- जीवन वही अनमोल है, नैतिकता का जहाँ मोल है-ब्रह्मा कुमार भगवान भाई (माउंट आबू राजस्थान)
- *इंडस पब्लिक स्कूल दीपका में *नैतिक मूल्यों का जीवन में महत्व*
विषय पर आयोजित हुई विशेष एवं मनोरंजक कार्यशाला
दीपका/कोरबा।
नैतिकता के अभाव में मनुष्यता का आकलन संभव ही नहीं। नैतिकता व्यक्ति के विकास में एक सीढ़ी के समान है, जिसके सहारे हम अपने जीवन में आगे बढ़ते हैं। नैतिक मूल्यों के अभाव में मनुष्य मानव जीवन को निर्थक बना देता है। प्रख्यात विचारक अल्बेयर कामू ने भी कहा है कि नैतिकता के बिना एक व्यक्ति इस दुनिया में किसी पशु के समान है।
नैतिक मूल्य अच्छे तथा बुरे कार्यों के बीच अंतर पैदा करने वाले मानक है। जो किसी भी सज्जन व्यक्ति का एक प्रमुख गुण होता है क्योंकि इन्हीं नैतिक मूल्यों के द्वारा वह अपने व्यवहार तथा कार्यों को नियंत्रित करता है। नैतिक मूल्यों का किसी भा समाज के उन्नति तथा पतन में एक महत्वपूर्ण स्थान होता है।
नैतिक मूल्य वे मूल्य और नैतिकताएं हैं जो हमें एक धर्मी जीवन जीने में मदद करती हैं। नैतिक मूल्यों को बचपन में विकसित किया जाना चाहिए ताकि उनके पास एक मजबूत नींव हो, और हमारा जीवन मूल्यों के साथ जुड़ा हुआ है। नैतिक मूल्य हमारे जीवन को ढालने और धार्मिकता और सदाचार के मार्ग पर चलने में मदद करते हैं।
जब हम बचपन से नैतिक मूल्यों से जीते हैं, तो वे हमारे जीवन का हिस्सा बन जाते हैं, और हमें सही करने में मदद करते हैं और खुद को गलत होने से बचाते हैं। नैतिक मूल्य हमें जीवन की कोशिश करने वाली स्थितियों में सही निर्णय लेने में मदद करते हैं।
इंडस पब्लिक स्कूल दीपका में नैतिक मूल्यों का जीवन में महत्व विषय पर एक बहुत ही शानदार कार्यशाला का आयोजन किया गया। आयोजित कार्यशाला में विशेष रूप से माउंट आबू राजस्थान से पधारे भगवान भाई जी ने विद्यालय के विद्यार्थियों का मार्गदर्शन किया।
उन्होंने बताया कि नैतिक मूल्य को अभाव में हम कैसे अपने लक्ष्य से भटक जाते हैं। कैसे हमारा जीवन नर्क के समान हो जाता है। बीके भगवान जी ने शिक्षा का सही उद्देश्य विद्यार्थियों को समझाया। उनके अनुसार शिक्षा प्राप्त कर सत्कर्म करना, अंधकार से प्रकाश की ओर जाना, हमेशा सकारात्मक विचार रखना ही मूल उद्देश्य होता है। लेकिन लोग शिक्षा के मूल उद्देश्य से विरक्त होते जा रहे हैं। लोगों को लगता है कि उच्च शिक्षा प्राप्त कर एक अच्छी नौकरी प्राप्त कर अच्छा धन कमाना ही जीवन का उद्देश्य है ,जबकि जीवन का मुख्य उद्देश्य सच्चे चरित्र का निर्माण है। वास्तव में शिक्षा का सही उद्देश्य सच्चरित्र का निर्माण होता है ।नैतिकता का विकास होता है। ब्रह्म कुमार भगवान भाई ने विभिन्न रोचक नैतिक कहानियों के माध्यम से भी विद्यार्थियों के जीवन में नैतिक मूल्यों का संचार करना चाहा।बीके भगवान भाई जी ने सारस एवं कौवे की कहानी के माध्यम से संगति का असर विद्यार्थियों को समझाया ।