रायपुर । चुनावी आचार संहिता खत्म होते ही कई सेक्टर में बिजली का झटका लगने वाला है। राज्य विद्युत वितरण कंपनी के प्रस्ताव व जनसुनवाई के बाद राज्य विद्युत नियामक आयोग अगले महीने नई दरें जारी कर सकता है। राज्य विद्युत वितरण कंपनी ने 4,420 करोड़ रुपये की अतिरिक्त आय की जरूरत बताते हुए 20 प्रतिशत तक टैरिफ में वृद्धि का प्रस्ताव दिया है। चुनावी साल की वजह से बीते वर्ष बिजली की नई दरें लागू नहीं की गई थीं, लेकिन इस बार नई दरें लागू करने की तैयारी है। इसका असर ज्यादातर उद्योग-व्यापार क्षेत्र में आ सकता है। उद्योगपतियों ने जनसुनवाई में अपना पक्ष रखा है। संगठनों की मांग है कि विभाग को पहले लाइन लास कम करने की रणनीति बनानी चाहिए, ताकि विद्युत दरें बढ़ाने की आवश्यकता ना पड़े।
बिजली दरें बढ़ने से महंगाई बढ़ेगी। छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत वितरण कंपनी के एमडी आरके शुक्ला ने कहा, लाइन लास को रोकने के लिए लगातार काम जारी है। केंद्र सरकार की वितरण क्षेत्र में सुधार योजना के तहत अलग-अलग क्षेत्रों में युद्धस्तर पर काम हो रहा है। आने वाले समय में हम लाइन लास काफी कम कर लेंगे। छत्तीसगढ़ विद्युत उपभोक्ता महासंघ के अध्यक्ष श्याम काबरा ने कहा, प्रदेश में लाइन लास 16 से 18 प्रतिशत हैं, वहीं गुजरात में यह तीन प्रतिशत के करीब है। हमने सुझाव दिया है कि कि कई ऐसे तरीके हैं, जिनका अनुपालन करते हुए वितरण राजस्व में नुकसान को कम कर सकते हैं। प्रदेश के कुछ क्षेत्र में 50 प्रतिशत तक लाइन लास है। घाटे की भरपाई टैरिफ दरें ही बढ़ाकर करना उचित नहीं है।
65 लाख बिजली उपभोक्ता, जनसुनवाई में 65 भी नहीं पहुंचे
प्रदेश में बिजली उपभोक्ताओं की संख्या लगभग 65 लाख हैं,लेकिन बिजली की नई दरें तय करने के लिए विद्युत नियामक आयोग की जनसुनवाई में 65 उपभोक्ता भी नहीं पहुंचे। विशेषज्ञों का कहना है कि नियामक आयोग की जनसुनवाई इससे पहले प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों में आयोजित होती थी, जिसमें जनसमुदाय जुड़ते थे, लेकिन 2012 से इसे बंद कर दिया गया। जनसुनवाई में सुझावों के लिए आनलाइन विकल्प भी उपभोक्ताओं को मिलना चाहिए। इसका विपरीत प्रभाव यह हो रहा है कि टैरिफ दरों में सीएसपीडीएल के प्रस्तावों पर ही नियामक आयोग मुहर लगा रहा है। इसी आधार पर बिजली की दरें घोषित हो रही हैं।