To make children an ideal and suitable person for the society, it is necessary to teach them discipline from childhood – Educationist Dr. Gupta

बच्चों को एक आदर्श और समाज के लिए अनुकूल इंसान बनाने के लिए उन्हें बचपन से ही अनुशासन सिखाना जरूरी है-शिक्षाविद डॉ गुप्ता

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हमारे संस्कार ही हमें जीवन जीने का तरीका सिखाते हैं-डॉ संजय गुप्ता

दीपका- कोरबा //
आज दिन-प्रतिदिन बढ़ती प्रतिस्पर्धा एवं तनाव भरी जिंदगी में विद्यार्थियों को मानसिक रूप से स्वस्थ व प्रसन्न रहना अतिआवश्यक है । लेकिन जैसे-जैसे परीक्षा नजदीक आती है विद्यार्थियों में मानसिक दबाव बढ़ते जाता है । वर्षभर नियमित व अनुशासित तथा समर्पित होकर भी हम परीक्षा की तैयारी करें तो भी परीक्षा के दिनों में हम पर मानसिक दबाव व तनाव अवश्य होता है । विद्यार्थियों के मन में विभिन्न प्रकार के प्रश्न उठने लगते हैं और वे सबसे ज्यादा अपने भविष्य के प्रति चिंतित होते हैं। ऐसे ही कुछ महत्वपूर्ण सवालों के जवाब प्रति सप्ताह दैनिक लोक सदन में देंगें क्षेत्र के ख्यातिलब्ध शिक्षाविद डॉ. संजय गुप्ता
1 -बच्चों को अच्छी शिक्षा देने के लिए क्या करना चाहिए? सलीम अंसारी,दीपका
डॉक्टर संजय गुप्ता बच्चों को अच्छी शिक्षा देने हेतु हमें न सिर्फ विद्यालय में दी जाने वाली शिक्षा व अनुशासन की गुणवत्ता पर ध्यान देना होगा अपितु हमें यह भी देखना होता है की उस विद्यालय के पिछले कई वर्षों के परीक्षा परिणाम क्या रहे? शिक्षा के साथ-साथ हमें बच्चों के संस्कार पर भी विशेष ध्यान देना होगा। बच्चों की प्रारंभिक शिक्षा घर से प्रारंभ होती है अतः घर से ही हमें बच्चों के संस्कारों पर ध्यान देना चाहिए।
2 – परीक्षा जैसे ही नजदीक आती है मुझे बहुत ज्यादा घबराहट महसूस होने लगती है। मैं बोर्ड क्लास का विद्यार्थी हूं ,ऐसी स्थिति में मैं क्या करूं? रोहित जायसवाल, सूरजपुर
डॉक्टर संजय गुप्ता:-परीक्षा से भय खाने वाली कोई बात नहीं है ।परीक्षा तो आपकी काबिलियत की कसौटी है। परीक्षा स्वयं को परखने का एक शुभ अवसर होता है ।परीक्षा से हमें घबराना नहीं चाहिए ।यदि घबराहट महसूस करते हैं तो प्राणायाम और योगा को अपनी दिनचर्या में अवश्य शामिल करें।तैयारी जारी रखें और स्वयं पर आत्मविश्वास बनाए रखें। खुद पर विश्वास करें।
3 -कार्यस्थल पर बढ़ते हुए दबाव के कारण कभी-कभी मन खिन्न हो जाता है। मन में नकारात्मक विचार आने लगते हैं क्या किया जाए? विभा,राजपूत कोरबा
डॉ संजय गुप्ता: –यदि हम सभी कार्य को समय पर करें तो तनाव हम पर हावी कभी नहीं होता है ।कार्य स्थल पर यदि काम का दबाव अधिक है तो सभी काम को सुनियोजित ढंग से करने का प्रयास करें ।कोशिश करें कि तय समय पर पूरा कार्य हो जाए ।यदि फिर भी अत्यधिक कार्य का दबाव है तो प्रत्येक कार्य के लिए निश्चित समय दें।
4 -आज की शिक्षा व्यवस्था को देखते हुए महसूस होता है कि मासूम बच्चों पर पढ़ाई का अत्यधिक बोझ आ गया है। इसका क्या उपाय हो सकता है ?जिससे कि बच्चों का बचपन न छीन जाए। स्वाती विश्वास, अकलतरा
डॉक्टर संजय गुप्ता – आपका सवाल एकदम वाजिब है। आज की शिक्षा व्यवस्था को देखते हुए एक बारगी हमें ऐसा जरुर महसूस होता है ।दिन प्रतिदिन बढ़ते हुए प्रतिस्पर्धा के मध्य नजर आज बच्चों पर शिक्षा का अत्यधिक दबाव आ गया है। लेकिन अब नई शिक्षा नीति में बच्चों को बचपन जीने का भरपूर अवसर दिया जा रहा है ।बच्चों को स्कूल आने के बाद जरा भी यह एहसास नहीं होगा कि वह स्कूल में है ,पूरी तरह घर का माहौल बच्चों का प्रदान किया जाएगा। आज भी अनेक विद्यालयों में विद्यार्थियों को बचपन का जीवन देने के लिए प्ले स्कूल की तर्ज पर व्यवस्थाएं की जाती हैं ।यह बात अलग है कि कई विद्यालय अतिरिक्त कार्य का बोझ बढ़कर उनका तनाव ग्रस्त बनाते हैं जो कि उचित नहीं है।
5 – विद्यार्थियों के बस्तों के बोझ को कम करने के लिए विद्यालय क्या उपाय कर सकता है? प्रेम सुंदर शर्मा ,बिलासपुर
डॉक्टर संजय गुप्ता: – इस समस्या के समाधान हेतु विद्यालय प्रशासन को चाहिए कि विद्यार्थियों के मुख्य विषय के अतिरिक्त जो विषय होते हैं जैसे- जीके, कंप्यूटर ,ड्राइंग, हिंदी एवं इंग्लिश की ग्रामर बुक,नैतिक शिक्षा की पुस्तक आदि।इस प्रकार से अतिरिक्त पुस्तकों को विद्यालय में सुरक्षित रखवा लिया जाए और कालखंड के अनुसार विद्यार्थियों को वितरित कर अध्यापन करवा कर पुनः जमा करवा लें। साथ ही विद्यालय द्वारा विद्यार्थियों को यह भी निर्देशित किया जाए कि वह अपनी पाठ्य पुस्तक जो मुख्य विषय हैं एवं मुख्य अभ्यास पुस्तिका के अतिरिक्त और कुछ भी सामान बैग में ना रखें।

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