योग को जीवन शैली में करें शामिल करें-डॉ. गुप्ता

कोरबा छत्तीसगढ़

जिसे लगा योग का रोग वह रहा सदा निरोग- श्रीमती सोमा सरकार (शैक्षणिक प्रभारी प्रायमरी एवं प्री-प्रायमरी)

योग अभ्यास से शरीर, मन, विचार एवं कर्म आत्मसंयम एवं पूर्णता की एकात्मकता और मानव एवं प्रकृति के बीच सांमजस्य प्रदान करता है- सव्यसाची सरकार(शैक्षणिक प्रभारी उच्चतर माध्यमिक स्तर)

इंडस पब्लिक स्कूल दीपका में 21 जून ’अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस’ के उपलक्ष्य में संपूर्ण विद्यालय परिवार ने किया योग, लिया योग को नियमित रुप से अपने जीवन में सम्मिलित कराने का संकल्प

इंडस पब्लिक स्कूल परिवार ने योगाभ्यास कर लिया स्वास्थ्य लाभ ।

दीपका – कोरबा I
योग का अर्थ है जुड़ना जब हम अपने माता पिता किसी रिस्तेदार से स्नेह के बंधन में जुड़ते हैं वह भी योग है जब हम किसी कार्य मे दिल लगाकर कार्य करते हैं वह भी योग है जब हम मन की शांति के लिए परमात्मा से जुड़ते हैं तो वह राजयोग मैडिटेशन है, व जब हम शरीर का ध्यान रखने के लिए किसी शारीरिक आशन या व्यायाम से जुड़ते हैं तो योगा है, आज की तेज रफ्तार भरी जिंदगी में अनेक ऐसे पल हैं जो हमारी स्पीड पर ब्रेक लगा देते हैं । हमारे आस-पास ऐसे अनेक कारण विद्यमान हैं जो तनाव, थकान, अनिद्रा, घबराहट तथा चिड़चिड़ाहट को जन्म देते हैं, जिससे हमारी जिंदगी अस्त-व्यस्त हो जाती है । ऐसे में जिंदगी को स्वस्थ तथा ऊर्जावान बनाये रखने के लिए योग एक ऐसी रामबाण दवा है जो माइंड को कूल तथा बॉडी को फिट रखता है । योग से जीवन की गति को एक संगीतमय रफ्तार मिल जाती है । योग हमारी भारतीय संस्कृति की प्राचीनतम पहचान है । संसार की प्रथम पुस्तक यौगिक क्रियाओं के विषय में उल्लेख मिलता है । भगवान शंकर के बाद वैदिक ऋगवेद ऋषिमुनियों से ही योग का प्रारम्भ माना जाता है । बाद में कृष्ण, महावीर और बुध्द ने इसे अपनी तरह से विस्तार दिया । योग धर्म, आस्था और अंधविश्वास से परे एक सीधा विज्ञान है । जीवन जीने की एक कला है योग । योग शब्द के दो अर्थ है और दोनों ही महत्वपूर्ण हैं । पहला है ‘जोड़‘ और दूसरा है ‘समाधि‘ ।


