NCERT ने 12वीं की नई किताब से हटाया बाबरी मस्जिद का नाम, ये नया टॉपिक जोड़ा…

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नई दिल्ली । नेशनल काउंसिल फॉर एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग (NCERT) ने 12वीं कक्षा की राजनीति विज्ञान की किताब में कई बदलाव किए हैं। सबसे अहम बदलाव यह है कि नई किताब में बाबरी मस्जिद का नाम हटा दिया गया है और इसे “तीन गुंबद वाला ढांचा” कहा गया है। साथ ही, अयोध्या वाले चैप्टर को चार पेज से घटाकर दो पेज का कर दिया गया है।

किताब से बाबरी मस्जिद, हिंदुत्व की राजनीति, 2002 के गुजरात दंगों और अल्पसंख्यकों से जुड़े कुछ अन्य चैप्टर भी हटा दिए गए हैं। अयोध्या वाले चैप्टर में बीजेपी की सोमनाथ से अयोध्या तक की रथ यात्रा, कार सेवकों की भूमिका, बाबरी मस्जिद ढहाने के बाद हुई हिंसा, राष्ट्रपति शासन और बीजेपी की खेद वाली बातें शामिल हैं। यह नई किताब शैक्षणिक सत्र 2024-25 से लागू की जाएगी।

पुरानी किताब में क्या लिखा था:
पुरानी किताब में बाबरी मस्जिद का परिचय मुगल सम्राट बाबर के सेनापति मीर बाकी द्वारा निर्मित 16वीं शताब्दी की मस्जिद के रूप में किया गया था। उसमें बताया गया था कि 1986 में फैजाबाद जिला अदालत द्वारा मस्जिद खोलने के फैसले के बाद कैसे मोबिलाइजेशन हुआ था। 1992 में राम मंदिर बनाने के लिए रथ यात्रा और कार सेवा की वजह से सांप्रदायिक तनाव पैदा हुआ, जिसके बाद 1993 में सांप्रदायिक दंगे हुए।

नई किताब में क्या लिखा है:
नई किताब में बताया गया है कि 1986 में फैजाबाद जिला कोर्ट ने तीन गुंबद वाले ढांचे (बाबरी मस्जिद) को खोलने का आदेश दिया और लोगों को पूजा करने की इजाजत मिल गई। इसमें लिखा है कि ऐसा माना जाता था कि इस ढांचे को भगवान राम के जन्मस्थान पर बनाया गया था। इसके बाद राम मंदिर का शिलान्यास किया गया लेकिन आगे निर्माण पर रोक लगा दी गई।

इससे हिंदू समुदाय को लगा कि उनकी आस्था के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है, जबकि मुस्लिम समुदाय को ढांचे पर अधिकार बनाए रखने का अधिकार मिल रहा था। इसके बाद स्वामित्व अधिकारों को लेकर दोनों समुदायों के बीच तनाव बढ़ गया, जिसके परिणामस्वरूप कई विवाद और कानूनी संघर्ष हुए।

नई किताब में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का जिक्र:
नई किताब में अयोध्या विवाद को लेकर सुप्रीम कोर्ट के 9 नवंबर 2019 के फैसले को शामिल किया गया है, जिसमें कहा गया कि यह जमीन मंदिर की है। पुरानी किताब में बाबरी ढहाने के बाद कल्याण सिंह सरकार को हटाने का आदेश शामिल था, जिसे अब हटा दिया गया है। इसके साथ ही लोकतांत्रिक अधिकार नाम के 5वें चैप्टर में गुजरात दंगों का जिक्र भी हटा दिया गया है।

2014 के बाद से यह चौथी बार है जब एनसीईआरटी की किताब में बदलाव किया गया है। अप्रैल में एनसीईआरटी ने कहा था कि राजनीति में हालिया डेवलपमेंट के आधार पर चैप्टर में परिवर्तन किया जाता है और नई चीजों को शामिल किया जाता है।