अरबपति को भीख मांगने की क्या जरूरत-महापौर
कोरबा I
जिले के लोगों को खराब सड़कों से राहत मिले या ना मिले लेकिन इस पर सियासत गर्म हो चली है। नगरीय निकाय चुनाव से ठीक पहले सड़क एक बड़ा मुद्दा बनकर उभरी है। निगम के गलियारे से लेकर शहर में सियासत गर्म है। सड़क के लिए नेता प्रतिपक्ष फिर भीख मांगने को तत्पर हैं तो मेयर ने उन्हें अरबपति बताते हुए कहा कि भीख मांगने की क्या जरूरत? वैसे चाहें तो जनता को खराब सड़कों से राहत दिलाने के लिए फिल्मी तर्ज पर हीरोगीरी भी की जा सकती है लेकिन यह तो सिर्फ पटकथाओं तक सीमित रहता है, हकीकत में अपने खजाने से जनता के लिए कोरबा में कभी किसी ने कोई रुपए कहां खर्च किये हैं…! इधर बारिश थमने के बाद सड़क पर उखड़ी बजरी गिट्टी को किनारे करने का काम भी शुरू करा दिया गया है।
पुनः भीख माँग कर कमीशन की भूख शांत करेंगे :हितानंद
नगर निगम के नेता प्रतिपक्ष हितानंद अग्रवाल ने एक बार फिर जनता से भीख मांगने का ऐलान किया है। पिछले साल उनके द्वारा भीख में इकट्ठा की कई रकम की पोटली तो चोरी हो गई थी लेकिन इस बार उन्होंने फिर यह जहमत उठाई है। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि जिले में सड़को का निर्माण और कमीशन का खेल किसी से छुपा नही है पूर्व में भी महापौर के कमीशन के भूख को शांत करने के लिए भाजपा के पार्षदो ने जनता से भीख मांगा था और महापौर को दिया था, लेकिन कठपुतली की तरह चलने वाले महापौर जनता के दु:ख से दु:खी नहीं हैं अपितु उनके दुःख से अपने तिजोरी को भरने में लगे हैं। करोड़ों के टेंडर में झोल झाल कर जनता के खून-पसीने की कमाई से मिले टैक्स का पैसा खा रहे हैं। जनता जागरूक हो गई है और महापौर को इसका एहसास हो गया है क्योंकि जनता ने अपने वोटो से जवाब देना शुरू कर दिया है अब वो दिन दूर नही है जब नगरीय निकाय चुनाव में भी कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ेगा । अगर सड़को की मरम्मत जल्द शुरू नही की गई तो जनता से पुनः भीख मांग कर महापौर को दान में दिया जायेगा और उनके घर में सड़क की बजरी को ले जाकर उनकी तिजोरी में रखा जाएगा ताकि उनकी कमीशन की भूख शांत हो पाये।
महापौर का जवाब- निगम चुनाव में टिकट पाने कर रहे नौटंकी
सोशल मीडिया में लगे कमीशनखोरी का आरोप के जवाब में महापौर राजकिशोर प्रसाद ने कहा है कि खुद हितानंद करोड़ों की जीएसटी की गड़बड़ी की जाँच में घिरे हैं और दूसरों पर कीचड़ उछालने से बाज नहीं आ रहे हैं। उन्हें देख लेना चाहिए कि यदि वह किसी पर एक उंगली उठा रहे हैं तो चार उंगली उनकी ही ओर इशारा कर रही है। क्या कारण है कि जीएसटी के छापे उनके संस्थानों पर बार-बार पड़ रहे हैं। अभी भी करोड़ों की जीएसटी की गड़बड़ी की जांच चल रही है। यदि उनके कारोबार से जुड़े आयकर आदि अन्य तथ्यों की सूक्ष्मता से जांच की जाए तो कई रहस्य उजागर होंगे। न केवल करोड़ों रुपए जीएसटी की गड़बड़ी का मामला सामने आएगा बल्कि कई अन्य गोरखधंधे से अनुपातहीन संपत्ति अर्जित किए जाने का पता चलेगा। महापौर ने कहा कि यह बात सभी जानते हैं कि हितानंद अपने चाचा पूर्व विधायक के राजनैतिक प्रभाव व नेतागिरी की आड़ में किस तरह सरकारी जमीनों पर कब्जा कर बड़ी इमारतें खड़ा कर रहे हैं। सम्पति कर के मामले में निगम को लाखों का नुकसान पहुंचा रहे हैं। सरकारी जमीनों पर अवैध तरीके से कब्ज़ा कर कालोनी बनाकर किराया वसूली करना इनकी आदतों में शुमार है।
आरोप कुंठा व पूर्वाग्रह से ग्रसित
मेयर ने कहा कि सड़क निर्माण के लिए कमीशन लिए जाने जैसे आरोप हास्यास्पद और बेबुनियाद हैं। यह हितानंद के कुंठा व पूर्वाग्रह को दर्शाता है। वास्तव में विधानसभा चुनाव में विधानसभा का टिकट पाने के लिए विपक्ष की सक्रिय भूमिका बताने के लिए मीडिया में छाये रहने की नौटंकी, विधानसभा का टिकट नहीं मिला तो लोकसभा के टिकट के लिए मीडिया में छाये रहने के की नौटंकी करते रहे और अब आने वाले चुनाव में कोरबा निगम में महापौर का टिकट पाने के लिए निराधार आरोप लगाकर मीडिया में छाये रहने की नौटंकी उनके द्वारा की जा रही है। जनता के हितैषी बनने वाले हितानंद तो खुद अरबपति आदमी हैं, भीख मांगने की जरूरत क्या है?
DMF से बनी है सड़क
महापौर ने कहा कि 3 साल पहले शहर की कथित सड़कों का निर्माण डीएमएफ मद से कराया गया था। अनुबंध के प्रावधानों के अनुसार 3 साल तक सड़क के रखरखाव की अवधि निर्धारित की गई थी, इस बीच सड़क निर्माण करने वाली ठेका एजेंसी ने अपने कर्तव्यों का पालन भी किया। अब रखरखाव की अवधि समाप्त हो चुकी है। बरसात बाद नए सिरे से निर्माण का कार्य किया जाना है। जिन सड़कों में रखरखाव की अवधि शेष है उनका मरम्मत निर्माण एजेंसी के कॉस्ट पर किया जाएगा, और अनुबंध के प्रावधानों के अनुसार जांच संस्थित कर निगम द्वारा कार्रवाई की जाएगी।