आज कम्प्यूटर की दुनिया में दिनभर उसके समाने बैठे-बैठे काम करने से अनेक लोगों की कमर दर्द एवं गर्दन दर्द की शिकायत एक आम बात हो गई है, ऐसे में शलभासन तथा तड़ासन हमें दर्द निवारक दवा से तथा दर्द से मुक्ति दिलाता है । योग में ऐसे अनेक आसन हैं जिनको जीवन में अपनाने से कई बीमारियाँ समाप्त हो जाती है और खतरनाक बीमारियों का असर भी कम हो जाता है । 24 घंटे में से महज कुछ मिनट का ही प्रयोग यदि योग में उपयोग करते हैं, तो अपनी सेहत को हम चुस्त-दुरूस्त रख सकते हैं । फिट रहने के साथ ही योग हमें पॉजीटिव एनर्जी भी देता है । योग से शरीर में रोग प्रति रोधक क्षमता का विकास होता है । योगाशन से हमारे शरीर के मसल्स फ्री होते हैं रिलैक्स होते हैंयोग का अर्थ है एकता या बाँधना । योग एक विज्ञान है जो हमें भौतिक, मानसिक, भावनात्मक, आत्मिक और आध्यत्मिक दृष्टि से सही तरह से जीना सिखाता है। आध्यात्मिक स्तर पर योग का अर्थ है सार्वभौमिक चेतना के साथ व्यक्तिगत चेतना का एक होना। योग सद्भाव और एकीकरण के सिद्धोतों पर काम करता है इसलिए यह इतना शक्तिशाली और प्रभावी है। योग से केवल अस्थमा, मधुमेह, रक्तचाप, गठिया, पाचन विकार जैसे बिमारियों से ही निजात नहीं मिलता बल्कि यह हमारे तनाव पूर्ण समाज में स्वास्थ्य बनाये रखने का मुख्य साधन है। योग बुरी आदतों के प्रभाव को उलट देता है। जैसे व्यसन, व्यर्थ चिंतन, बाह्य दिखावे की जिंदगी वास्तविकता यह है कि योग का हमारे जीवन में लाभ और इसकी प्रभावशीलता को शब्दों में बयान करना कठिन है। इसके महत्व को वो ही समझ सकता है जिसे यह योग का रोग लगा हो।
दीपका स्थित इंडस पब्लिक स्कूल में आत्मरक्षा प्रशिक्षक श्री लीलाराम यादव,कु0 सुमन महंत एवं श्री योगेश शुक्ला सर के मार्गदर्शन एवं दिशा निर्देशन में विद्यालय के सभी शिक्षकों ने सप्राचार्य योग के माध्यम से अपने स्वास्थ्य लाभ प्राप्त किया। इस विशेष योग शिविर का लाभ सभी ने प्राप्त किया।शिक्षक श्री योगेश शुक्ला के मार्ग दर्शन में सभी ने अनुलोम-विलोम, भाष्तिक, कपालभाति एवं उद्गीध प्राणायाम साथ ही वृक्षासान, ताड़ासन, भुजंगासन, पद्मासन आदि आसनो का अभ्यास किया। विद्यार्थियों ने योगासान के विभिन्न कलाओं से सबको अभिभूत कर दिया । विद्यालय के खेल शिक्षकों ने विभिन्न योग मुद्राओं द्वारा अपनी कला का प्रदर्शन किया साथ ही विद्यार्थियों ने भी योगा एवं प्राणायाम से स्वास्थ्य लाभ लिया एवं जीवन में भी योगा एवं प्राणायाम को सम्मिलित करने का सौगंध लिया । श्री योगेश शुक्ला सर ने योग के विभिन्न आसनों के लाभ बताए।उन्होंने बताया कि योग करने से बच्चे बूढ़े सभी को लाभ हो सकता है यदि योग को सही प्रकार से किया जाए तो बच्चों को इससे विभिन्न तरह के लाभ हो सकते हैं ।बच्चों के लिए योगासान हैं-


प्राणायाम- प्राणायाम श्वास संबंधी योग है। इसमें सांस छोड़ने और लेने की क्रिया की जाती है। प्राणायाम को योगिक ब्रीथिंग भी कहा जाता है। इसमें श्वसन के साथ ही हृदय और तंत्रिका तंत्र की एक्सरसाइज होती है। इससे भावनात्मक स्थिरता और मन की शांति आती है।
बालासन-मन को शांत करने वाली मुद्राओं में से एक बालासन भी है। इसे अंग्रेजी में चाइल्ड पोज भी कहा जाता है। यह आसन शरीर को फायदा पहुंचाने के साथ ही स्ट्रेस को कम करके मस्तिष्क स्वास्थ्य को बेहतर कर सकता है। सकारात्मक विचार लाने को बढ़ावा देने में मदद कर सकता है, जिससे चिंता और तनाव कम हो सकता है ।
ताड़ासन-ताड़ासन को अंग्रेजी में माउंटेन पोज और पाम ट्री पोस्चर कहा जाता है। इसमें बच्चे का आकार पहाड़ और पेड़ जैसा बनता है। इससे पूरे शरीर की मांसपेशियों स्ट्रेच होती है। यह बच्चों की पूरी फिटनेस को बनाए रखने में मदद कर सकता है। यह भी कहा जाता है कि बच्चों की लंबाई में सुधार करने में भी यह योगासन सहायक हो सकता है। साथ ही एकाग्रता को बेहतर करने में भी ताड़ासन अहम भूमिका निभा सकता है ।
सेतुबंधासन-सेतुबंधासन को अंग्रेजी में ब्रिज पोज कहा जाता है। इस आसन में शरीर पुल जैसा नजर आता है। इस आकृति की वजह से इसे सेतुबंधासन कहा जाता है। तनाव और अवसाद कम करने और मांसपेशियों की मजबूती के लिए सेतुबंधासन करने की सलाह दी जाती है। पाचन को बेहतर करने और कब्ज से छुटकारा पाने में भी यह आसान मदद कर सकता है ।