संत श्री एकनाथ जी के कहानी के माध्यम से जीवन में सहनशक्ति के महत्व को समझाया। साथ ही विभिन्न प्रकार की अलग-अलग कीमतों की मूर्तियों के माध्यम से सकारात्मक एवं नकारात्मकता को ग्रहण करने का गुण भी कहानी के माध्यम से विद्यार्थियों को बताया। सभागार में उपस्थित कक्षा छठवीं से लेकर 11वीं तक के विद्यार्थियों ने पूरे मनोयोग से एवं शांत भाव से इस ऊर्जामयी कार्यशाला का आनंद लिया और स्वयं से वादा किया कि अपने जीवन में नैतिक मूल्यों को महत्वपूर्ण स्थान देंगे। शिक्षा प्राप्त कर एक अच्छे इंसान बनेंगे ।विद्यार्थियों को आत्मा एवं परमात्मा के संबंध के बारे में भी भगवान भाई ने विस्तार से बताया। उन्होंने ने बताया कि वास्तव में हमारे मानव जीवन का उद्देश्य क्या है? हम क्या हैं? और क्यों इस धरती पर आए हैं? हमारा वास्तविक स्थान कहां है ?विभिन्न उदाहरणों के द्वारा उन्होंने नैतिक मूल्यों के महत्व को विद्यार्थियों को समझने का प्रयास किया। उन्होंने कहा कि यदि हम अत्यधिक क्रोध करते हैं तो यह तय है कि हमारे मन में अहंकार के भी भावना प्रबल है। उन्होंने इस क्रोधाग्नि से बचने के लिए प्रत्येक विद्यार्थियों को निर्देश दिया। इस ऊर्जामयी, रोचक, मनोरंजक एवं शानदार कार्यशाला में ब्रह्मा कुमार भगवान भाई के साथ बीके रचना बहन, बीके ज्योति बहन, बीके उदय चौधरी, एवं ब्रह्मा कुमार प्रकाश भाई उपस्थित थे। साथ ही इंडस पब्लिक स्कूल के शिक्षकवृंद ने भी इस पूरी कार्यशाला का आनंद उठाया एवं स्वयं के जीवन में सुधार करने का संकल्प लिया।
कार्यक्रम के अंत में विद्यालय के शैक्षणिक प्रभारी श्री सब्यसाची सरकार सर ने आभार व्यक्त किया एवं विद्यालय के प्राचार्य डॉक्टर संजय गुप्ता के द्वारा उपस्थित अतिथि एवं प्रेरक मार्गदर्शक श्री भगवान भाई जी को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया।
इंडस पब्लिक स्कूल दीपका के यशश्वी प्राचार्य डॉक्टर संजय गुप्ता ने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में नैतिकता अत्यंत आवश्यक है। बिना नैतिक मूल्यों के हमें समाज में सम्मान नहीं मिलता। धन एवं बल से भी ज्यादा महत्वपूर्ण होता है नैतिक मूल्य।हमारा व्यवहार और चरित्र नैतिकता दिखाता है जिससे हम जीते हैं। धर्मी व्यक्ति वह है जिसने नैतिक मूल्यों को विकसित किया है और उनके द्वारा जीवन जीता है। ऐसे व्यक्ति अपने नैतिक मूल्यों का पालन करते हैं, प्रक्रिया में उन्हें जो भी कठिनाई हो सकती है वे नहीं डरते हैं। वे सजा से डरते नहीं हैं और शांति और संतोष की स्थिति में रहते हैं।
नैतिक मूल्य बचपन में हमारे माता-पिता और शिक्षकों द्वारा विकसित किए जाते हैं, और जीवन के माध्यम से हमारे साथ रहते हैं। ईमानदारी और सत्यता महत्वपूर्ण नैतिक मूल्य हैं। ईमानदार और सच्चा होने के लिए एक व्यक्ति को साहसी होने की आवश्यकता है। सच कहना चाहिए और जो कुछ भी हो डरना नहीं चाहिए।
नैतिक मूल्य भी हमें दूसरों की संपत्ति रखने से रोकते हैं। चोरी करना बेईमानी और अनुचितता दर्शाता है। यदि हम दूसरों का सामान चुराते हैं, तो अन्य लोग हमें लूट सकते हैं। दूसरों का सम्मान करना, और हमारे कर्तव्यों का पालन करना भी नैतिकता है जिसे हमें निभाना चाहिए।