Monday, June 2, 2025

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हिरासत में लिए गए 50 बेरोजगार शिक्षक

सचिवालय की तरफ कर रहे थे कूच

मामला – स्थायी नियुक्ति की कर रहे मांग

कोलकाता//
पश्चिम बंगाल के सचिवालय नबन्ना की ओर मार्च करते समय करीब 50 बेरोजगार शिक्षकों को दो अलग-अलग स्थानों पर पुलिस ने हिरासत में लिया। ये शिक्षक ‘डिजर्विंग टीचर्स राइट्स फोरम’ के बैनर तल प्रदर्शन कर रहे थे। प्रदर्शनकारी शिक्षक स्थायी नियुक्ति की मांग और राज्य सरकार की ओर से दोबारा परीक्षा देने के निर्देश का विरोध कर रहे हैं।
शिक्षकों ने सियालदह स्टेशन और एस्प्लेनेड (दोनों जगहें करीब 2 किमी दूर) से मार्च शुरू करने की कोशिश की, लेकिन वहां पहले से मौजूद पुलिस ने उन्हें रोक दिया। फोरम के एक सदस्य ने कहा, हमें शांतिपूर्ण और लोकतांत्रिक तरीके से मार्च करने की अनुमति नहीं दी गई। हम सिर्फ मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से मिलने और अपनी स्थिति व मांगों को उनके सामने रखने की कोशिश कर रहे थे।
प्रतीकात्मक विरोध में कुछ प्रदर्शनकारियों ने शर्ट उतार दीं। मध्य कोलकाता की उपायुक्त इंदिरा मुखर्जी ने बताया कि करीब 50 प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया गया, क्योंकि वे यातायात बाधित करने और सार्वजनिक व्यवस्था बिगाड़ने की कोशिश कर रहे थे। उन्होंने कहा, पुलिसकर्मी होने के नाते हम उनकी मांगों या आंदोलन पर कोई टिप्पणी नहीं कर सकते। लेकिन हमें ऐसी सूचनाएं मिली थीं कि कानून-व्यवस्था बिगाड़ने की कोशिश की जा सकती है।
पुलिस ने आसपास के इलाकों में आईडी चेक की। यहां तक कि सार्वजनिक बसों में चढ़कर छिपे हुए प्रदर्शनकारियों की तलाश की। फोरम ने पहले ही घोषणा की थी कि वे सियालदह से नबन्ना तक मार्च करेंगे। कुछ सदस्य शर्ट उतारकर मार्च में शामिल होने वाले थे, ताकि यह जताया जा सके कि वे बिना दोबारा परीक्षा दिए तुरंत बहाली की मांग को लेकर कितने गंभीर हैं।
प्रदर्शन कर रहे शिक्षक पिछले 22 दिनों से पश्चिम बंगाल शिक्षा विभाग के मुख्यालय के बाहर अनिश्चितकालीन धरने पर बैठे हैं। उनका यह आंदोलन सुप्रीम कोर्ट के 3 अप्रैल के फैसले के बाद शुरू हुआ है, जिसमें 2016 की एसएससी भर्ती के तहत हुई 25,753 शिक्षण और गैर-शिक्षण नियुक्तियों को रद्द कर दिया गया था। कोर्ट ने इस प्रक्रिया में व्यापक अनियमितताओं की बात कही थी।

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