बिलासपुर । बरपाली तहसीलदार द्वारा सरकारी जमीन से बेदखली के नोटिस के खिलाफ दायर याचिका पर हाई कोर्ट ने तहसीलदार की कार्रवाई को रोकते हुए अंतरिम राहत दी है। कोर्ट ने मामले की सुनवाई के बाद तहसीलदार को सोमवार को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने का आदेश दिया है।
कोरबा जिला के बरपाली तहसील क्षेत्र के ग्राम कनकी निवासी नूतन राजवाड़े के वाट्सएप पर 20 सितंबर की शाम 6 बजे के बाद तहसीलदार बरपाली ने सरकारी जमीन से बेदखली का नोटिस भेजा। वाट्सएप के जरिये भेजे नोटिस में तहसीलदार ने कब्जा हटाने कुछ घंटों का ही समय दिया था। नोटिस में सिर्फ कुछ घंटों का समय देते हुए अगली सुबह, 21 सितंबर को ही अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई शुरू कर दी गई। इसके बाद याचिकाकर्ता ने हाई कोर्ट में तत्काल सुनवाई के लिए अर्ज़ी दाखिल की।
अवकाश के दिन सुबह स्पेशल कोर्ट बैठी
मामले की गंभीरता को देखते हुए चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा ने स्पेशल बेंच का गठन करते हुए जस्टिस पार्थ प्रतीम साहू की विशेष कोर्ट बुलाई। याचिकाकर्ता के वकील ने कोर्ट को बताया कि अधिकारी मौके पर पहुंचकर कब्जा हटा रहे थे, जिससे तुरंत राहत की आवश्यकता थी।
ऐसी कार्रवाई इसके पहले कभी नहीं हुई
तहसीलदार ने छत्तीसगढ़ भूमि राजस्व संहिता 1959 की धारा 248 के तहत कार्यवाही में याचिकाकर्ता के खिलाफ 5 अगस्त 2024 को एक आदेश पारित किया है। जिसके खिलाफ याचिकाकर्ता ने अनुविभागीय अधिकारी राजस्व के समक्ष अपील दायर की है। सरकारी वकील ने दलील दी कि उन्हें कुछ मिनट पहले ही रिट याचिका की अग्रिम प्रति दी गई है। यह भी कहा है कि मोबाइल फोन पर प्राप्त निर्देश के अनुसार, याचिकाकर्ता का अतिक्रमण हटा दिया गया है।
तहसीलदार की कार्रवाई को कोर्ट ने बताया मनमानी
मामले में दोनों पक्षों को सुनने के बाद जस्टिस पीपी साहू ने अपने आदेश में कहा कि तथ्यों और परिस्थितियों को देखने पर यह मनमानी लग रहा है। कोर्ट ने अगली सुनवाई तक यथास्थिति बनाए रखने का निर्देश दिया और तहसीलदार को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने का आदेश दिया है।
इस बीच, याचिकाकर्ता का दावा है कि उन्हें जिस जमीन से बेदखल किया जा रहा है, वह सरकारी जमीन है, लेकिन इसे उनके स्वामित्व वाली जमीन के बदले में दिया गया था।