दंतेवाड़ा । कलेक्टर मयंक चतुर्वेदी के निर्देशानुसार जिला कार्यक्रम अधिकारी महिला बाल विकास विभाग वरुण नागेश के मार्गदर्शन में यूनिसेफ के सहयोग से जिला बाल संरक्षण इकाई द्वारा अक्षय तृतीया के अवसर पर बाल विवाह की संभावनाओं को देखते हुए, किशोर सशक्तिकरण कार्यक्रम अंतर्गत बच्चों के अधिकारों की सुरक्षा के लिए बाल विवाह रोकथाम पखवाड़ा का आयोजन किया गया। यह पखवाड़ा 25 अप्रैल से 10 मई तक चलेगा। जिसके तहत यूनिसेफ के युवोदय वालंटियर्स द्वारा “पहले पढाई फिर विदाई” नारों के साथ जिले के सभी पंचायतों एवं शहरी क्षेत्रों के सामाजिक समारोह ,शासकीय कार्यक्रमों, हाट-बाजारों तथा भीड़-भाड़ वाले स्थानों में बैनर पोस्टर लगाकर रैली, नुक्कड़-नाटक, माईकिंग, दीवारों पर नारा लेखन, रंगोली एवं सुपोषण चौपाल के माध्यम से लोगों को बाल विवाह के दुष्परिणामों के बारे में जागरूक किया जा रहा है।
इस अभियान के माध्यम से लोगों को बताया जा रहा है कि, बाल-विवाह केवल एक सामाजिक बुराई नहीं अपितु कानूनन अपराध भी है। बाल-विवाह से बच्चों का सम्पूर्ण व्यक्तित्व विकास प्रभावित होता है। ज्ञात हो कि बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 के अंतर्गत बाल विवाह करने वाले वर एवं वधु के माता-पिता, सगे संबंधी, बाराती यहां तक विवाह करने वाले पुरोहित, पंडितों पर भी कानूनी कार्यवाही की जा सकती है। बाल विवाह के कारण बच्चों में कुपोषण, शिशु मृत्यु-दर एवं माता-मृत्यु दर के साथ घरेलू हिंसा में भी वृद्धि होती है।
इस अभियान अंतर्गत यूनिसेफ के जिला समन्वयक विनोद साहू ने बताया कि, बाल-विवाह बच्चों के अधिकारों का अतिक्रमण करता है। बाल विवाह के कारण हिंसा, शोषण और यौन शोषण का खतरा बढ़ जाता है। उम्र से पहले शादी होने पर बच्चा-शिक्षा, स्वास्थ्य और सुरक्षा से वंचित तो होता ही है साथ ही नाबालिग होते हुए उनके गर्भवती होने और बच्चे को जन्म देने की स्थिति आ जाती है। इसका असर मां और शिशु के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ता है। कुल मिलाकर बाल विवाह बच्चे का बचपन समय से पूर्व खत्म कर देता है। इस संबंध में आगामी 10 मई को अक्षय तृतीया पर बाल विवाह की संभावनाओं को देखते हुए, जिला प्रशासन पूरी तरह सजग है और बाल विवाह करने व करवाने वालों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। उल्लेखनीय है कि बाल विवाह निषेध अधिनियम 2006 के अनुसार लड़की की शादी 18 वर्ष व लड़के की शादी 21 वर्ष से पहले की जाती है तो, वह कानूनन अपराध की श्रेणी में आता है और उसकी सूचना तुरंत प्रशासन के अमलों पंचायत स्तर पर, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, मितानिन, शिक्षक, स्व सहायता समूह की महिलाओं, बाल संरक्षण समिति व शहरी क्षेत्रों में नजदीकी पुलिस थाना चौकी, तहसीलदार, जिला कार्यक्रम अधिकारी महिला व बाल विकास, सीडीपीओ, एसडीएम एवं पुलिस अधीक्षक के साथ चाइल्ड हेल्पलाइन नंबर 1098, महिला हेल्पलाइन नंबर 181 और पुलिस हेल्पलाइन नंबर 112 पर भी दी जा सकती है।