SECL CMD कार्यालय में 7 घण्टे उग्र प्रदर्शन, पॉलिसी बदलने से नहीं मिली है नौकरी

कोरबा छत्तीसगढ़



जिले के बुडबुड , राहाडीह परियोजना के भूविस्थापित भटक रहे

कोरबा।
एसईसीएल मुख्यालय बिलासपुर में कोरबा जिले के बुडबुड , राहाडीह परियोजना के भूविस्थापित ने उग्र आंदोलन किया । अपनी रोजगार की मांग को लेकर कई वर्षों से एरिया महाप्रबंधक एवं सीएमडी मुख्यालय के वरिष्ठ अधिकारियों को आवेदन करते रहे । आवेदन पर कार्यवाही नहीं करने से परेशान होकर शुक्रवार को उग्र आंदोलन किया यह आंदोलन 7 घंटे लगातार जारी रहा ।
ग्राम बुडबुड , राहाडीह की प्रथम चरण में 550 एकड़ भूमि एल ए एक्ट के तहत अधिग्रहण की गई थी जिसका अवार्ड 2007 में किया गया है । अर्जन के दौरान महाप्रबंधक कोरबा श्री खान ने मध्य प्रदेश पुनर्वास नीति 1991 के तहत ग्रामीणों को रोजगार देने हेतु लिखित में पत्र प्रदान किया था । कलेक्टर के द्वारा ग्राम बुडबुड में 15/03/2013 को बैठक ली गई जिसमे क्षेत्र के विधायक अन्य निर्वाचित प्रतिनिधि , प्रबंधन के अधिकारी प्रशासन के अधिकारी एवं 400 ग्रामीण उपस्थित रहे । एसईसीएल कोरबा के महाप्रबंधक जेड एच खान ने प्रथम चरण में मध्य प्रदेश पुनर्वास नीति के तहत 275 खातेदार को रोजगार दिए जाने की जानकारी जिलाधीश बैठक में प्रदान की जिसे सभी ने सहमति प्रदान की । सर्वसम्मति से तय किया गया कि नामांकन की प्रक्रिया कैंप लगाकर 20/03/2013 से 26/03/2013 तक पूर्ण कराई जाएगी । नामांकन के दौरान जांच कर भूविस्थापितों को रोजगार पात्रता प्रमाण पत्र भी प्रदान की गई । नामांकन पूर्ण होने एवम सत्यापन पूर्ण होने के बाद एकाएक वर्ष 2016 में रोजगार देने हेतु कोल इंडिया पॉलिसी लागू कर सैकड़ो भू विस्थापितों को अपात्र कर दिया गया ।
मुख्यालय के धरना आंदोलन में बुजुर्ग , बच्चे एवं महिलाएं भी शामिल रही । लगातार 7 घंटे चले इस धरना प्रदर्शन में अधिकार पाने आक्रोश एवम जोश के साथ डटे रहे । उनकी पीड़ा को उपस्थित अन्य लोगों ने महसूस किया एवम यह कहने से नहीं चुके कि एसईसीएल के अधिकारी लोगों के साथ छलपूर्वक अमानवीय व्यवहार करने पर उतारू हो गए हैं । अधिकारियों की एक ही मंशा रहती है , कि किसी भी प्रकार का हथकंडा अपनाकर उत्पादन लक्ष्य को हासिल किया जाए। भले ग्रामीणों को उनके हक एवं अधिकार से वंचित होना पड़े ।
अधिकारियों से वार्ता उपरांत आंदोलन स्थगित
आन्दोलन के दौरान अधिकारियों ने कई बार वार्ता हेतु पहल की। अंततः लगातार 7 घंटे आंदोलन के बाद अधिकारियों के साथ वार्ता हुई जिसमें महाप्रबंधक भू राजस्व शरद तिवारी , औद्योगिक संबंध मनीष श्रीवास्तव एवं मेंन पावर के अधिकारी उपस्थित रहे। चर्चा के दौरान महिलाओं ने स्पष्ट रूप से यह कहा कि रोजगार देने के नाम पर आपने भूमि ली है । रोजगार देने हेतु सत्यापन कराया है । रोजगार देना पड़ेगा , अन्यथा हमारा यह आंदोलन अनवरत जारी रहेगा । पीड़ित लोगों की बातों को सुनकर अधिकारियों ने यह कहा कि यह विषय डायरेक्टर टेक्निकल (योजना परियोजना) के अधिकार क्षेत्र का है । अभी अधिकारी उपस्थित नहीं है शीघ्र ही बैठक कराकर निराकरण हेतु प्रयास किया जाएगा । अधिकारियों ने आंदोलन समाप्त करने का निवेदन किया । डायरेक्टर योजना परियोजना से सप्ताह भर के बीच बैठक में निर्णय नहीं आने पर पुनः आंदोलन जारी किया जाएगा । बैठक उपरांत आंदोलन को स्थगित कर दिया गया । अधिकारियों से वार्ता के दौरान हेमलाल श्रीवास , परमेश्वर बिंझवार, रूपचंद डिक्सेना, बचन बाई , जेठिया बाई, सन्तोष श्रीवास नवा अंजोर भूविस्थापित समिति से ब्रजेश श्रीवास, प्रताप सिंह, सन्तोष राठौर उपस्थित रहे ।