Friday, May 9, 2025

Top 5 This Week

Related Posts

01 मई – छत्तीसगढ़ी बोरे-बासी / मजदूर दिवस पर विशेष लेख

पौष्टिकता और सेहत का खजाना है बोरे-बासी – प्रो.अजय

कोरबा//
छत्तीसगढ़ के पारंपरिक भोजन में से एक है बोरे बासी। आम की चटनी,भाजी, दही और बड़ी के साथ इसका स्वाद काफी अनोखा होता है.छत्तीसगढ़ में मजदूर दिवस को बोरे बासी दिवस के रुप में मनाया जाता है। क्योंकि ये मुख्यत: मजदूरों का भोजन हुआ करता था। ऐसे में पूरा छत्तीसगढ़ मजदूर दिवस के दिन बोरे बासी का आहार लेता है।

प्रो.अजय कुमार पटेलकोरबा, छत्तीसगढ़
प्रो.अजय कुमार पटेल कोरबा, छत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़ियों के जीवन में ‘बोरे-बासी’ इतना घुला-मिला है कि जब सुबह कहीं जाने की बात होती है तो बासी खाकर निकलने का जवाब मिलता है। इससे संकेत मिलता है कि व्यक्ति सुबह 8 बजे के बाद घर से निकलेगा। ‘बासी खाय के बेरा’ से पता चल जाता है कि यह लंच का समय है।
छत्तीसगढ़ का व्यंजन बोरे बासी एक छत्तीसगढ़िया ब्रांड के रूप में डेवलप हो रहा है। साल 2022 से एक मई को बोरे बासी दिवस मनाने की शुरुआत हुई थी। उसके बाद से छत्तीसगढ़ में नेता, अभिनेता, आम लोग से खास लोग सभी इस दिन बोरे बासी खाने लगे। इस फूड के बहुत फायदे हैं। आखिर इस फूड में क्या है। इसे khaskhabhar.news  ने फ़ूड एंड न्यूट्रिशन एक्सपर्ट प्रो.अजय कुमार पटेल शासकीय इं. वि. स्नातकोत्तर महाविद्यालय कोरबा से जाना।
प्रो.अजय कुमार ने बताया कि अमेरिकी शोध से यह स्पष्ट हो चुका है कि बोरे बासी में भरपूर मात्रा में कार्बोहाइड्रेट, प्रोबियोटिक्स, आयरन, पोटेशियम, कैल्शियम, विटामिन्स, मुख्य रूप से विटामिन B-12, खनिज लवण और जल की बहुतायत होती है। ताजे बने चावल (भात) की अपेक्षा इसमें करीब 60 फीसदी कैलोरी ज्यादा होती है। अनेक पौष्टिक गुण के साथ डिहाइड्रेशन, हाइपरटेंशन, हृदय रोग, त्वचा रोग, डायरिया सहित अनेक रोगों से लड़ने की क्षमता है।

बोरे बासी इम्युनिटी बढ़ाने में कारगर

प्रो. पटेल ने बताया कि “बोरे बासी शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है। बोरे बासी, प्रो बायोटिक, विटामिन बी12 का बहुत अच्छा सोर्स है। आम तौर पर चावल में कई तरह के मिनरल्स पाए जाते हैं। अधिकांश लोग चावल को पसा कर खाते हैं। लेकिन मैं हमेशा मना करती हूं कि ऐसा नहीं करना है. क्योंकि ऐसा करने से उसके विटामिन मिनरल निकल जाते हैं। जब हम रात भर या 1 घंटे इसे पानी मे भिंगोकर रखते हैं, तो इसके विटामिन मिनरल पानी मे एब्जॉर्ब हो जाते हैं। इसको खाने से हमारी इम्युनिटी में इजाफा होता है।”

बोरे बासी में विटामिन बी 12 का अच्छा सोर्स

प्रो.पटेल के मुताबिक” हमारे शरीर को जितनी विटामिन मिनरल्स की आवश्यकता है। उसे बोरे बासी से पूरा कर सकते हैं। विटामिन बी12 की कमी बहुत ज्यादा महिलाओं और बच्चों में देखने को मिलती है। लेकिन जो बोरे बासी खाते हैं उनमें सामान्यतः इसकी कमी नहीं देखी जाती है। ग्रामीण क्षेत्र में लोग बोरे बासी बहुत ज्यादा खाते हैं।”

कई बीमारियों में बोरे बासी कारगर

प्रो.पटेल ने बोरे बासी को शरीर के लिए रामबाण बताया है। उन्होंने कहा है कि “बोरे बासी को और हेल्दी बनाने के लिये इसमे मुनगे की भाजी भी भिगोकर खा सकते हैं। इससे विटामिन मिनरल्स के साथ कैल्शियम आयरन का अच्छा स्त्रोत शरीर को मिलता है। गर्मियों में लोग इसे खाकर डिहाइड्रेशन से भी मुक्त रह सकते है। इसे खाने से पेशाब में जलन, चेहरे में मुँहासे, बाल झड़ना और नाखून टूटने की समस्या में आराम होता है। गर्मी के एक टाइम बोरे बासी जरूर खाएं।”

स्किन की निखार में बोरे बासी कारगर

प्रो.पटेल के अनुसार बोरे बासी स्किन की बीमारी में काफी कारगर होता है।अगर आपके स्किन में व्हाइट रेसेस हैं तो, अगर बोरे बासी में नींबू निचोड़कर खाएं तो आपको इस समस्या से छुटकारा मिल सकता है। इसमे प्रोटीन नहीं होता लेकिन इसमे प्रोटीन की बेहतर वैल्यू होती है। इसे खाने से चावल या रोटी खाने के बाद जैसी सुस्ती की स्थिति नहीं रहती है।

डायबिटीज, किडनी और लीवर से पीड़ित लोग इसे न खाएं

प्रो.पटेल ने बताया कि बोरे बासी का इस्तेमाल डायबिटीज, लिवर और किडनी पेशेंट न करें। अगर वह इसे खाना चाहते हैं तो एक बार डॉक्टर से जरूर संपर्क करें। डॉक्टर के बताए निर्देश के अनुसार वह बोरे बासी खा सकते हैं।

कैसे बनाया जाता है बोरे बासी

बोरे बासी बनाने की विधि बहुत सरल है। बोरे बासी बनाने के लिए पका हुआ चावल और पानी की जरूरत होती है।चावल को रात में पकाकर ठंडा होने के बाद कांसे अथवा मिट्टी के बर्तन में पानी में डुबाकर रखा जाता है। सुबह नमक, हरी मिर्च, टमाटर की चटनी, प्याज के साथ इसका सेवन किया जाता है। कई लोग भात के पसिया (माड़) को भी भात और पानी के साथ मिलाते खाते हैं। इसमें प्रोटीन, फाइबर, विटामिंन जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं।

बोरे और बासी में ये है अंतर

बोरे और बासी बनाने की विधि बहुत ही सरल है। बोरे और बासी बनाने के लिए पका हुआ चावल (भात) और सादे पानी की जरूरत है। बोरे और बासी दोनों की प्रकृति में अंतर है। बोरे से अर्थ, जहां तत्काल बने हुए भात (चावल) से है, जिसे पानी में डूबाकर खाया जाता है। वहीं बासी एक पूरी रात या दिनभर भात (चावल) को पानी में डूबाकर रखा जाता है। फिर अगले दिन इसे खाया जाता है। कई लोग भात के पसिया (माड़) को भी भात और पानी के साथ मिलाते खाते हैं। यह पौष्टिक के साथ स्वादिष्ट भी होता है।

Popular Articles