जिले में मनाया गया राष्ट्रीय डेंगू दिवस

गरियाबंद छत्तीसगढ़

गरियाबंद । मच्छर जनित बीमारियों में मलेरिया की तरह ही डेंगू भी बहुत घातक बीमारी है, एक समय था जब डेंगू के बारे में केवल महानगरों में निवासरत आमजन ही जानते थे, लेकिन यह बीमारी धीरे-धीरे छोटे शहरों और गांवो तक अपना पैर पसार चुका है। डेंगू बीमारी एडीज़ एजिप्टी नामक मादा मच्छर के काटने से होता है। डेंगू बीमारी से बचाव व रोकथाम के लिये जनजागरुकता हेतु प्रतिवर्ष 16 मई को राष्ट्रीय डेंगू दिवस मनाया जाता है। इसे हड्डी तोड़ बुखार भी कहते है।

मुख्य चिकित्सा व स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. गार्गी यदु पॉल के निर्देशानुसार जिले के सभी स्वास्थ्य केन्द्रों में जन सामान्य को जागरुक करने हेतु आज राष्ट्रीय डेंगू दिवस मनाया गया एवं सीएमएचओ कार्यालय में भी सीएमएचओ सहित समस्त अधिकारियों एवं कर्मचारियों की उपस्थिति में जनजागरुकता के लिए राष्ट्रीय डेंगू दिवस मनाया गया।

मुख्य चिकित्सा व स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. पॉल ने डेंगू बीमारी के संबंध में जानकारी देते हुए बताया कि डेंगू बीमारी एडीज़ एजिप्टी नामक मादा मच्छर के काटने से होती है, जो केवल दिन में काटता है। इस मच्छर के शरीर में सफेद धारियां होता है। जिसके कारण इसे टाइगर मच्छर भी कहा जाता है। यह मच्छर ज्यादा उचांई तक नहीं उड़ पाता है। डेंगू के प्रमुख लक्षणों में अचानक तेज सिर दर्द व बुखार, मांसपेशी व जोड़ो में दर्द होना, आंखो के पीछे दर्द होना, जी-मिचलाना या उल्टी होना, त्वचा पर चकते उभरना, और गंभीर मामलों में नाक, मुंह, मसुडों से खुन आता है। इस बीमारी में मनुष्य के खुन में प्लेटलेट्स कम हो जाता है।

डेंगू की रोकथाम और बचाव के उपाय हेतु मच्छरों के प्रजनन पर नियंत्रण व प्रजनन स्थलों को नष्ट  करके डेंगू मलेरिया से बचा जा सकता है। इसके लार्वा कूलर, पानी टंकी, फ्रीज ट्रे, फूलदान इत्यादि के स्थिर साफ पानी में ही पनपता है। अतः इन्हें प्रति सप्ताह खाली करके साफ रखना चाहिए।घर के आसपास रुके हुए पानी में केरोसिन या जला हुआ ऑयल डालकर मच्छरों के लार्वा को पनपने से रोका जा सकता है। नारियल का खोल, टुटे बर्तन, टायरों में पानी जमा नहीं होने देना चाहिये। घरों के अन्दर मच्छर अगरबत्ती का उपयोग करें। घरों के दरवाजों व खिड़कियों में जाली पर्दे लगाकर रखना चाहिए, सोते समय मच्छरदानी का उपयोग करना चाहिए। घर से बाहर निकलते समय लम्बी बाजु के कपडें, पेंट व मोजे पहनना चाहिये, अथवा त्वचा में ओडोमॉस मॉसक्टि रिपलेंट क्रीम का उपयोग भी किया जा सकता है।