51 कुण्डीय राष्ट्र जागरण गायत्री महायज्ञ की पूर्णाहुति

छत्तीसगढ़ रायपुर

रायपुर । अखिल विश्व गायत्री परिवार शांतिकुंज हरिद्वार के संरक्षण एवं मार्गदर्शन में गायत्री प्रज्ञा पीठ संतोषी नगर रायपुर एवं रायपुर महानगर के गायत्री परिजनों के सहयोग से 15 से 18 दिसम्बर तक आयोजित राष्ट्र जागरण 51 कुंडीय गायत्री महायज्ञ के अंतिम दिवस बड़ी संख्या में दूर दराज से श्रद्धालुगण यज्ञ में सम्मिलित हुए। पूर्णाहुति के पश्चात महाभण्डारे का आयोजन किया गया तथा शांतिकुंज हरिद्वार से आई टोली की बिदाई की गई।

कार्यक्रम संयोजक रामकृष्ण साहू, एवं जिला समन्वयक लच्छूराम निषाद ने संयुक्त रुप से बताया कि यज्ञ के माध्यम से सुख समृद्धि एवं राष्ट्र की उन्नति एवं प्रगति की प्रार्थना की गई। श्रद्धालुओं ने पूर्णाहुति में देवदक्षिणा स्वरूप अपने जीवन की एक-एक बुराई को छोड़ने एवं एक-एक अच्छाई को ग्रहण करने का संकल्प लिया।

शांतिकुंज हरिद्वार से आए मुख्य वक्ता योगेश पटेल ने देवमंच से कहा कि केवल स्वाहा-स्वाहा करने से यज्ञ पूर्ण नहीं होगा। हमें अपने जीवन में त्याग, परोपकार और सेवा को भी स्थान देना होगा, तभी यज्ञ पूर्ण होगा। आज व्यक्ति स्वार्थ में डूबा हुआ है और केवल अपने हित की सोचता है इस कारण ज्यादा सुखी होने के स्थान पर और दुखी होता जाता है। इसका एकमात्र समाधान है कि हम प्रेम, सद्भावना, सद्विवेक, सदाचार को अपने जीवन में स्थान दें। तभी हम सुख शांति से जीवन जी सकते हैं। मानव में देवत्व और धरती पर स्वर्ग का अवतरण के लिये व्यक्ति को प्रज्ञा पुराण जैसे सद्ग्रंथों का नियमित अध्ययन करना चाहिए। यह कथा व्यक्ति के दूषित चिंतन और भ्रष्ट आचरण को सुधारने वाली औषधि है। इसके सेवन से अनाचार, अत्याचार, भ्रष्टाचार और व्यभिचार से मानव मात्र को मुक्ति मिलेगी और धरती पर सतयुग का आगमन होगा। उनके द्वारा लोगों को नशा उन्मूलन, गौ संवर्धन, दहेज प्रथा, कन्या भ्रूण हत्या, मृतक भोज आदि के प्रति जागरूकता का संदेश दिया गया। शांतिकुंज हरिद्वार के ऋषिपुत्रों ने युग संगीत के माध्यम से यज्ञ महिमा का वर्णन किया एवं बताया कि मनुष्य के सभी समस्याओं का समाधान पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य द्वारा लिखित गायत्री महाविज्ञान में निहित है गायत्री मंत्र में दार्शनिक व वैज्ञानिक पक्ष को बताते हुए उपस्थित लोगों से प्रतिदिन गायत्री महामंत्र का जप करने कहा गया। साथ ही प्रत्येक व्यक्ति को अपने भीतर भारतीय संस्कृति के पांच आधार स्तंभ गौ, गंगा, गीता गायत्री और गुरू तत्व को जागृत करने के संबंध में भी बताया गया।