वृक्षासन-इस आसन को एकपादासन भी कहा जाता है। इंग्लिश में इसे ट्री-पोज नाम से जाना जाता है। इस योगासन में शरीर को एक पैर पर ही संभालना होता है और शरीर की आकृति वृक्ष जैसी लगती है। यह योगासन दिमाग को एकाग्रचित कर सकता है । माना जाता है कि वृक्षासन करने से चिंता और तनाव भी दूर हो सकता है। इस योगासन से कमर व पीठ का दर्द भी कम हो सकता है। इतना ही नहीं यह स्पाइन को लचीला बनाने में भी मदद कर सकता है ।

सुखासन-सुखासन भी बच्चों के लिए लाभदायक है। इसे अंग्रेजी में इजी आसन के नाम से जाना जाता है। यह मानसिक और शारीरिक रूप से बच्चों को चुस्त बना सकता है। कहा जाता है कि हृदय गति और रक्तचाप के लिए यह अच्छा हो सकता है। इसके अलावा, यह तनाव को भी कम कर सकता है ।
भुजंगासन-भुजंगासन को इंग्लिश में कोबरा पोज भी कहा जाता है। यह स्पाइनल कॉलम को सकारात्मक तरीके से प्रभावित करता है और इसे लचीला बना सकता है। बताया जाता है कि यह आसान स्ट्रेस को कम करने में मदद कर सकता है। इससे शरीर और मन दोनों को रिलेक्स रहते हैं। साथ ही यह इम्यूनिटी बढ़ाने में भी मदद कर सकता है.


श्री सव्यसाची सरकार (शैक्षणिक प्रभारी,उच्च माध्यमिक स्तर) ने कहा कि योग प्राचीन भारतीय परंपरा एवं संस्कृति की अमूल्य देन है । योग अभ्यास से शरीर, मन, विचार एवं कर्म आत्मसंयम एवं पूर्णता की एकात्मकता और मानव एवंप्रकृति के बीच सांमजस्य प्रदान करता है । यह स्वास्थ्य एवं कल्याण का दृष्टिकोण है । योग केवल व्यायाम ही नहीं बल्कि स्वयं के साथ विश्व एवं प्रकृति के साथ एकत्व खोजने का भाव है ।
श्रीमती सोमा सरकार(शैक्षणिक प्रभारी, प्रायमरी एवं प्री-प्रायमरी) ने कहा कि जिसे लगा योग का रोग वह रहा सदा निरोग।अर्थात योग हमारे लिए लाभदायक ही है।यदि हम नियमित रुप से योग करें तो हम कई प्रकार के असाध्य बीमारियों से मुकत हो सकते हैं।यह हमारे तन एवं मन को संतुलित कर एक नई ऊर्जा का संचार करता है।हमें नियमित रुप से अपनी दिनचर्या में योग को सम्मिलित करना चाहिए।
डॉ. संजय गुप्ता (प्राचार्य आई 0 पी0 एस0 दीपका )ने योग के बारे में बताया कि जिसे भी योग का रोग लगा है, वह सदा निरोग रहा है, विद्यार्थियों को स्वयं को स्वस्थ रखने के लिए प्रतिदिन योग करना चाहिए एवं विद्यालयो में भी नियमित रूप से योग की कक्षाओं का से पालन किया जाना चाहिए। केवल योग दिवस के दिन हम योग करें बाँकी दिन सोये रहे ऐसी औपचारिकता से अपनी हंसी न उड़ाएँ बल्कि नियमित रूप से योग कर स्वास्थ्य बना कर चेहरें की मुस्कुराहट बरकरार रखें। प्राचार्य डॉ. संजय गुप्ता ने कहा कि ये कहना अतिशंयोक्ति न होगा कि योग हमारे लिए हर तरह से आवश्यक है । यह हमारे शारीरिक, मानसिक और आत्मिक स्वास्थ्य के लिये लाभदायक है । योग के माध्यम से आत्मिक संतुष्टि, शांति और ऊर्जावान चेतना की अनुभूति प्राप्त होती है, जिससे हमारा जीवन तनाव मुक्त तथा हर दिन सकारात्मक ऊर्जा के साथ आगे बढ़ता है । गीता में लिखा है -योग स्वयं की स्वयं के माध्यम से स्वयं तक पहुँचने की यात्रा है ।