कोरबा। कुसमुंडा थाना के भीतर थानेदार के सामने भू-विस्थापित के साथ मारपीट करने के मामले में बड़ी कार्रवाई हुई है। दीपका के तहसीलदार विनय कुमार देवांगन को तत्काल प्रभाव से हटा दिया गया है। बताया जा रहा है कि उनके द्वारा मारपीट के आरोपियों को मामले की गंभीरता समझने के बाद भी धारा 151 में जमानत दे दी गई। हालांकि धारा 151 में अमूमन प्रकरणगत विवेक के आधार जमानत दे दी जाती है लेकिन इस तरह के गंभीर मामले में आरोपियों को जमानत दे देने उनकी इस कार्यशाली को प्रशासनिक तौर पर उचित नहीं समझ गया और कलेक्टर एवं जिला दंडाधिकारी ने संज्ञान में आते ही उन्हें दीपिका तहसील से हटकर जिला मुख्यालय अटैच कर दिया है। इधर दूसरी तरफ कुसमुंडा थाना प्रभारी की रिपोर्ट पर आज मारपीट के आरोपियों के विरुद्ध अपराध दर्ज कर विवेचना शुरू कर दी गई है।
थाने के भीतर भू-विस्थापित गोविंदा सारथी के साथ मारपीट करने वाले उमेंद्र सिंह तोमर, तेज प्रताप, कमलेश, शैलू सिंह व अन्य के विरुद्ध धारा 294, 323, 506, 353, 147, 149, 186 भादवि के तहत अपराध दर्ज किया गया है। इन सभी के विरुद्ध कल ही धारा 151 के तहत प्रतिबंधात्मक कार्रवाई भी थाना में की गई है।
0 SECL प्रबंधन के रवैये से खासा आक्रोश, विवाद की वजह अधिकारी भी
बता दें कि कुसमुंडा परियोजना खदान में एमपीटी मां पार्वती ट्रांसपोर्ट कंपनी कार्यरत है। यह कंपनी एसईसीएल प्रबंधन के अधीन ही काम कर रही है। इस कंपनी में रोजगार के लिए स्थानीय भू-विस्थापितों के द्वारा प्रदर्शन किया जा रहा है। इस दौरान कामकाज बाधित होने से एसईसीएल प्रबंधन के जीएम गुरुवार को मौके पर पहुंचे थे और प्रदर्शनकारियों से जानकारी लेकर एमपीटी कंपनी के मैनेजर को मौके पर बुलवाया। यहां जातिगत दुर्व्यवहार करने पर मैनेजर शैलू और भू-विस्थापितों में मारपीट हो गई। मारपीट के बाद भू-विस्थापित थाना पहुंच गए। यहां थाना प्रभारी के सामने ही एमपीटी कंपनी के लोगों ने भू-विस्थापित गोविंदा सारथी के साथ मारपीट किया। इस पूरे घटनाक्रम को लेकर भूविस्थापितों में secl प्रबंधन के अधिकारियों के तौर तरीकों पर नाराजगी देखी जा रही है। इनका कहना है कि यदि secl प्रबंधन अपने अधीन काम करने वाली ठेका कंपनियों से नियम कायदों का पालन करवाये और सख्ती बरते तो इस तरह के टकराव के हालात निर्मित ना हों। अक्सर आए दिन किसी न किसी बात को लेकर विवाद होते ही रहता है। secl प्रबन्धन के ढुलमुल रवैया के कारण ही खदानों में बार-बार आंदोलन, धरना प्रदर्शन के हालात बन रहे हैं।