निःशुल्क संस्कार करवाया गया।
गायत्री परिवार रायपुर के प्रोटोकॉल प्रभारी अमित डोये एवं मीडिया प्रभारी प्रज्ञा प्रकाश निगम ने बताया कि आज केवल चिन्ह पूजा के रुप में संस्कार परम्परा का प्रचलन रहा गया है। वैज्ञानिक, मनोवैज्ञानिक तथा आध्यात्मिक बोध एवं प्रशिक्षण के अभाव में यह केवल एक कर्मकाण्ड एवं फिजूलखर्ची बनकर रह गया है इसलिये गायत्री परिवार के माध्यम से संस्कार के पूर्व उसके महत्व को विस्तार से बताया जाता है एवं निःशुल्क संस्कार करवाया जाता है। महायज्ञ के दौरान 146 लोगों का गुरुदीक्षा, 28 गर्भवती महिलाओं का पुंसवन, 09 शिशुओं के नामकरण, 10 बच्चो का अन्नप्राशन, 08 बच्चो का मुंडन, 85 बच्चों का विद्यारम्भ, 15 युवाओं का यज्ञोपवीत एवं 22 लोगों का जन्मदिवस संस्कार करवाया गया। शांतिकुंज हरिद्वार की टोली ने देवमंच से संस्कार परम्परा के वैज्ञानिक, मनोवैज्ञानिक तथा आध्यात्मिक कारण को बताते हुए कहा गया कि जैसे किसी यात्रा की सार्थकता व सफलता के लिये जरुरत की वस्तुएं, यात्रा का उद्देश्य, यात्रा का मार्ग, एवं आने वाली समस्याएं तथा किन लोगों का मार्गदर्शन उपयुक्त रहेगा जानना आवश्यक है। इनके अभाव में सुविधा-सम्पन्न यात्रा तो दूर उनमें अनेक अवरोध और संकट आ सकते हैं। उसी प्रकार मनुष्य का जीवन भी विराट यात्रा का एक महत्त्वपूर्ण अध्याय है। उसमें मात्र सुख-सुविधा के ही संचय तक सीमित रह जाने से जीवन के अंतिम समय में हमें केवल दुःख और पश्चाताप ही होगा। इसलिये हमारे ऋषियों, पूर्वजों ने इस आध्यात्मिक सत्य को पहचाना एवं जीवन की गहन समीक्षा की। उन्होंने पाया कि मनुष्य के जीवन में जन्म के पूर्व से चिता में समर्पण होने तक एवं उसके पश्चात भी कई महत्त्वपूर्ण मोड़ आते है, यदि उनमें जीवात्मा को सम्हाला और संँवारा न जाये, तो मनुष्य अपनी अस्मिता का अर्थ समझना तो दूर, पीड़ा और पतन की ओर निरंतर अग्रसर होता हुआ नरकीटक, नर-वानर, बनता चला जाता है। इन महत्त्वपूर्ण मोड़ों पर सजग-सावधान करने और उँगली पकड़कर सही रास्ता दिखाने के लिए हमारे तत्त्ववेत्ता, मनीषियों ने षोडश संस्कारों का प्रचलन किया।

यज्ञ स्थल में ही गुरु घासीदास जयंती पर उनके द्वारा दिये गये संदेश ’’मनखे-मनखे एक समान’’ को याद करते हुए उनके चित्र पर सतनामी समाज के महासचिव एवं विभिन्न समाज के प्रमुखों तथा गायत्री परिवार के वरिष्ठ परिजनों के द्वारा माल्यार्पण भी किया गया। इस अवसर पर प्रमुख रुप से रायपुर ग्रामीण विधायक मोतीलाल साहू, पार्षदगण सतनाम पनाग, श्रीमती निशा देवेन्द्र यादव, श्रीमती उमा चन्द्रहास निर्मलकर, रवि ध्रुव सतनामी समाज के महासचिव छगनलाल सोनवानी, यादव समाज के प्रमुख माधव यादव, छ.ग. पर्यटन मण्डल की पूर्व उपाध्यक्ष श्रीमती चित्ररेखा साहू, प्रकाश बजाज, प्रदीप साहू सहित छत्तीसगढ़ की जोन समन्वयक श्रीमती आदर्श वर्मा, उपजोन समन्वयक सी.पी. साहू, समता कॉलोनी रायपुर के मुख्य प्रबंध ट्रस्टी श्याम बैस, वरिष्ठ परिजन सदाशिव हथमल, दीनानाथ शर्मा, सुखदेव देवांगन, विनय निगम, एस.एन. राय, हीरालाल साहू, आर.एस. चौरसिया, हीरालाल निषाद, मनोरमा राठौर, उर्मिला नेताम, प्राणेश विश्वास, डॉ. घनश्याम पटेल, पीताम्बर साहू, नीलकंठ साहू, महेन्द्र वर्मा, खोमन साहू, जितेन्द्र साहू आदि उपस्थित थे।यज्ञ समिति के पदाधिकारियों ने आयोजन को सफल बनाने के लिये जन प्रतिनिधियों, मीडियाकर्मियों, स्थानिय व्यापारियों, नागरिकों उपस्थित श्रद्धालुओं एवं प्रत्यक्ष तथा अप्रत्यक्ष रुप से सहयोग प्रदान करने वाले सभी वर्गों का आभार व्यक्त किया।