कार्य नगण्य होने की वजह से शारीरिक अस्वस्थ्यता भी आने लगी थी ।इससे निजात पाने के लिए खुद की खुशी खेल के माध्यम से वापस पाने के लिये, जीवन को पुनः पटरी पर लाने के लिये जीवन में खेलों का सामंजस्य होना अति आवश्यक है।खेलों के हमारे जीवन में क्या महत्व है यह सभी जानते हैं।इससे हमारा तन और मन दोनों ही स्वस्थ एवं तंदुरुस्त रहता है।हम ताउम्र निरोग एवं ओजमय बने रहते हैं।


यह जीवन एक खेल की तरह है। जिसमें हम सभी खिलाड़ी हैं और हमें इस जीवन रूपी खेल को एक खिलाड़ी की तरह ही खेलना चाहिए हम इस जीवन रूपी खेल में कितने तन्मयता से उमंग व उत्साह के साथ अपना 100 प्रतिशत देते हुवे अपना किरदार निभाते हैं। वह मायने रखता है। जैसे खेल खेलते वक़्त खिलाड़ी पर सबकी नजर रहती है। यह बात खिलाड़ी को भी पता होती है कि सबकी नजर उस पर है तो वह ग्राउंड में किसी तरह के बेईमानी नहीं करता बिल्कुल उसी तरह प्रैक्टिकल जीवन मे भी हमें यही सोचकर हर कर्म करना चाहिए की कोई हमें देख रहा है। व पूरी ईमानदारी से अपना कर्म करना चाहिए। हमें अपने जीवन मे अपनी भूमिका इस तरह निभानी चाहिए कि जब जीवन रूपी खेल खत्म हो तो पर्दा गिरने के बाद भी तालियां बजती रहें। जीवन मे हमारे द्वारा किये गए कर्म ही लोगों के जहन में याद बनकर रहते हैं। इसलिए अपने कर्मों को इतना श्रेष्ठ तरीके से निभाएं की लोग उन कर्मों को फॉलो करें। जिस तरह फुटबॉल के मैदान में गोल होता है बिल्कुल उसी तरह हमें हमारे जीवन में अपने जिंदगी की गोल सेट करने चाहिए फिर इस गोल को प्राप्त करने के लिए पूरी एकाग्रता से आत्मविश्वास से तन्मयता से डटकर बस लग जाना चाहिए यह नहीं सोचना चाहिए की गोल अचीव होगा या नहीं जिस तरह खेल खेलते वक्त हम बस गोल करने का लक्ष्य रखते हैं। उस वक़्त हम यह नहीं सोचते कि गोल होगा या नहीं होगा हम बस खेलते हैं। अपना 100 प्रतिशत देते हैं। बिल्कुल उसी प्रकार अपने वास्तविक जीवन में भी हमें वैसा ही व्यवहार करना चाहिए। अपने लक्ष्य को लेकर हमें दृढ़ संकल्प करना चाहिए और फिर अंत तक डटे रहना चाहिए। जिस तरह किसी लक्ष्य को प्राप्त करने के लिये टीम स्पिरिट की जरूरत होती है। तो हमें खेलों से वह टीम स्पिरिट की प्राप्ति होती है। हम जब कोई कार्य का बीड़ा अकेले ही उठाते हैं। तब हममे कई गुणा मेहनत करनी पड़ती है। वहीं जब हम उसी कार्य को टीम के साथ करते हैं। तो कार्य छोटे छोटे हिस्से में सबमें बंट जाने से सबपर बोझ कम पड़ता है। व कार्य भी जल्दी हो जाता है। जीवन रूपी खेल में यह जीत हार आते रहेंगे पर हर परिस्थिति में हमें अपने मन की स्थिति अचल अडोल रखनी है, मानसिक व एमोशनली शशक्त बने रहना पड़ता है।


विद्यालय के खेल शिक्षक  अविनाश महंत ने अपने वक्तव्य में विद्यार्थियों को सम्बोधित करते हुए कहा कि खेल हमारे जीवन में अत्यंत ही आवस्यक है। संक्रमण से बचाव के लिये शरीर के प्रतिरोधक क्षमता का स्वस्थ्य होना अत्यंत आवस्यक है।हम डेली वर्कआउट करें, जॉगिंग करें रनिंग करें, अपने पसंदीदा आउट डोर गेम खेले, हेल्थी रिच फूड का सेवन करें रात में जल्दी सोएं, सुबह जल्दी उठें ।तीनों वक़्त समय पर भोजन करें ।8 घण्टे की नींद लेवें, फिजिकल हेल्थ के साथ साथ हमें अपने मेन्टल हेल्थ की भी केयर करने की जरूरत है। क्योंकि स्वस्थ्य तन व स्वस्थ्य मन का आपस मे कनेक्शन है। मन स्वस्थ्य तो तन स्वस्थ्य तन स्वस्थ्य तो मन स्वस्थ्य जब दोनों स्वस्थ्य तो जीवन के हर पल खुशहाल, अक्सर लोग खुशियां बाहर ढूंढते रहते हैं। जबकि खुशी बाहर नहीं बल्कि अंदर है। अगर हमारा शरीर व मन स्वस्थ्य नहीं तो बाहर की कोई व्यक्ति, वस्तु, परिस्थिति हमें खुशी नहीं दे सकती क्योंकि खुशी का अनुभव हमें मन से ही करना होता है इसलिए कहा कि मन स्वस्थ्य और तन स्वस्थ्य तब जीवन खुशहाल नजर आने लगता है। आजकल लोग जवानी में ही बुढ़ापे के शिकार हो रहे हैं जो लक्षण पहले 60 में नजर आते थे आज वह लक्षण 8 में नजर आने लगे हैं। 8 वर्ष की आयु में ही लोगों को चश्मे लगने लगे हैं। बाल सफेद होने लगे हैं। एक तो खानपान दूसरा फिजिकल मूवमेंट का कम होना यह कारण है इस तरह से जीवन शैली में खानपान बेहतर व समय पर ना होने की वजह से तथास शारीरिक परिश्रम नगण्य होने की वजह से लोग अस्वस्थ्य रहने लगे हैं। इंटरनेशनल एथेलेटिक्स डे हमें सभी महान खिलाड़ियों को सम्मान देने हेतु प्रेरित करती है और यह संदेश देती है कि हमें चिरायु और तंदुरुस्त रहना है तो खेलों को अपनी दिनचर्या में अवश्य शामिल करें।

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